मुंबई। 12 दिसंबर 2024; प्रख्यात डोगरी लेखक, विचारक, कवि, निर्देशक और फिल्म निर्माता वेद राही को आज साहित्य अकादेमी के सर्वोच्च सम्मान साहित्य अकादेमी महत्तर सदस्यता से सम्मानित किया गया। स्वास्थ्य कारणों के चलते यह संक्षिप्त अलंकरण कार्यक्रम उनके ठाणे स्थित आवास पर किया गया। सम्मान स्वरूप दिए जाने वाला ताम्रफलक साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक और सचिव के. श्रीनिवासराव द्वारा प्रदान किया गया। अलंकरण प्राप्त करने के बाद वेद राही ने इस सम्मान को घर पर आकर देने के लिए साहित्य अकादेमी का आभार प्रकट किया।
इस अवसर पर साहित्य अकादेमी के अध्यक्ष माधव कौशिक ने कहा कि यह मेरे लिए स्वयं को गौरवान्वित होने का दुर्लभ अवसर है। वेद राही का डोगरी के साथ हिंदी और उर्दू का उत्कृष्ट और विपुल लेखन आने वाली पीढ़ियों के लिए सदा प्रेरणादायक रहेगा। इस अवसर पर साहित्य अकादेमी सचिव के.श्रीनिवासराव ने उनके सम्मान में प्रशस्ति का पाठ करते हुए कहा कि वेद राही बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति है। आपने बतौर लेखक, निर्देशक तथा निर्माता के रूप में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। आपने सहजता से कहानियाँ, पटकथाएँ तथा संवाद लिखें है तथा उन पर अपनी अमिट छाप छोड़ी है। इस अवसर पर सामान्य परिषद् के सदस्य नरेंद्र पाठक भी उपस्थित थे।
वेद राही का जन्म मई 1933 को हुआ। आपका पैतृक स्थान जम्मू, कश्मीर है। उन्हें अपने माता-पिता से ऐसा पारिवारिक माहौल मिला जहाँ लेखन, प्रकाशन तथा मुद्रण संयुक्त गतिविधियाँ अनुष्ठान की तरह थीं अतः वेद राही के लिए साहित्य तथा पत्रकारिता में रुचि विकसित होना स्वाभाविक था। आप विगत छह दशकों से उर्दू, डोगरी तथा हिंदी भाषाओं में निरंतर लेखन कर रहे है। आपने 25 फिल्मों का लेखन किया तथा पाँच का निर्देशन भी किया है। आप हिंदी तथा उर्दू में लिखने में उतने ही निपुण है, जितने कि मातृभाषा डोगरी में।
आपको डोगरी कहानी-संग्रह ‘आले’ के लिए 1983 में साहित्य अकादेमी पुरस्कार, 1971 में महाराष्ट्र गौरव पुरस्कार, सर्वश्रेष्ठ पटकथा पुरस्कार, जम्मू-कश्मीर कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी पुरस्कार, 1992 में टी.वी.धारावाहिक ‘गुल, गुलशन, गुलफ़ाम’ के लिए अपट्रॉन का सर्वश्रेष्ठ निर्देशक पुरस्कार, 2011 में केंद्रीय हिंदी संस्थान द्वारा महापंडित राहुल सांस्कृत्यायन पुरस्कार, 2015 में अनुवाद के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार, 2018 में डोगरी कविता में योगदान के लिए प्रतिष्ठित ‘दीनू भाई पंत पुरस्कार तथा 2018 में कुसुमाग्रज राष्ट्रीय साहित्य पुरस्कार सहित कई सम्मानों से विभूषित किया जा चुका है।
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