श्रीगंगानगर का किन्नू इस बार नहीं जाएगा बांग्लादेश:टैक्स बढ़ने से रुका एक्सपोर्ट, 3 साल में इस बार सबसे ज्यादा हुआ प्रोडक्शन

श्रीगंगागनर में किन्नू के एक वैक्सिंग प्लांट में हो रही छंटाई।
दुनियाभर में अपने स्वाद और मिठास के लिए प्रसिद्ध श्रीगंगानगर का किन्नू इस बार अपने एक बड़े आयातक देश बांग्लादेश तक नहीं जाएगा। इसके बांग्लादेश एक्सपोर्ट में 90 प्रतिशत तक कमी आई है। बांग्लादेश सरकार के इस पर टैक्स करीब नब्बे टका प्रति किलो तक बढ़ा देने से अब स्थानीय व्यापारी इसे वहां नहीं भेज रहे हैं। इससे उन्हें पर्याप्त मुनाफा नहीं मिल पा रहा।
3 साल पहले चलाई थी किन्नू ट्रेन
ऐसे में व्यापारी अब इसे अपने दूसरे आयातक देशों भूटान, इंग्लैंड, मलेशिया, साउदी अरब आदि में खपा रहे हैं। असल में श्रीगंगानगर के कुल किन्नू उत्पादन का 30 प्रतिशत तक बांग्लादेश जाता रहा है। पिछले कुछ वर्षों में किन्नू के बांग्लादेश से व्यापार के जरिए व्यापारियों ने अच्छा लाभ कमाया है लेकिन इस बार ऐसा नहीं है। करीब 3 साल पहले श्रीगंगानगर से बांग्लादेश के बनगांव तक किन्नू ट्रेन भी चलाई गई थी। इस किन्नू ट्रेन में श्रीगंगानगर से 2 हजार किलोमीटर दूर बांग्लादेश में 350 टन से ज्यादा श्रीगंगानगर का किन्नू भिजवाया गया था।

श्रीगंगानगर के एक बगीचे में लगे किन्नू।
इस साल 4 लाख मीट्रिक टन प्रोडक्शन
तीन साल पहले श्रीगंगानगर से बांग्लादेश के लिए रवाना हुई किन्नू ट्रेन में 15 बोगी लगी थी। प्रत्येक बोगी में करीब 23 टन किन्नू सहित साढ़े तीन सौ टन से ज्यादा किन्नू बांग्लादेश भिजवाया गया था। इसके बाद के वर्षों में बांग्लादेश सरकार के टैक्स बढ़ा दिए जाने से व्यापार में कमी आई। इस साल जिले में किन्नू का उत्पादन 3 लाख 80 हजार मीट्रिक टन था। इसके बाद के वर्षों में वर्ष 2021-22 में करीब 2 लाख मीट्रिक टन और वर्ष 2022-23 में महज 95 हजार मीट्रिक टन होने से निर्यात पर असर पड़ा। जबकि इस साल भारत और बांग्लादेश के बीच इस व्यापार को लेकर पर्याप्त बातचीत नहीं हो पाने के कारण यह बांग्लादेश नहीं जा पाया, जबकि इस साल का अनुमानित उत्पादन करीब 4 लाख मीट्रिक टन है।

श्रीगंगागनर के एक किन्नू वैक्सिंग प्लांट में रखा किन्नू।
तीन दशक से हो रहा है कई देशों में निर्यात
किन्नू क्लब के मुदित जैन बताते हैं कि किन्नू का अन्य देशों को निर्यात करीब 3 दशक यानि कि 30 साल पहले शुरू हुआ। उस समय इंग्लैंड के फल व्यापारी टॉनी बटलर श्रीगंगानगर आए थे। उन्होंने यहां के किन्नू में संभावनाएं देखीं, तो इसे इंग्लैंड मंगवाया। तब ये यह फल लगातार इंग्लैंड ही नहीं श्रीलंका, भूटान, साउदी अरब, बांग्लादेश और मलेशिया सहित कई देशों में जाता है।

श्रीगंगानगर के एक किन्नू वैक्सिंग प्लांट में छंटाई करते व्यापारी।
इस बार साढ़े 12 हजार हेक्टेयर एरिया में है किन्नू
हॉर्टिकल्चर विभाग की डिप्टी डायरेक्टर प्रीति गर्ग बताती हैं कि इस बार श्रीगंगानगर जिले में करीब साढ़े 12 हजार हेक्टेयर एरिया में किन्नू है। इसके साथ ही उत्पादन भी बंपर है। पिछले साल जहां फरवरी में किन्नू की फ्लॉवरिंग के समय तापमान ज्यादा रहा था और किन्नू में फ्लावर गिर जाने से प्रोडक्शन ज्यादा नहीं हो पाया था। वहीं इस बार उचित तापमान, पूरा पानी मिलने और कोहरे के कारण किन्नू का उत्पादन 4 लाख मीट्रिक टन होने की संभावना है।
उन्होंने बताया कि बांग्लादेश सरकार ने भारत से आने वाले किन्नू पर टैक्स बढ़ा दिया है। ऐसे में वहां निर्यात प्रभावित हुआ है। इलाके में अगर किन्नू से बनने वाले बाईप्रोडक्ट्स की फैक्ट्रियां लग जाएं, तो इसका अच्छा उपयोग हो सकता है।

श्रीगंगानगर के एक बगीचे में लगे किन्नू।
व्यापारी बोले- अब अन्य देशों में खपाएंगे
किन्नू की वैक्सिंग और ग्रेडिंग कर इसे अन्य देशों में निर्यात करने वाले व्यापारी बताते हैं कि किन्नू का बांग्लादेश जाना 90 प्रतिशत तक कम हो गया है। किन्नू संघ के श्याम बगड़िया का कहना है कि एक साल तो ट्रेन चली, लेकिन अन्य वर्षों में जहां हर दिन 50 ट्रक किन्नू बांग्लादेश जाता था, वहीं इस साल यह महज 5 ट्रक प्रतिदिन ही रह गया है। किन्नू को बांग्लादेश भेजने में बड़ा खर्च तो आता ही है। इसके साथ ही वहां प्रति किलो नब्बे टका बढ़ा टैक्स अदा करने के बाद व्यापारियों को लाभ ही नहीं रह पाता है। ऐसे में अब इस किन्नू को अन्य देशों में खपाएंगे।

श्रीगगानगर में हो रही किन्नू की छंटाई।
व्यापारियों के सामने कई समस्याएं
व्यापारी मुकेश जांगिड़,टीसी बंसल, महेंद्र उतरेजा और दिव्य सहारण का कहना था कि व्यापारियों के सामने बांग्लादेश निर्यात रुकने के साथ-साथ सुविधाएं नहीं मिल पाने जैसी कई बड़ी समस्याएं हैं। इन्हें भी दूर किए जाने की जरूरत है।
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