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वेटरनरी फार्माकोलॉजी की राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का हुआ समापन ,जरूरत आधारित एवं समाजोपयोगी शोध आज की आवश्यकता: कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग

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बीकानेर, 4 नवम्बर। वेटरनरी विश्वविद्यालय में चल रही फार्माकोलॉजी एवं टॉक्सिकोलॉजी की तीन दिवसीय 23वीं राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का शनिवार को समापन हुआ। समापन समारोह में कुलपति प्रो. सतीश के. गर्ग ने कहा कि हमें वर्तमान परिस्थितियों एवं आवश्यकता के अनुसार शोध को प्राथमिकता देनी चाहिए। शोध के परिणाम वैज्ञानिक विश्लेषणों पर आधारित एवं समाजोपयोगी होने चाहिए। पशुपालकों को सस्ती एवं सुरक्षित पशुचिकित्सा उपलब्ध करवाना हमारी जिम्मेदारी और चुनौती है। हमें इथेनोफार्माकोलॉजी, क्लिनिकल, फार्माकोलॉजी, टोक्सिकोलॉजी, न्यूट्रीशनल फार्माकोलॉजी के क्षेत्र में गुणवत्ता युक्त शोध की आवश्यकता है। प्रो. ए.एम. ठाकर, अध्यक्ष आई.एस.वी.पी.टी. ने सम्मेलन की सिफारिशों को साझा किया और कहा कि प्रतिजैविक प्रतिरोधकता शोध हेतु सामूहिक प्रयास करने होंगे जिसमें मेडिकल, एग्रीकल्चर, इंडस्ट्री सभी क्षेत्र शामिल हो। विद्यार्थियों के पाठ्यक्रम में इंडस्ट्री एक्सपोजर पर बल देना होगा तथा एकेडेमिक एवं इंडस्ट्री में समन्वय स्थापित करने पर ध्यान देना होगा। समापन समारोह के मुख्य अर्तििथ प्रो. आर.डी. राणा ने वैज्ञानिक सिफारिशों को महत्वपूर्ण बताते हुए सम्मेलन के सफल आयोजन के लिए आभार जताया। सम्मेलन के अंतिम दिन फार्माकायनेटिक, क्लिनिकल फार्माकोलॉजी एवं टोक्सिकोलॉजी और एंटीमाइक्रोबियल विषय पर तकनीकी सत्रों का आयोजन किया गया जिसमें प्रतिभागियों द्वारा 20 शोध पत्रों का वाचन किया गया।


पुरस्कार एवं सम्मान
कॉन्फ्रेंस की आयोजन सचिव डॉ. प्रतिष्ठा शर्मा ने बताया कि समापन सत्र में डॉ. सी.वी. हारिथा को डॉ. ए.एन. ठाकर युवा वैज्ञानिक पुरस्कार, डॉ. एस. रामनारायणन को प्रो. वी.वी. रानाडे युवा वैज्ञानिक पुरस्कार, डॉ. आकाश राउत को डॉ. आर. नटराजन पुरस्कार, मिमांशा शर्मा को डॉ. जे.वी. अनंजारिया पुरस्कार एवं डॉ. शीन टुकारा को इंटास फार्मा युवा वैज्ञानिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इथेनोफार्माकोलॉजी, मोलिक्यूलर और न्यूरोफार्माकोलॉजी, टोक्सिकोलॉजी ऑफ जीनोबायोटिक एवं न्यूट्रीशनल फार्माकोलॉजी और न्यूट्रास्यूटिकल तकनीकी सत्रों के दौरान कुल 5 लीडपेपर 75 शोध पत्र एवं 48 पोस्टर प्रस्तुत किये गये। समापन सत्र में अधिष्ठाता प्रो. ए.पी. सिंह ने स्वागत भाषण दिया। डॉ. अशोक गौड़ ने मंच का संचालन किया एवं डॉ. अमिता रंजन ने धन्यवाद ज्ञापित किया। समापन सत्र के दौरान विश्वविद्यालय डीन डायरेक्टर, फैकल्टी सदस्य, विद्यार्थी एवं सम्मेलन के प्रतिभागी उपस्थित रहे।

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