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मार्कोस कमांडो, जिन्होंने अरब सागर से शिप छुड़ाया:हफ्ते में 4 घंटे नींद, रोजाना 40 किमी दौड़; कैसे तैयार होते हैं कमांडो

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मार्कोस कमांडो, जिन्होंने अरब सागर से शिप छुड़ाया:हफ्ते में 4 घंटे नींद, रोजाना 40 किमी दौड़; कैसे तैयार होते हैं कमांडो

4 जनवरी 2024। भारतीय तट से करीब 4,000 किलोमीटर दूर अरब सागर में एमवी लीला नोर्फोक नाम के एक कार्गो शिप को हाईजैक कर लिया गया। हाईजैकर्स इसे सोमालिया के करीब ले जाते हैं। इसमें 15 भारतीय समेत 21 क्रू मेंबर्स सवार थे। इसे छुड़ाने की जिम्मेदारी नौसेना की वॉरशिप INS चेन्नई में सवार मरीन कमांडोज यानी मार्कोस को दी जाती है।

24 घंटे के अंदर खबर आती है कि हाईजैक शिप को रेस्क्यू कर लिया गया है और उसमें सवार सभी क्रू मेंबर्स सुरक्षित हैं। इंडियन नेवी इस ऑपरेशन के कुछ वीडियो भी जारी करती है। इसके बाद से मार्कोस कमांडो चर्चा में हैं।

सबसे पहले 36 साल पुराने एक ऑपरेशन की कहानी
बात 1987 की है। श्रीलंका के जाफना और त्रिंकोमाली पोर्ट पर लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम यानी लिट्‌टे ने कब्जा कर लिया था। श्रीलंका की सेना लिट्‌टे के कब्जे वाली इस जगह पर जाने से डरती थी। उस समय भारतीय शांति सेना श्रीलंका में थी। भारत ने दोनों पोर्ट खाली कराने के लिए अपने 18 मार्कोस कमांडो को श्रीलंका भेजा।

समुद्र में 12 किलोमीटर तैर कर ये कमांडो इन बंदरगाहों पर पहुंचे। फिर कुछ घंटों की लड़ाई में मार्कोस ने 100 से ज्यादा लिट्‌टे आतंकियों को मारकर दोनों बंदरगाहों को लिट्‌टे के कब्जे से आजाद करा दिया। श्रीलंका में चलाए गए इस मिशन के लिए मार्कोस टीम लीडर लेफ्टिनेंट अरविंद सिंह को महावीर चक्र दिया गया था।

नेवी के सबसे तेज-तर्रार जवानों का दस्ता है मार्कोस
मरीन कमांडो फोर्स का ही शॉर्ट फॉर्म मार्कोस (MARCOS) है। ये भारतीय नौसेना में शामिल एक शक्तिशाली कमांडो टुकड़ी है। इस टुकड़ी में शामिल होने के लिए सिलेक्शन और ट्रेनिंग काफी टफ होता है। इतना टफ कि नौसेना के केवल 2% जवान ही मार्कोस बनने में सफल हो पाते हैं।

1985 में पहली बार भारतीय नौसेना में एक खास दस्ता बना, जिसका नाम समुद्री विशेष बल (IMSF) रखा गया था। दो साल बाद 1987 में इसी का नाम बदलकर मरीन कमांडो फोर्स यानी MCF कर दिया गया।

नौसेना की वेबसाइट के मुताबिक शुरुआत में इसमें तीन अफसर ही थे। इस समय मार्कोस में 1200 से ज्यादा कमांडो शामिल हैं। इनका आदर्श वाक्य है- ‘द फ्यू द फियरलेस’ यानी बेखौफ या निडर लोग।

मार्कोस जमीन, आसमान और पानी के अंदर की लड़ाई लड़ने में माहिर होते हैं। इस टुकड़ी को मुंबई, विशाखापट्‌टनम, गोवा, कोच्चि और पोर्ट ब्लेयर स्थित नौसैना के मुख्यालय से ऑपरेट किया जाता है।

मार्कोस के लिए सिलेक्शन और ट्रेनिंग के 4 स्टेप…

स्टेप-1: प्री सिलेक्शन या रजिस्ट्रेशन, फिजिकल और फिटनेस टेस्ट

  • मार्कोस बनने के लिए आवेदन करने वाले भारतीय नौसेना के जवानों को फिटनेस टेस्ट से गुजरना होता है। ये टेस्ट इतना सख्त होता है कि इसमें 80% उम्मीदवार बाहर हो जाते हैं।

