NATIONAL NEWS

वो ट्रेनें जिनके तकिये-चादर हफ्तों तक नहीं धुल रहे:अधिकारियों ने बिना जांच के दिया 4.31 करोड़ का ठेका; बदबूदार बिस्तरों के कारण बीमारी का खतरा

TIN NETWORK
TIN NETWORK
FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

वो ट्रेनें जिनके तकिये-चादर हफ्तों तक नहीं धुल रहे:अधिकारियों ने बिना जांच के दिया 4.31 करोड़ का ठेका; बदबूदार बिस्तरों के कारण बीमारी का खतरा

राजस्थान के सबसे बड़े रेलवे स्टेशन जयपुर जंक्शन से चलने वाली ट्रेनों के एसी कोच में सफर करने वाले यात्रियों के साथ धोखा किया जा रहा है। उन्हें गंदी बेडशीट, चद्दर और तकिये दिए जा रहे हैं।

ऋषि एंटरप्राइजेज नाम की जिस कंपनी को रेलवे ने बेडशीट, चद्दर और तकिये धोने के लिए 4.31 करोड़ रुपए का टेंडर जारी किया था। उसकी जयपुर में खुद की कोई लॉन्ड्री या धुलाई प्लांट ही नहीं है।

अब कंपनी ने एक किराए के मकान में प्लांट सेटअप करने की तैयारी की है, लेकिन उसमें न लाइट कनेक्शन है और न ही धुलाई का काम शुरू किया गया है।

जब कंपनी का प्लांट ही तैयार नहीं है तो रेलवे के हजारों कंबल, बेडशीट और चद्दर कैसे धोए जा रहे हैं?

इस सवाल का जवाब जानने के लिए रिपोर्टर ने पूरे मामले को इंवेस्टिगेट किया।

पढ़िए पूरी रिपोर्ट…

किराये के मकान में सेटअप किया गया प्लांट, जहां अभी तक बिजली कनेक्शन भी नहीं है।

किराये के मकान में सेटअप किया गया प्लांट, जहां अभी तक बिजली कनेक्शन भी नहीं है।

ट्रेन में मैले तकिये और चादर

पड़ताल के पहले दिन जयपुर रेलवे स्टेशन पहुंची। हमने जयपुर से इंदौर जाने वाली ट्रेन संख्या 12974 में थ्री टीयर एसी कोच में बुकिंग करा रखी थी। रात 8:45 बजे ट्रेन स्टेशन से रवाना हुई।

हमने देखा कि हमारी सीट पर पहले से ही एक कंबल और तकिया पड़ा था। वहीं, पास में एक लिफाफे में 2 चादर भी रखी हुई थी।

चेक किया तो कंबल से बदबू आ रही थी। वहीं, चादर और तकिये पर चाय के जैसे दाग भी दिख रहे थे।

ट्रेन की इसी बोगी में हमें यात्री रामप्रताप और सुनील मिले। हमने उन्हें पूछा कि आप की सीट पर भी कंबल, चादर और तकिया पड़ा है, क्या ये धुले हुए हैं?

अटेंडेंट बोला- तकिये महीने में एक बार धुलते हैं

इसी दौरान हमें कोच का अटेंडेंट रतनलाल भी मिल गया। हमने उससे पूछा कि क्या आज ट्रेन में यात्रियों को यही चादर, कंबल और तकिये मिलेंगे, जो सीटों पर रखे हुए हैं। अटेंडेंट ने जवाब दिया-जी, यहीं मिलेंगे।

हमने उसे पूछा कि ये सब ट्रेन में कहां से आता है? जवाब मिला- रेलवे से मिलता है। हमने पूछा- क्या ये रेलवे ही ये चादर, कंबल और तकिये धोता है? उसने कहा- नहीं, इसके लिए ऋषि एंटरप्राइजेज नाम से एक कंपनी को ठेका दिया है। वही रोज इनकी धुलाई करती है और ट्रेन में भिजवाती है।

इसके बाद हमने अटेंडेंट को हमारी सीट पर पड़ा तकिया दिखाकर पूछा कि क्या ये तकिया धुला हुआ है? अटेंडेंट बोला- अभी इस पर कवर चढ़ेगा।

इसके बाद वो हमें कोच के आखिर में ले गया। वहां एक आलमारी से कवर निकाल कर हमें दे दिया। ये कवर साफ था।

हमने उससे पूछा- इसका मतलब तकिये की धुलाई नहीं होती है?

