राष्ट्रपति ने 4 अप्रैल, 2021 को इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (संशोधन) अध्यादेश, 2021 को स्वीकृति दी। मंत्रिमंडल ने इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (संशोधन) अध्यादेश, 2021 के माध्यम से इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड, 2016 (संहिता) में सुधार करने के प्रस्ताव को 31 मार्च, 2021 को मंजूरी दे दी थी।
इन संशोधनों का उद्देश्य कोड के तहत सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के रूप में कॉर्पोरेट व्यक्तियों को वर्गीकृत करने के लिए एक कुशल वैकल्पिक इनसॉल्वेंसी संकल्प ढांचा उपलब्ध कराना है, ताकि सभी हितधारकों के लिए त्वरित, लागत प्रभावी और अधिकतम मूल्य परिणामों को सुनिश्चित किया जा सके और यह काम ऐसे तरीके से किया जा सके, जो एमएसएमई व्यवसायों की निरंतरता में कम से कम अवरोध पैदा करे और नौकरियों को संरक्षित करें। यह पहल विश्वास मॉडल पर आधारित है और यह संशोधन ईमानदार एमएसएमई मालिकों को यह सुनिश्चित करने का प्रयास है कि ऐसे संकल्प होते है और कंपनी उनके साथ रहेगी।
यह उम्मीद की जाती है कि कोड में एमएसएमई के लिए प्री-पैकेज्ड इन्सॉल्वेंसी रिज़ॉल्यूशन की प्रक्रिया को शामिल करने से अर्थव्यवस्था में उनके महत्व को पहचानते हुए कोविड महामारी के प्रभाव के कारण उनके व्यवसाय के विशिष्ट स्वरूप के कारण एमएसएमई को होने वाली परेशानी दूर हो जाएगी। यह एमएसएमई के रूप में वर्गीकृत व्यक्तियों के लिए निपुण वैकल्पिक इन्सॉल्वेंसी रिज़ॉल्यूशन फ्रेमवर्क उपलब्ध कराता है जिससे ऋण बाजार, रोजगार संरक्षण, व्यापार करने में आसानी और उद्यम पूंजी के संरक्षण के लिए सकारात्मक संकेत सुनिश्चित होते हैं। कोड में संशोधन के अन्य अपेक्षित प्रभाव और लाभ एडजुडिकेटिंग प्राधिकरण पर कम बोझ डालते हैं और कॉर्पोरेट देनदार (सीडी) के लिए व्यावसायिक संचालन की निरंतरता, कम प्रक्रिया लागत और वित्तीय लेनदारों के लिए अधिकतम संपत्ति की प्राप्ति (एफसी) और सीडी के साथ निरंतर संबंध का आश्वासन एवं परिचालन लेनदारों के लिए अधिकार संरक्षण प्राप्त होता है।
संशोधन अध्यादेश में 4, 5, 11, 33, 34, 61, 65, 77, 208, 239, 240 जैसी धाराओं में संशोधन करने और 11ए, 67ए, 77ए जैसी नई धाराएं जोड़ने और इस कोड़ में एमएसएमई के लिए प्री-पैकेज्ड इन्सॉल्वेंसी रिज़ॉल्यूशन प्रक्रिया के बारे में IIIए के रूप में नया अध्याय सम्मिलित करने का प्रयास किया गया है। जिसकी सिफारिश इनसॉल्वेंसी कानून समिति (आईसीएल) द्वारा की गई थी। संशोधनों का विवरण अनुबंध I में दिया गया है।
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