स्टेप-2: सिलेक्शन या हेल्स वीक, रोजाना 20 घंटे फिजिकल एक्टिविटी

  • सिलेक्ट होने वाले मार्कोस जवानों की ट्रेनिंग होती है। सख्त ट्रेनिंग की वजह से इन दिनों को ही हेल्स वीक यानी नर्क का सप्ताह कहा जाता है। इस ट्रेनिंग प्रोग्राम को इंडियन नेवी ने अमेरिकन नेवी से एडॉप्ट किया है।
  • इसके लिए कैंडिडेट्स के दिन की शुरुआत 20 किलोमीटर की दौड़ से होती है। इसके बाद दिनभर वह अलग-अलग एक्सरसाइज करते हैं। शाम के समय इनको 60 किलो का बैग लेकर 20 किलोमीटर दौड़ना होता है। इस बैग में कारतूस, गन, ग्रेनेड और अन्य हथियार होते हैं।
  • कैंडिडेट्स को रोजाना 20 घंटे फिजिकल एक्टिविटी करनी होती है। ये ट्रेनिंग प्रोग्राम इतना सख्त है कि शायद ही कोई कैंडिडेट पूरे सप्ताह के दौरान चार घंटे सो पाता हो।
  • सप्ताह के आखिर में जवान को 25 किलो का वजन उठाकर 800 मीटर तक कीचड़ को रेंगते हुए पार करना होता है। इसमें कैंडिडेट्स के शरीर को बुरी तरह से कीचड़ में फंसने का डर होता है। इसे डेथ क्रॉल कहा जाता है।
  • डेथ क्रॉल के बाद जवान को 2.5 किलोमीटर की बाधा दौड़ पार करनी पड़ती है। फिर 25 मीटर दूर एक टारगेट होता है जिसे गोली मारनी होती है।

शारीरिक सहनशक्ति, मानसिक दृढ़ता, टीम वर्क, एटीट्यूड और हाई फिजिकल एंड मेंटल स्ट्रेस और नींद की कमी के बीच कैंडिडेट्स को किसी ऑपरेशन के लिए ट्रेंड किया जाता है।

21 सितंबर 2021 को इंडियन नेवी ने अपने फेसबुक पेज पर मार्कोस जवानों के ट्रेनिंग के समय की ये तस्वीर पोस्ट की थी।

21 सितंबर 2021 को इंडियन नेवी ने अपने फेसबुक पेज पर मार्कोस जवानों के ट्रेनिंग के समय की ये तस्वीर पोस्ट की थी।

स्टेप-3: बेसिक स्पेशल फोर्सेस ट्रेनिंग, वॉरशिप INS अभिमन्यु पर ट्रेनिंग

  • इस स्टेप में मार्कोस कैंडिडेट्स को आर्मी, एयरफोर्स के साथ ट्रेनिंग करनी होती है। इस वक्त सारी ट्रेनिंग INS अभिमन्यु पर होती है।
  • इसमें हथियार चलाने, गोला बारुद एवं विस्फोटक चलाने, निहत्था होकर लड़ने, नाव चलाने, फोटोग्राफी, होस्टेज रेस्क्यू और तटों पर कब्जा करने की ट्रेनिंग दी जाती है।
  • इसके अलावा इन्हें आगरा में इंडियन आर्मी के पैराशूट ट्रेनिंग स्कूल में 3 सप्ताह का बेसिक पैराशूट कोर्स करवाया जाता है। कोच्चि में नेवी के डाइव स्कूल में बेसिक कॉम्बैट डाइवर्स कोर्स, कोच्चि स्थित भारतीय नौसेना के डाइव स्कूल में बेसिक कॉम्बैट डाइवर्स कोर्स करवाया जाता है।
फुल कॉम्बैट लोड के साथ मार्कोस समुद्र में पैरा-ड्रॉपिंग में भी माहिर होते हैं।

