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समय के ललाट पर इतिहास के अमिट हस्ताक्षर: नवीन संसद भवन के लोकार्पण दिवस पर खेल और खिलाड़ियों के साथ हुए दुर्व्यवहार ने बनाया इस दिन को लोकतंत्र के लिए काला दिवस, पढ़ें डॉ मुदिता पोपली की विशेष रिपोर्ट

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REPORT BY DR MUDITA POPLI

कुछ तारीखें समय के ललाट पर इतिहास का अमिट हस्ताक्षर बन जाती हैं। 28 मई 2023 का दिन ऐसा ही शुभ अवसर है। यह नया भवन आत्मनिर्भर भारत के सूर्योदय का साक्षी बनेगा, संसद में अपने पहले वक्तव्य में यह कहते हुए शायद प्रधानमंत्री मोदी ने नहीं सोचा होगा कि यह दिन इतिहास का अमिट हस्ताक्षर लाल रंग की जगह एक काला दंश बनकर भारत के लोकतंत्र को ग्रहण लगाएगा। एक ओर लगभग पूरे विपक्ष का बहिष्कार और दूसरी तरफ देश की आन बान और शान कहलाने वाले खिलाड़ियों के साथ हुए दुर्व्यवहार ने इस दिन को इतिहास में कुछ अलग ही अंदाज में दर्ज करवा दिया।
एक ओर जहां संसद का उद्घाटन सत्र चल रहा था वहीं दूसरी ओर दिल्ली के जंतर-मंतर से पहलवानों को रविवार को वहशी ढंग से हटा दिया गया। पहलवानों ने महिला महा पंचायत के लिए घोषित स्थल की ओर जाने के लिए मार्च निकालना शुरू किया। रविवार सुबह करीब 11 बजे पहलवान संसद की और बढ़ने लगे तो पुलिस ने बेरीकेड लगाकर जंतर-मंतर पर ही रोक दिया गया। यहां पर पहलवानों और पुलिस के बीच जमकर धक्का मुक्की हुई। पहलवानों ने बेरीकेड तोड़ दिए और केरल भवन से होते हुए संसद भवन की और बढ़ने लगे। इसके बाद पुलिस ने सभी पहलवानों को पकड़कर हिरासत में ले लिया। झड़प के दौरान बेरीकेड के पास फोगाट बहनें सड़क पर गिर गईं। इनके हाथों में तिरंगा था। पुलिस ने इनको भी हिरासत में ले लिया। हिरासत में लिए जाने के बाद पुलिस ने जंतर-मंतर पर लगे पहलवानों के सभी तंबू उखाड़ दिए तथा कुछ समय में सभी टेंट व गद्दे हटा दिए गए। साथ ही वाहनों में सभी सामान को भरवाकर यहां से हटा दिया गया।
पुलिस की इस कार्रवाई पर सारा देश त्राहिमाम करने लगा। साक्षी मलिक ने ट्वीट किया कि क्या कोई सरकार अपने देश के चैम्पियंस के साथ ऐसा बर्ताव करती है? हमने क्या गुनाह किया है?जंतर-मंतर पर जिस समय ये कार्रवाई चल रही थी, जिस दौरान यह सब घटित हो रहा था लगभग उसी समय वहां से करीब डेढ़ किलोमीटर दूर देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नव-निर्मित संसद भवन का उद्घाटन कर रहे थे। उद्घाटन सत्र में जहां एक ओर पीएम मोदी ने कहा कि ये सिर्फ एक भवन नहीं है। एक राष्ट्र के रूप में हम सभी के लिए 140 करोड़ का संकल्प ही इस संसद की प्राण प्रतिष्ठा है। यहां होने वाला हर निर्णय ही, आने वाले समय को संवारने वाला है। ठीक उसी समय जंतर-मंतर पर हुई यह कार्यवाही भारतीय लोकतंत्र के मुंह पर एक गहरा तमाचा थी।
पुलिस ने इस मामले में धारा 147, 149, 186, 188, 332, 353 और पीडीपीपी की धारा 3 के तहत मामला दर्ज किया है। दिन भर पुलिस और पहलवानों के बीच दंगल में 700 लोगों को हिरासत में लिया गया , यही नही जंतर-मंतर से प्रदर्शनकारी पहलवानों समेत 109 लोगों को हिरासत में लिया गया। वही एक ओर संगोल थामे मोदी तथा भारत के राष्ट्रीय ध्वज के साथ जमीन पर गिरे पदक विजेता खिलाड़ियों के चित्र ने देशवासियों को झकझोर डाला। साक्षी मलिक जैसी खिलाड़ी के मुंह पर पुलिस का जूता खेल और खिलाड़ियों दोनों के लिए काला अध्याय बन गया।
ये मामला यहीं शांत होता दिखाई नहीं दे रहा, जहां एक और भारत आज नए संसद भवन के विहंगम दृश्य और भारतीय लोकतंत्र के इस प्रतीक के साक्षात होने का उल्लास मना रहा था वही खिलाड़ियों के साथ हुए इस दुर्व्यवहार ने मन स्थिति को पूरी तरह बदल डाला। आज का यह काला दिन वर्तमान सरकार के लिए कितना घाटे का सौदा सिद्ध होगा यह तो वक्त बताएगा पर केवल देश ही नहीं अपितु विश्व भर में खिलाड़ियों के साथ हुए इस दुर्व्यवहार ने भारतीय लोकतंत्र की मर्यादा और गरिमा को लेकर प्रश्न चिन्ह अंकित कर दिए हैं।

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