राज्य की कांग्रेस सरकार के राज में शहर गैंगस्टर्स की सैरगाह और पेपर माफिया के अड्डे बन गए हैं, बिजली माफी जैसी घोषणाएं चुनावी स्टंट मात्र हैं: नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़

बीकानेर। राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ आज बीकानेर पधारे। इस अवसर पर आयोजित पत्रकार वार्ता में पत्रकारों से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि सीएम गहलोत की फ्री बिजली की घोषणा से पूर्व जरूरी है कि सरकार पहले डिस्काॅम कंपनियों को घाटे से बाहर निकाले।


उन्होंने गहलोत पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रधानमंत्री के संबोधन से सीएम इस कदर प्रभावित हो गए हैं कि उन्हें देर रात राहत की घोषणा करने को मजबूर होना पड़ा।
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बुधवार रात को घोषणा करते हुए प्रदेश के सभी उपभोक्ताओं को 200 यूनिट तक फ्री बिजली देने की घोषणा की है। सीएम की इस सौगात पर नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने निशाना साधा है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री के संबोधन से सीएम इस कदर प्रभावित हो गए हैं कि उन्हें देर रात राहत की घोषणा करने को मजबूर होना पड़ा। उनकी ऐसी घोषणा से जनता झांसे में नहीं आएगी। उन्होंने कहा कि पहले सरकार को घाटे में चल रही डिस्काॅम कंपनियों को राहत देनी चाहिए।


फ्यूल सरचार्ज माफी को नौटंकी बताते हुए उन्होंने गहलोत की घोषणा पर सवाल उठाया तथा कहा कि 4 साल तक सरकार 55 पैसे प्रति यूनिट फ्यूल सरचार्ज वसूल रही थी। अब सरकार 200 यूनिट तक फ्यूल सरचार्ज माफ करने की नौटंकी कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के उद्यमी हड़ताल पर है तो औद्योगिक इकाईयों का फ्यूल सरचार्ज क्यों नहीं माफ किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हमारी सरकार के वक्त 18 पैसे प्रति यूनिट फ्यूल सरचार्ज वसूला जाता था। जिसे गहलोत सरकार ने बढ़ाकर 55 पैसे प्रति यूनिट कर दिया।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यूनिट कटौती का फायदा जनता को तब मिलेगा जब बिजली आएगी। उन्होंने मांग की कि इसकी जगह गहलोत महंगी बिजली की खरीद, कोयले की खरीद, भ्रष्टाचार को लेकर राहत की घोषणा करते तो बेहतर होता। इसके साथ ही किसानों को कृषि विद्युत वितरण कंपनी बनाने की घोषणाएं कब पूरी होगी? ये प्रश्न अनुत्तरित है।राठौड़ ने कहा कि पहले सरकार को उपभोक्ताओं को दी गई सब्सिडी के विरूद्ध 15 हजार 180 करोड़ की बकाया राशि विद्युत कंपनियों को चुकानी चाहिए। राज्य के तीनों डिस्काॅम करीब-करीब 1 लाख करोड़ के घाटे में चल रहे हैं। इसके अतिरिक्त बिजली कंपनियों को सब्सिडी का खर्च निकालने के लिए प्रतिवर्ष 60 हजार करोड़ का लोन लेना पड़ता है। सरकार पहले डिस्काॅम को घाटे से बाहर निकाले फिर जाकर घोषणाएं करे तो बेहतर होगा। इसके साथ ही उन्होंने राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था का हवाला दिया तथा आरोप लगाया कि राज्य में क्राइम रेट बढ़ा है। पेपर माफिया के चलते अनेक पेपर निरस्त हो रहे हैं जिससे युवा वर्ग निराशा के गर्त में है।













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