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मिसाइल टेस्ट से पहले फिर आ धमका चीनी जासूसी जहाज:क्या है शी यान-6, जिसके श्रीलंका आने से भारत परेशान

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मिसाइल टेस्ट से पहले फिर आ धमका चीनी जासूसी जहाज:क्या है शी यान-6, जिसके श्रीलंका आने से भारत परेशान

2 नवंबर 2022 को भारत ने बंगाल की खाड़ी में एक इंटरसेप्टर मिसाइल का टेस्ट किया। अगले हफ्ते एक लॉन्ग रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल का भी टेस्ट होना था। इसके लिए NOTAM जारी हो चुका था, यानी टेस्टिंग के दौरान उस इलाके में नो-फ्लाई जोन की चेतावनी। चीन ने फौरन अपने जासूसी जहाज युआन वांग-6 को हिंद महासागर क्षेत्र में दौड़ा दिया। इसके बाद भारत ने कुछ दिनों के लिए मिसाइल टेस्ट टाल दिया था।

एक साल बाद चीन का जासूसी जहाज शी यान-6 एक बार फिर हिंद महासागर में उतर चुका है और कोलंबो की तरफ बढ़ रहा है। अनुमान लगाना इतना भी मुश्किल नहीं कि भारत एक बार फिर मिसाइल टेस्ट करने जा रहा है। टेस्ट के लिए बंगाल की खाड़ी में NOTAM जारी किया गया है।

भारत ने 5 से 9 अक्टूबर तक लॉन्ग रेंज की बैलिस्टिक मिसाइल टेस्ट के लिए बंगाल की खाड़ी से हिंद महासागर तक नो फ्लाई जोन बनाए जाने की घोषणा की है। ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस एक्सपर्ट डेमियन साइमन ने इसकी जानकारी दी है। इस दौरान ओडिशा के अब्दुल कलाम द्वीप से मिसाइल टेस्ट की संभावना थी। इस बीच चीन का जासूसी जहाज शी यान-6 हिंद महासागर में आ धमका है। डिफेंस एक्सपर्ट्स इसकी टाइमिंग पर सवाल उठा रहे हैं।

शी यान- 6 इस वक्त हिंद महासागर में है और यह श्रीलंका की ओर बढ़ रहा है। इसे नवंबर तक श्रीलंकाई जलक्षेत्र में रहने की मंजूरी भी मिल चुकी है। श्रीलंका के राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे ने जुलाई में भारत दौरे के बाद ये मंजूरी दी।

हालांकि, श्रीलंका के विदेश मंत्री अली साबरी ने कहा कि कोलंबो ने चीनी जहाज को बंदरगाह पर रुकने की मंजूरी नहीं दी है। साथ ही कहा कि भारतीय सुरक्षा संबंधी चिंताएं श्रीलंका के लिए महत्वपूर्ण हैं।

चीनी जहाज शी यान-6 के श्रीलंका के बंदरगाह पर रुकने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि विदेशी जहाजों के श्रीलंका में रुकने को लेकर एक स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर यानी SOP तैयार किया गया है। SOP को तैयार करने में भारत समेत कई दोस्तों से सलाह भी ली गई है।

उन्होंने कहा कि श्रीलंका ने चीनी जहाज को अक्टूबर में अपने बंदरगाह पर रुकने की अनुमति नहीं दी है। इसे लेकर बातचीत अभी जारी है। इससे पहले श्रीलंका के डेली मिरर ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि चीन का खोजी जहाज अक्टूबर के महीने में श्रीलंका में रुक सकता है।

एक महीने से अधिक समय से भारत इस जासूसी जहाज पर कड़ी नजर रख रहा है। यह 23 सितंबर को मलक्का जलडमरूमध्य से हिंद महासागर में पहुंचा। 10 सितंबर को अपने होमपोर्ट गुआंगजौ से निकलने के बाद इसे 14 सितंबर को सिंगापुर में देखा गया था।

भारत एक बार फिर से मिसाइल परीक्षण टाल सकता है

चीन के जासूसी जहाज के आने से भारत बैलिस्टिक मिसाइल का यूजर-ट्रायल टाल सकता है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि चीन ने ऐसे समय में अपने जासूसी जहाज को हिंद महासागर क्षेत्र में भेजा है, जिससे वह भारतीय मिसाइल की खुफिया जानकारी जैसे उसकी स्पीड, एक्यूरेसी और रेंज का पता कर सके।