जिस कंपनी को 4.31 करोड़ का टेंडर, उसके पास प्लांट ही नहीं

ट्रेन के बाद टीम ने ऋषि एंटरप्राइजेज को लेकर पड़ताल की, जिसे कंबल, बेडशीट और तकिये आदि की धुलाई का काम सौंपा गया है।

17 जनवरी 2024 को रेलवे ने ट्रेन की बेडशीट, कंबल और तकिये की धुलाई आदि के लिए ऋषि एंटरप्राइजेज को 4.31 करोड़ रुपए का टेंडर जारी किया था।

फिलहाल इसे जयपुर से चलने वाली 3 ट्रेनों का काम दिया गया था, जिसे आगे बढ़ाकर सभी ट्रेनों में करने की योजना है।

पड़ताल में सामने आया कि ऋषि एंटरप्राइजेज के पास जयपुर में खुद की कोई लॉन्ड्री या धुलाई प्लांट नहीं था।

टेंडर मिलने के बाद कंपनी ने हाल ही में हसनपुरा में एनबीसी फैक्ट्री के पीछे एक किराए के मकान में प्लांट सेटअप करने की तैयारी की है।

प्रॉपर्टी डीलर बनकर कंपनी के प्लांट की पड़ताल

मकान नंबर 97, दुर्गा विस्तार, हसनपुरा में स्थित इस मकान की दीवार पर नीले रंग की पट्टी पर लिखा हुआ था ऋषि इंटरप्राइजेज, लिनेन काॅन्ट्रेक्टर।

इस मकान में कुछ मजदूर और इलेक्ट्रिशियन काम कर रहे थे। इन लोगों से हमने बात की और जानकारी लेने का प्रयास किया।

मौजूद लोगों से बात करने पर पता चला कि अभी प्लांट सेटअप की तैयारी चल रही है और बिजली कनेक्शन तक नहीं हुआ है।

मौजूद लोगों से बात करने पर पता चला कि अभी प्लांट सेटअप की तैयारी चल रही है और बिजली कनेक्शन तक नहीं हुआ है।

आप लोग मकान में फैक्ट्री चला रहे हो ?

व्यक्ति : फैक्ट्री नहीं, लाॅन्ड्री है।

आप यहां मैनेजर हैं?

व्यक्ति : नहीं, मैं मैनेजर नहीं हूं, वह बाहर गए हैं।

आप क्या काम करते हो यहां ?

व्यक्ति : मैं यहां काम करता हूं। कलर पेंट का काम चल रहा है।

लॉन्ड्री कब तक चालू हो जाएगी ?

व्यक्ति : बिजली का कनेक्शन कर रहे हैं।

यहां का मालिक कौन है ?

व्यक्ति : मालिक का नहीं पता, यहां मैं मैनेजर के जरिए आया था।

एक दिन में आप लोग कितने कपड़े धो लेते हैं?

व्यक्ति : अभी लॉन्ड्री चालू नहीं हुई है।

तो फिर कपड़े कहां धुलते हैं?

व्यक्ति : बाहर भेज दिए जाते हैं।

लॉन्ड्री की जंग खाई हुई मशीनें

यहां बातचीत के दौरान हमने देखा कि लॉन्ड्री की मशीनें काफी पुरानी और जंग खाई हुई थी। पड़ताल में सामने आया कि ऋषि एंटरप्राइजेज फिलहाल खुद का प्लांट नहीं होने के कारण बेडशीट, तकिये के कवर, कंबल, तौलिये शहर के अलग-अलग धोबियों से धुलवा रहा है। नियमानुसार रेलवे प्रशासन द्वारा दिया गया काम जनरल कांट्रेक्ट कंडीशन के तहत दूसरी फर्म को सबलेट नहीं किया जा सकता है।

