सरकारी झूठ:रीको ने लिखा-सहमति जरूरी नहीं, पीसीबी की जांच में जवाब गलत निकला
बीकानेर
राजस्थान राज्य औद्योगिक विकास एवं निवेश निगम (रीको) एरिया में जल, वायु और पर्यावरण अधिनियम की पालना नहीं होने पर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने रीको पर 4.80 करोड़ से अधिक की पर्यावरण क्षतिपूर्ति लगाते हुए कारण बताओ नोटिस जारी किया है, जबकि रीको की ओर से अपने ही मुख्यालय को हर तीन महीने पर तीनों एक्ट की पालना रिपोर्ट भेजी जा रही है।
प्रदेश में राइजिंग राजस्थान ग्लोबल इंवेस्टमेंट समिट के जरिए 35 लाख करोड़ के निवेश कराए जा रहे हैं। बीकानेर में भी 31 हजार करोड़ का निवेश करने के लिए 139 से अधिक औद्योगिक इकाइयां आने वाली हैं, लेकिन रीको इंडस्ट्रियल एरिया की बदहाल सूरत को देखते हुए यहां कितने उद्योग विकसित होंगे, कहना मुश्किल है।
रीको के करणी औद्योगिक क्षेत्र के कई बीघा जमीन पर फैक्ट्रियों से निकलने वाले केमिकल युक्त जहरीले पानी की समस्या अब तक खड़ी है। खारा गांव पीओपी फैक्ट्रियों से निकलने वाले धुएं के कारण खुली हवा में सांस नहीं ले पा रहा। इन समस्याओं के समाधान को लेकर किए जा रहे उपायों की सूचना एक आरटीआई एक्टिविस्ट ने मांगी थी। वह रिपोर्ट सूचना आयोग के दखल से मिली, जिसमें चौंकाने वाले दस्तावेज सामने आए हैं। दरअसल औद्योगिक संपदा क्षेत्रों में रीको को जल अधिनियम 1974 की धारा 25/26 और वायु अधिनियम 1981 के प्रावधानों के तहत पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से स्थापना और संचालन की सहमति लेना आवश्यक है।
रीको ने सहमति लेना तो दूर अपने जवाब में साफ मना कर दिया कि उन्हें सहमति लेने की जरूरत नहीं है। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने उनके जवाब की जांच की तो वह गलत मिला। बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी ने स्पष्ट लिखा है कि राज्य बोर्ड से स्थापना और संचालन के लिए सहमति न लेकर रीको एरिया में जल अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया जा रहा है। रीको मुख्यालय की ओर से प्रदेश की सभी यूनिट्स से हर तीन महीने में इस बात का प्रमाण पत्र लिया जाता है कि उनके क्षेत्र में जल अधिनियम 1974, वायु अधिनियम 1981 और पर्यावरण अधिनियम 1986 की पालना हो रही है या नहीं।
हैरत की बात ये है कि इतनी गंभीर समस्याओं के बावजूद रीको की बीकानेर यूनिट की ओर से तीनों की एक्ट की पालना रिपोर्ट लगातार भेजी जा रही है। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के क्षेत्रीय कार्यालय ने हाल ही में रीको की बीकानेर यूनिट पर करणी विस्तार में प्रदूषण का भुगतान करने के लिए 4 करोड़ 82 लाख 89 हजार रुपए की पर्यावरण क्षतिपूर्ति लगाई है। साथ ही कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है।
16 क्षेत्रों में से पर्यावरण स्वीकृति केवल एक की, एक्ट सभी पर लागू
जिले में रीको के 16 औद्योगिक क्षेत्र हैं, लेकिन पर्यावरण स्वीकृति (ईसी) केवल करणी विस्तार आैद्योगिक क्षेत्र की ही ले रखी है। इनमें से 12 औद्योगिक क्षेत्र विकसित घोषित किए जा चुके हैं। केंद्र सरकार ने 50 हजार हेक्टेयर से अधिक आैद्योगिक क्षेत्र के लिए ईसी की अनिवार्यता 2006 में लागू की थी। एक्सपर्ट का कहना है कि पर्यावरण एक्ट 1986 सभी पर लागू होता है। ज्यादातर एरिया इससे पहले ही काट दिए गए थे। हालांकि नोखा एक्सटेंशन 2009 में काटा गया था। लेकिन उसकी भी ईसी लेना भूल गए।
पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड पर भी सवाल
पर्यावरण स्वीकृति बिना ही रेड कैटेगरी में आने वाली पीओपी इंडस्ट्रीज को कंसेंट टू ऑपरेट जारी करने पर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। खारा औद्योगिक क्षेत्र 1995 में काटा गया था। उसके बाद 1997 में मिनरल जोन खारा गांव के पास ही बना दिया गया। जबकि वहां जनरल जोन था। पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के तत्कालीन अधिकारियों ने बिना निरीक्षण के कंसेंट टू ऑपरेट जारी कर दी। खारा गांव में एयर क्वालिटी इंडेक्स पीएम 10 से ज्यादा होने पर पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड हरकत में आया है। बोर्ड के अधिकारी अब अपनी गलती को छिपाने में लगे हुए हैं।
हालात ये है कि पीओपी फैक्ट्रियों के प्रदूषण को कंट्रोल करने के लिए बोर्ड ने पहले किसी तरह के पैरामीटर बनाए ही नहीं। खारा गांव में प्रदूषण का मामला उजागर होने के बाद छह दिन से बोर्ड की टीम खारा में पीओपी फैक्ट्रियों के पैरामीटर तय करने में जुटी हुई है। खारा में प्रदूषण के लिए उद्यमियों के साथ-साथ रीको, पॉल्यूशन बोर्ड और पर्यावरण विभाग तीनों को ही जिम्मेदार ठहराया जा रहा है।
जल, वायु और पर्यावरण का मामला, अपने ही जवाब में घिरा रीको
जानिए…कहां-कैसे हो रहा एक्ट का उल्लंघन
1. पॉल्यूशन बोर्ड ने रीको को 17 जनवरी 12 को कंसेंट टू स्टेबलिस्ट जारी की थी। उसमें लिखा था कि एरिया ऑपरेशनल करने से पहले कंसेंट टू ऑपरेट लेना होगा, रीको ने 2019 में एरिया शुरू कर दिया, लेकिन कंसेंट टू ऑपरेट नहीं ली। इस पर बोर्ड ने रीको पर 4.82 करोड़ की पेनल्टी लगाई है। इसकी रिपोर्ट एनजीटी को भी भेजी गई है। लेकिन वसूली नहीं करने पर अब एनजीटी के वकील ने बोर्ड को नोटिस जारी किया है।
2. पर्यावरण के लिए 42 करोड़ 77 लाख रुपए का निवेश करने के बाद ही एरिया का उपयोग करने की कंसेंट देकर रीको ने पर्यावरण स्वीकृति प्राप्त की थी। लेकिन उसकी पालना अब तक नहीं हो पाई है। पॉल्यूशन बोर्ड और एनजीटी की ओर से गठित एक कमेटी ने इसकी रिपोर्ट एनजीटी में पेश की है।
3. पर्यावरण मंत्रालय के सर्कुलर 19 अगस्त 2010 के तहत 50 हेक्टेयर से ज्यादा एरिया में पर्यावरण क्लियरेंस के बिना साइट पर किसी तरह की निर्माण एक्टिविटी नहीं कर सकता। रीको ने 21 मई 2014 को इसी के लिए आवेदन किया, लेकिन इससे पहले ही एक बड़े उद्योग को अनुमति जारी कर दी। एनजीटी ने इस मामले में जिला उद्योग केंद्र के महाप्रबंधक को नोडल अधिकारी बनाया है। कलेक्टर, पर्यावरण विभाग के सचिव और पॉल्यूशन बोर्ड के सचिव की कमेटी गठित कर तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है।
“रीको को पर्यावरण, जल और वायु एक्ट के तहत पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से स्थापना और संचालन की सहमति लेना आवश्यक है। रीको एरिया में तीनों एक्ट का वॉयलेशन है। रीको की ओर से जवाब भी गलत दिया जा रहा है। हमने नोटिस जारी कर दिया है।”
राजकुमार मीणा, क्षेत्रीय अधिकारी, प्रदूषण नियंत्रण मंडल “पर्यावरण, जल और वायु एक्ट की पालना कराने का काम उन्हीं के विभागों का है। रीको कोई पॉल्यूशन नहीं कर रहा है। हम अपनी पालना रिपोर्ट मुख्यालय भेज रहे हैं। प्रदूषण फैलाने वाली इकाइयों की कंसेंट टू ऑपरेट विड्रॉ होगी तो हम भी प्लॉट कैंसिल कर देंगे।” -एसके गर्ग, डीजीएम, रीको
Add Comment