डिफेंस एक्सपर्ट जेएस सोढ़ी कहते हैं कि पिछले साल भी जब भारत बैलिस्टिक मिसाइल का टेस्ट करने वाला था, तब भी चीन ने अपना जासूसी जहाज युआन वांग-6 हिंद महासागर में भेजा था। इसकी वजह से भारत को कुछ दिनों के लिए टेस्ट टालना पड़ा था।

इसी समय पर चीन का एक और जासूसी जहाज शी यान-6 श्रीलंका की तरफ बढ़ रहा है। इसमें एक कनेक्शन साफ तौर पर देखा जा रहा है कि जब-जब भारत ने NOTAM जारी किया है, तब तब चीन अपना जहाज श्रीलंका में, बंगाल की खाड़ी या अरब सागर में भेज देता है।

इससे साफ है कि चीन ऐसी एक्टिविटी के जरिए भारत को उकसाने का काम करता है। चीन के पास ऐसी सैटेलाइट भी हैं जिससे वह जासूसी कर सकता है, लेकिन जानबूझकर जासूसी जहाज भेजना भारत को उकसाने की कोशिश है।

चीन को सबसे ज्यादा तकलीफ भारत से है, क्योंकि एशिया और हिंद प्रशांत इलाके में अगर कोई देश चीन के विस्तारवाद को रोक सकता है तो वो भारत है। इसलिए चीन पिछले कुछ सालों से भारत से उखड़ा हुआ है। खासकर के तब से जब से भारत का झुकाव अमेरिका की तरफ हुआ है।

डिफेंस एक्सपर्ट सोढ़ी कहते हैं कि हमें चीन की वजह से मिसाइल टेस्ट नहीं टालना चाहिए, क्योंकि वह ऐसी हरकतें करता रहेगा। हमें नई मिसाइलों की जरूरत है ताकि हमारी सैन्य शक्ति में इजाफा हो। हमारे ईस्ट और वेस्ट में मौजूद दोनों देशों का नजरिया भारत को लेकर ठीक नहीं है। जैसे-जैसे समय बीत रहा है चीन अपने सैनिक डिप्लॉयमेंट को LAC पर बढ़ा रहा है। ऐसे में हमें ऐसी मिसाइलों की बहुत जरूरत है।

इन जासूसी जहाजों को चीन की सेना ऑपरेट करती है

चीन के पास कई जासूसी जहाज हैं। ये पूरे प्रशांत, अटलांटिक और हिंद महासागर में काम करने में सक्षम हैं। ये शिप जासूसी कर बीजिंग के लैंड बेस्ड ट्रैकिंग स्टेशनों को पूरी जानकारी भेजते हैं। चीन युआन वांग क्लास शिप के जरिए सैटेलाइट, रॉकेट और इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल की लॉन्चिंग को ट्रैक करता है।

अमेरिकी रक्षा विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, इस शिप को चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी यानी PLA की स्ट्रैटेजिक सपोर्ट फोर्स यानी SSF ऑपरेट करती है। SSF थिएटर कमांड लेवल का ऑर्गेनाइजेशन है। यह PLA को स्पेस, साइबर, इलेक्ट्रॉनिक, इन्फॉर्मेशन, कम्युनिकेशन और साइकोलॉजिकल वारफेयर मिशन में मदद करती है।

चीन के जासूसी जहाज पावरफुल ट्रैकिंग शिप हैं। ये शिप अपनी आवाजाही तब शुरू करते हैं, जब भारत या कोई अन्य देश मिसाइल टेस्ट कर रहा होता है। शिप में हाईटेक ईव्सड्रॉपिंग इक्विपमेंट (छिपकर सुनने वाले उपकरण) लगे हैं। इससे यह 1,000 किमी दूर हो रही बातचीत को सुन सकता है।

मिसाइल ट्रैकिंग शिप में रडार और एंटीना से बना इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम लगा होता है। ये सिस्टम अपनी रेंज में आने वाली मिसाइल को ट्रैक कर लेता है और उसकी जानकारी एयर डिफेंस सिस्टम को भेज देता है। यानी, एयर डिफेंस सिस्टम की रेंज में आने से पहले ही मिसाइल की जानकारी मिल जाती है और हमले को नाकाम किया जा सकता है।

भारत के नौसेना बेस चीन के रडार में आ जाएंगे

कोलंबो पहुंचने के बाद इस शिप की पहुंच दक्षिण भारत के प्रमुख सैन्य और परमाणु ठिकाने जैसे कलपक्कम, कुडनकुलम तक होगी। साथ ही केरल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश के कई पोर्ट यानी बंदरगाह चीन के रडार पर होंगे।