वहां मौजूद लॉन्ड्री की ज्यादातर मशीनें जंग खाई हुई थीं।

वहां मौजूद लॉन्ड्री की ज्यादातर मशीनें जंग खाई हुई थीं।

प्राइवेट लॉन्ड्री में धुलती मिली रेलवे की कंबलें-बेडशीट

पड़ताल की अगली कड़ी में टीम आरपीए रोड स्थित प्राइवेट लाॅन्ड्री में पहुंची। यहां श्री साई सर्विसेज नाम की लॉन्ड्री में हमें भारतीय रेलवे की बेड़शीट धुलती और प्रेस होती मिल गई।

यहां हमने खुद को होटल व्यवसाय से जुड़ा बताकर लाॅन्ड्री के मालिक युवराज सिंह से बातचीत की…

होटल की बेडशीट वगैरह किस रेट पर धुलती है?

युवराज : अलग-अलग रेट है।

आपके क्लाइंट कौन हैं ?

युवराज : कई होटल हैं और रेलवे से भी हैं।

रेलवे से क्या सब कॉन्ट्रेक्टर है?

युवराज : ऋषि एंटरप्राइजेज का काम आ रहा है।

पहले कोई दिल्ली की कंपनी थी ?

युवराज : रेलवे का काम मैं कर रहा हूं, टैग उनका लग के जा रहा है।

रेलवे के काम में 20-22 रुपए प्रति बेड़शीट से ज्यादा क्या मिलता होगा ?

युवराज : मिल जाते हैं 25 रुपए।

कहां से है आप ?

युवराज : मैं पंजाब से हूं, वीकेआई-14 पर रहता हूं।

क्या आप सिर्फ बेडशीट का काम कर रहे हो? रोजाना कितनी बेडशीट आती होंगी?

युवराज : कोई लिमिट नहीं है, कम से कम 1500 से 2000 बेडशीट आ जाती है। 24 घंटे काम होता है।

रेलवे का यह काम कैसे मिलता है ?

युवराज : टेंडर छूटता है, बड़ी फर्म लेती हैं।

फर्म ने आपको एप्रोच किया था ?

युवराज : वह खुद ही आए थे, अब जो उनसे नहीं हो रहा है। वह यहां आ रहे हैं।

श्री साई सर्विसेज लॉन्ड्री के युवराज ने बताया कि उनके पास रोज रेलवे की 1500 से 2000 बेडशीट आ जाती हैं।

श्री साई सर्विसेज लॉन्ड्री के युवराज ने बताया कि उनके पास रोज रेलवे की 1500 से 2000 बेडशीट आ जाती हैं।

इसके बाद हम कमला नेहरू नगर में अमित धोबी नामक व्यक्ति के पास पहुंचे। ऋषि एंटरप्राइजेज ने इन्हें भी काम सबलेट किया हैं। पढ़िए पूरी बातचीत…

टेंट का काम है, धुलाई करवानी है क्या लगेगा ?

अमित : मैं रेलवे का काम करता हूं।

किसका काम आता है?

अमित : ऋषि एंटरपराइजेज और दिल्ली की कंपनी है।

रेलवे में क्या करते हैं ?

अमित : रेलवे की लाॅन्ड्री है, काम बड़ा है। लाखों का है। लाॅन्ड्री छोटी पड़ गई है, इसलिए बाहर भेज रहे हैं।

क्या रेट मिलती है?

अमित : 28 रुपए के अंदर दो बेड़शीट, तकिये का कवर और टॉवल लेते हैं। अपने पास मशीन हैं, धाे देते हैं।

: कितने समय का काॅन्ट्रेक्ट है?

अमित : एक साल का बता रहे हैं भाई साहब।

अमित ने बताया कि बताया कि बेडशीट, तकिये के कवर व टॉवल के एक सेट की धुलाई के 28 रुपए लेते हैं।

अमित ने बताया कि बताया कि बेडशीट, तकिये के कवर व टॉवल के एक सेट की धुलाई के 28 रुपए लेते हैं।

बिना प्लांट विजिट रेलवे ने कैसे दे दिया काम

पड़ताल में सामने आया कि रेलवे अधिकारियों ने मध्यप्रदेश की एक ऐसी फर्म को ट्रेन की बेडशीट, तकिये के कवर और चद्दर की धुलाई का काम दे दिया, जिसका प्लांट भी शुरू नहीं हुआ है।

