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भारतीय सेना के लिए आज बड़ा दिन!आज 12:30 बदलेगा सेना में भर्ती के लिए युवाओ का भविष्य

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*भारतीय सेना के लिए आज बड़ा दिन!आज 12:30 बदलेगा सेना में भर्ती के लिए युवाओ का भविष्य*
‘अग्निपथ’ भर्ती योजना अखिल भारतीय स्तर पर होगी और इसमें सभी वर्ग के लोग नामांकन कर सकते हैं. इस योजना से सेना में रेजिमेंट सिस्टम पर किसी तरह का कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा. इस योजना में अधिकारी भी शामिल नहीं किए जाएंगे.’
आज मंगलवार को सशस्त्र बलों के लिए नए सैनिकों की भर्ती के तरीके में महत्वाकांक्षी बदलाव करने का ऐलान कर सकती है. टूर ऑफ ड्यूटी सिस्टम (Tour of Duty System) के तहत नए भर्ती किए गए सैनिकों को चार साल के लिए सेनाओं में शामिल किया जाएगा. फिर सेवा समाप्त होने के बाद उन्हें टैक्स फ्री तरीके से करीब 10 लाख रुपये दिए जाएंगे. साथ में इन सैनिकों को योगदान के लिए सर्टिफिकेट से सम्मानित किया जाएगा. इस टूर ऑफ ड्यूटी को ‘अग्निपथ’ का नाम दिए जाने की संभावना है, जबकि इस योजना के तहत भर्ती किए गए सैनिकों को ‘अग्निवीर’ कहा जाएगा. इस संबंध में रक्षा मंत्री और तीनों सेनाओं के प्रमुख आज दोपहर 12.30 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे.सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार का मकसद हर साल सेना के तीनों अंगों में अधिकारी रैंक से नीचे के लिए करीब 45 हजार से 50 हजार ‘अग्निवीरों’ की भर्ती करना है. चार साल की सेवा के बाद योग्यता, इच्छा और मेडिकल फिटनेस के आधार पर महज 25% ‘अग्निवीर’ को नियमित संवर्ग में बनाए रखा जाएगा या फिर से सूचीबद्ध किया जाएगा. इसके बाद वे अगले 15 साल तक कार्यकाल के लिए काम करेंगे. करार के तहत सेवा में शामिल किए गए शुरुआती चार साल के काम को अंतिम पेंशन लाभ के निर्धारण के लिए ध्यान में रखे जाने की संभावना नहीं है.

*75% ‘अग्निवीरों’ का 4 साल बाद खत्म होगा कार्यकाल*
सूत्रों के हवाले से कहा कि अन्य 75% ‘अग्निवीरों’ को 11-12 लाख रुपये के एक्जिट या ‘सेवा निधि’ पैकेज के साथ, उनके मासिक योगदान के अलावा उनके दूसरे करियर में मदद के लिए कौशल प्रमाण पत्र और बैंक लोन के साथ अलग कर दिया जाएगा.
सरकार का कहना है कि ‘अग्निपथ’ योजना का उद्देश्य भारतीय सेना के खर्च में कटौती करना है. सेना का सालाना रक्षा बजट करीब 5 लाख करोड़ रुपये का है, जिसमें से आधा से अधिक सैलरी और पेंशन खर्च में ही निकल जाता है. जबकि आज के दौर में सेना के लिए खुद का आधुनिकीकरण करना बेहद जरूरी हो गया है और इस दिशा में खर्च काफी हो रहा हैं. ऐसे में खर्च कम करना अनिवार्य हो गया है.

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