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लघुकथा- उद्भव और विकास के सोपान विषय पर संवाद कार्यक्रम आयोजित

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बीकानेर। अजित फाउण्डेशन बीकानेर में मासिक संवाद के अन्तर्गत ‘‘हिन्दी लघु कथा-उद्भव और विकास के सोपान’’ विषय पर अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए सुप्रसिद्ध कथाकार संजय पुरोहित ने कहा कि लघु कथा भारतेन्दू हरिश्चन्द्र काल से चली आ रही है इसका उल्लेख 1876 में बिहार में लिखी गई लघुकथा से हमें पता चलता है। पुरोहित ने कहा कि भारत में कथा का प्रचलन काफी समय से चला रहा है, जिसमें लघुकथा एक है। हम बोद्धकथा, जातक कथाओं को पढ़ते आ रहे यह लघुकथाओं का ही स्वरूप थी।
संजय पुरोहित ने अपनी बात रखते हुए कहा कि लघुकथाओं में विषयान्तर्गत न होते हुए कथा को अंजाम दिया जाता है। भारत में वर्तमान समय में सबसे ज्यादा लघुकथाओं का प्रचलन है।
संवाद के मुख्य वक्ता के रूप में अपना व्यक्व्य देते हुए लघुकथाकार साहित्यकार नदीम अहमद नदीम ने लघुकथा विधा के सफर को रेखांकित करते हुए कहा कि पंचतंत्र, हितोपदेश, जातक और लोककथा से आंख मूंदकर भारतीय लघुकथा का इतिहास लिखने की हिमायत नहीं की जा सकती। नदीम अहमद नदीम ने कहा कि शोध और निष्कर्ष बताते है कि आधुनिक लघु कथा का प्रारम्भ भारतेन्दू काल से माना जाता है।
विस्तार से चर्चा करते हुए नदीम अहमद नदीम ने कहा कि लघुकथा अपने रंगरूप, शिल्प शैली, यथार्थ और व्यवहार में निरन्तर बदल रही है।
सामाजिक सरोकारो की हिन्दी लघुकथाएं आधुनिक जीवन मूल्यों, भौतिकता, बाजारवाद, के साथ-साथ सामाजिक सद्भाव आदि विषयों को छूते हुए पाठकों की विचार प्रक्रिया में उत्प्रेरक की भूमिका निभा रही है।
कार्यक्रम के आरम्भ में संस्था समन्वयक संजय श्रीमाली ने संस्था की गतिविधियों के बारे में बताते हुए कहा कि संवाद श्रृंखला से प्रश्न करने की प्रवृति का विकास होता है तथा हमें नये-नये विषयों के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।
कार्यक्रम के दौरान जुगल पुरोहित, अब्दुल शकुर सिसोदिया, आत्माराम भाटी, राजाराम स्वर्णकार, मधु आचार्य, नरसिंह बिन्नाणी, अहमद हरूण कादरी, रवि पुरोहित, राजेन्द्र जोशी आदि ने अपने विचार प्रस्तुत किए
कार्यक्रम के अंत में षिक्षाविद् डॉ. फारूक चौहान ने आए हुए अगुन्तुको का आभार एवं धन्यवाद ज्ञापित किया।
कार्यक्रम में त्रिलोक सिंह, इसरार हसन कादरी, अल्लादीन निर्बाण, योगेन्द्र पुरोहित, मूलचंद महात्मा, महेष उपाध्याय, आत्माराम भाटी, मो. रफीक पठान, इमत्याज अहमद, मो. सलीम, डॉ. नमामी शंकर आचार्य, जाकीर अदीब, नगेन्द्र किराडू, हरीश बी. शर्मा, प्रेम नारायण व्यास, विप्लव व्यास, कासीम बीकानेरी, मोनिका गौड़, राजाराम स्वर्णकार, रवि पुरोहित, सागर सिद्धीकी, दमयन्ती सुथार, सुनील गज्जाणी, डॉ. गौरीशंकर प्रजापत, डॉ. शंकर लाल स्वामी, डॉ. नरसिंह बिन्नाणी आदि की गरीमामय उपस्थिति रही।

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