नियमानुसार, टेक्निकल इवैल्यूएशन के दौरान रेलवे अधिकारियों ने इस प्लांट का विजिट तक नहीं किया।

ये भी अनदेखा किया कि खराब पड़ी मशीनों और बिना बिजली कनेक्शन के ये कंपनी काम कैसे करेगी। कंपनी को पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से भी अभी कोई लाइसेंस नहीं मिला है।

तीन ट्रेन का काम मिला, एक का संभाला

रेलवे विभाग के मुताबिक विब्गयोर प्राइवेट लिमिटेड पर ट्रेन में लांड्री धुलने का दबाव बढ़ रहा था। यह ध्यान में रखते हुए रेलवे विभाग की ओर से जयपुर- अहमदाबाद (12981/82), जयपुर- भोपाल (19711) और जयपुर- इंदौर (12974) के लिए धुलाई का कार्य के लिए नया टेंडर 19 दिसंबर 2023 को किया गया।

रेलवे प्रशासन की ओर से विब्गयोर प्राइवेट लिमिटेड़ से दोगुनी रेट पर ऋषि एंटरप्राइजेज को 17 जनवरी 2024 को 4.31 करोड़ रुपए में काम दिया गया। ऋषि एंटरप्राइजेज की ओर से आवश्यकतानुसार बेडशीट, पिलो कवर और टॉवल नहीं दिये जा रहे।

ऋषि एंटरप्राइजेज को औसतन 7500 बेडशीट, 3750 तकिये के कवर व टॉवल धोने होते हैं। प्लांट नहीं होने से आधे ही धुल पा रहे हैं, वे भी दूसरी लॉन्ड्री से।

ऋषि एंटरप्राइजेज को औसतन 7500 बेडशीट, 3750 तकिये के कवर व टॉवल धोने होते हैं। प्लांट नहीं होने से आधे ही धुल पा रहे हैं, वे भी दूसरी लॉन्ड्री से।

बाहर के ठेकेदार रोज धो रहे 2500 बेडशीट, 1500 कवर

ऋषि एंटरप्राइजेज को औसत 7500 बेडशीट, 3750 तकिये के कवर और टॉवल रोजाना धोने होते हैं। प्लांट नहीं होने के कारण फर्म रोजाना 2500 तक बेडशीट, 1500 तकिये के कवर और टॉवल ही धुलवा रही है। ऐसे में रोजाना आधे से ज्यादा यात्रियों को साफ बेडशीट, तकिये कवर और टॉवल में गंदे के साथ यात्रा करना पड़ता है।

अब पढ़िए मामले में सीनियर डीएमई प्रमोद रावत के तर्क…

नई कंपनी ऋषि एंटरप्राइजेज को धुलाई का काम देने की वजह

रावत : हमारे ऊपर वर्कलोड बढ़ता जा रहा है, मैन पावर कम है। एसी कोच की संख्या बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं। सेटअप जरूरतों को केटर नहीं करता है। सेटअप बढ़ाने के लिए नई कंपनियों से बेडशीट आदि धुलवाने का काम शुरू किया गया।

क्या आपको पता है कि ये कंपनी दूसरी लॉन्ड्री से कपड़े धुलवा रही है?

रावत : यह सही है नियमानुसार काम किसी को सबलेट नहीं किया जा सकता है। लेकिन, प्लांट शुरू नहीं हुआ तो हमने पहले भी बाहर बेडशीट, तकिये और पिलो कवर धुलवाए हैं।

ऋषि इंटरप्राइजेज का तर्क : हसनपुरा में है प्लांट

ऋषि इंटरप्राइजेज से जुड़े रितेश से बात कर उनका पक्ष जाना। रितेश ने बताया कि बेडशीट, पीलो कवर और टॉवल धोने का प्लांट एनबीसी के पीछे हसनपुरा में स्थित है। यहां पर 15 साल से मेरी खुद की प्रापर्टी है। यहां पर मेरा काम चलता है।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

About the author

THE INTERNAL NEWS

Add Comment

Click here to post a comment

error: Content is protected !!