फुल कॉम्बैट लोड के साथ मार्कोस समुद्र में पैरा-ड्रॉपिंग में भी माहिर होते हैं।

स्टेप-4: एडवांस स्पेशल फोर्सेस ट्रेनिंग, मिसाइल, गोला-बम चलाने की ट्रेनिंग

  • ये मार्कोस जवानों के ट्रेनिंग की आखिरी स्टेप है। इसमें फ्री-फॉल ट्रेनिंग यानी ज्यादा और कम ऊंचाई से पैराशूट की मदद से कूदने के लिए सिखाया जाता है।
  • इस समय मिजोरम के काउंटर इंसर्जेंसी एंड जंगल वाॅरफेयर स्कूल में सिखाया जाता है कि कैसे जंगल में लड़ना है। इसके अलावा समुद्री डकैतों के खिलाफ ऑपरेशन और गुप्त अभियान की ट्रेनिंग दी जाती है।
  • पनडुब्बी बनाने और चलाने, मिसाइल चलाने, बम बनाने और उसे डिफ्यूज करने की ट्रेनिंग दी जाती है। कैंडिडेट को कई तरह की भाषा सिखाई जाती है, जैसे- अरबी, मंदारिन आदि।
  • दूसरे देशों की भाषा इसलिए सिखाई जाती है कि अगर दुश्मन के क्षेत्र में कमांडो फंस जाए तो भाषा-संस्कृति के आधार पर उसके जीवित रहने की संभावना बढ़ जाए।
  • मार्कोस को अरुणाचल प्रदेश के तवांग में पर्वत घटक स्कूल में 4 सप्ताह का हाई एल्टीट्यूड कमांडो कोर्स और राजस्थान में डेजर्ट वारफेयर स्कूल में रेतीले इलाकों में लड़ना सिखाया जाता है।
  • इसके अलावा कैंडिडेंट को उल्टा दौड़ने और मिरर में देखकर गोली चलाना भी सिखाया जाता है। उसे इतना फुर्तीला बनाया जाता है कि वह केवल 0.27 सेकेंड में रिस्पॉन्ड करता है।

झेलम से अदन की खाड़ी तक में समुद्री लुटेरों के खिलाफ मार्कोस के 3 बड़े ऑपरेशन…

1995: झेलम नदी और वुलर झील की सुरक्षा
1995 में झेलम नदी और वुलर झील में बने टापुओं और आसपास के जंगलों की आड़ लेकर जम्मू-कश्मीर में आतंकी लगातार हमले कर रहे थे। भारतीय नौसेना ने इस हमले को रोकने के लिए पहली बार यहां मार्कोस के कुछ कमांडो को तैनात किया।

महीनेभर के अंदर यहां से होने वाले आतंकी हमले बंद हो गए। तब से आज तक 250 किलोमीटर के इस एरिया की निगरानी मार्कोस ही कर रहे हैं। 2017 में 30 कमांडो की टीम को स्थाई रूप से वुलर झील में तैनात किया गया है।

2008: समुद्री लुटेरों से अपने जहाज को आजाद कराया
अदन की खाड़ी में भारतीय कॉमर्शियल जहाज MV जग अर्नव पर समुद्री लुटरों ने कब्जा कर लिया था। इसकी खबर मिलते ही मार्कोस के जवान अदन की खाड़ी में पहुंचे और जहाज को छुड़ाने के लिए एक ऑपरेशन चलाया। इसके बाद क्रू मेंबर्स समेत जहाज को मार्कोस ने लुटेरों के कब्जे से छुड़ा लिया था।

इसी साल मुंबई के होटल ताज में हुए आतंकी हमले में भी मार्कोस को उतारा गया था। मार्कोस ने यहां किस तरह से ऑपरेशन को अंजाम तक पहुंचाया, इसके बारे में ज्यादा जानकारी उपलब्ध नहीं है।

2018 : दुबई की राजकुमारी को उनके घर पहुंचाया
दुबई की राजकुमारी लतीफा घर छोड़कर भाग रही थीं। शेख को पता चला कि राजकुमारी एक जहाज से भाग रही हैं, जाे भारतीय सीमा में है। शेख मुहम्मद राशिद अल-मकतूम ने पीएम नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की। इसके बाद 6 मार्कोस कमांडो को राजकुमारी को सकुशल लाने के लिए भेजा गया। मार्कोस जवानों ने राजकुमारी को जहाज से निकालकर उन्हें दुबई के अधिकारियों को सौंप दिया।

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