एक्सपर्ट का यह भी कहना है कि चीन भारत के मुख्य नौसैना बेस और परमाणु संयंत्रों की जासूसी के लिए इस जहाज को श्रीलंका भेज रहा है। चीन के जासूसी जहाजों में हाई-टेक ईव्सड्रॉपिंग इक्विपमेंट (छिपकर सुनने वाले उपकरण) लगे हैं। यानी श्रीलंका के पोर्ट पर खड़े होकर यह भारत के अंदरूनी हिस्सों तक की जानकारी जुटा सकता है।

साथ ही पूर्वी तट पर स्थित भारतीय नौसैनिक अड्डे इस शिप की जासूसी के रेंज में होंगे। चांदीपुर में इसरो के लॉन्चिंग केंद्र की भी इससे जासूसी हो सकती है। इतना ही नहीं देश की अग्नि जैसी मिसाइलों की सारी सूचना जैसे कि परफॉर्मेंस और रेंज के बारे में यह जानकारी चुरा सकता है।

हाल में संयुक्त राष्ट्र महासभा सत्र के इतर न्यूयॉर्क में श्रीलंकाई विदेश मंत्री अल साबरी से अमेरिकी उप विदेश मंत्री विक्टोरिया नूलैंड ने मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने चीनी जासूसी जहाज शी यान-6 के श्रीलंका आने की खबरों पर चिंता जताई।

इस पर श्रीलंका के विदेश मंत्री साबरी ने कहा कि श्रीलंका तटस्थ देश है। श्रीलंका ने अपने क्षेत्र में किसी भी गतिविधि को अंजाम देने में विदेशी जहाजों और विमानों की ओर से अपनाई जाने वाली SOP पर काम किया है।

भारत समेत इन 5 देशों के पास हैं मिसाइल ट्रैकिंग शिप

मिसाइल ट्रैकिंग शिप भारत समेत सिर्फ 5 देशों चीन, फ्रांस, रूस और अमेरिका के पास हैं। ट्रैकिंग शिप बनाने का कॉन्सेप्ट सबसे पहले अमेरिका ने शुरू किया था। अमेरिका ने अपने मिसाइल प्रोग्राम को सपोर्ट करने के लिए दूसरे विश्वयुद्ध के बाद बचे हुए जहाजों को ट्रैकिंग शिप का रूप दे दिया था। अमेरिका ने उसके बाद से ही 25 से ज्यादा ट्रैकिंग शिप बनाए।

भारत ने 10 सितंबर 2021 को अपना पहला मिसाइल ट्रैकिंग शिप ‘ध्रुव’ लॉन्च किया था। ध्रुव एक्टिव इलेक्ट्रॉनिक स्‍कैन्‍ड अरे रडार्स (AESA) से लैस है। AESA को रडार टेक्‍नोलॉजी की सबसे उन्नत तकनीक माना जाता है। यह रडार अलग-अलग ऑब्‍जेक्‍ट्स का पता लगाने के साथ ही दुश्‍मन की सैटेलाइट्स पर भी नजर रखता है। AESA तकनीक की मदद से किसी मिसाइल की क्षमता और उसकी रेंज का भी पता लगाया जा सकता है।

ध्रुव परमाणु मिसाइल को ट्रैक करने के साथ-साथ बैलिस्टिक मिसाइल और लैंड बेस्ड सैटेलाइट्स को भी ट्रैक कर सकता है। ये समुद्र में 2 हजार किलोमीटर तक 360 डिग्री नजर रख सकता है। शिप में कई रडार का कॉम्बिनेशन सिस्टम लगा है जो एक साथ मल्टिपल टारगेट पर नजर रख सकता है।

ध्रुव कमांड, कंट्रोल और कम्युनिकेशन सिस्टम (C3) और इलेक्ट्रॉनिक सपोर्ट मेजर एंटीना (ESM) तकनीक से लैस है। ये तकनीक दूसरे जहाजों से निकलने वाले इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन को कैच कर उनकी लोकेशन का पता लगा सकती है।

ध्रुव के रडार डोम में X- बैंड रडार भी लगे हुए हैं, जो सटीक स्कैनिंग का काम कर सकते हैं। साथ ही लॉन्ग रेंज के लिए S-बैंड रडार है। ये हाई रेजोल्यूशन, जैमिंग रेसिस्टेंस और लॉन्ग रेंज स्कैनिंग के लिए सबसे आधुनिक तकनीक है। ध्रुव से चेतक और इसी तरह के मल्टीरोल हेलिकॉप्टर को भी ऑपरेट किया जा सकता है।

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