*सरकारी निशुल्क जांच के ये हैं हाल:जिला अस्पताल की सेंट्रल लैब में 10 लाख की एलाइजा व 18 लाख की काेगुलेशन एनालाइजर मशीनें उद्घाटन के एक साल बाद भी बंद*
जिला अस्पताल में निशुल्क जांच याेजना के तहत मरीजाें की उच्च गुणवत्ता पूर्ण जांचों के दावे खोखले साबित हाे रहे हैं। अस्पताल की सेंट्रल लैब में सरकार की ओर से भेजी गई अत्याधुनिक तकनीक की मशीनरी धूल फांक रही है। ऐसे में विशेष राेगाें की जांच का दायरा कैसे बढ़ेगा? माइक्राे बाॅयाेलाेजी विभाग में विधायक के लोकार्पण करने के 11 महीने बाद भी 10 लाख लागत की फुली ऑटोमेटिक एलीजा एनालाइजर मशीन बंद है। इसे इंस्टॉलेशन के एक साल बाद भी प्रयाेग में नहीं लिया गया।
इस मशीन से मरीजाें के डेंगू, हेपेटाइटिस ए, ई,बी, लीवर, आइजीएम, एड्स, थैलेसेमिया की प्रांरभिक स्थिति की जांच गुणवत्तापूर्ण हाेती, लेकिन इसे मरीजाें की सुविधा के लिए चलाया ही नहीं गया। वहीं पैथाेलाेजी विभाग में 18 लाख का फुली ऑटाेमेटिक काेएगुलेशन एनालाइजर बंद है। इसे कुछ समय के लिए चलाने के बाद रिजेंट (किट) खत्म हाेने का बहाना बनाकर बंद कर रखा है। इस मशीन से मरीजाें के पीटीआईएनआर, हीमोफीलिया, क्लोटिंग फैक्टर तथा डी-डायमर जैसी जांचे शीघ्र व गुणवत्तापूर्ण हाेती।
अस्पताल प्रशासन की अनदेखी के चलते इसे भी बंद रखा गया है। वहीं पैथाेलाेजी विभाग में लगभग डेढ़ लाख का यूरीन एनालाइजर बंद है। मरीजाें के कम्पलीट यूरीन टेस्ट नहीं किए जा रहे हैं। विभाग के डाॅक्टराें की ओर से मरीजाें के यूरीन की पर्याप्त माइक्राेस्पिक जांच तक नहीं की जा रही है। यूरीन माइक्रोस्कोपिक से यूरीन ट्रेक इंफेक्शन (यूटीआई) का पता लगाया जाता है।
अस्पताल की ओपीडी में आने वाले मरीजाें में लगभग दस प्रतिशत मरीजाें के डाॅक्टर्स यूरीन जांच लिख रहे हैं, लेकिन पैथोलोजी विभाग में कम्पलीट यूरीन टेस्ट व कल्चर नहीं किया जा रहा है। यूटीआई से मरीज के यूरीन में रेडिस, डार्क यलाे, टरबिड का पता लगाया जाता है लेकिन निदान के अभाव में मरीजाें का इलाज बेहतर नहीं हाे रहा है।
यूरीन सैंपल की जांच स्ट्रीप डालकर ही की जा रही है। ऐसे में मरीज काे प्राेटीन व शुगर की मात्रा के आधार पर रिपोर्ट बनाकर दी जा रही है। वहीं बाॅयाे केमेस्ट्री विभाग में 29 अप्रैल काे लोकापर्ण की गई 83 लाख की केमिलुमिनिसेंस हार्मोन एनालाइजर मशीन बंद है। इस मशीन से अब तक महज 8 जांचें ही की गई है। इसका कारण स्टाफ की कमी बताई है।
*रिजेंट खत्म हाेने का बहाना कर लाैटाए जा रहे पीटीआईएनआर टेस्ट*
सेंट्रल लैब में पीटीआईएनआर टेस्ट मशीन आने के बाद से नाममात्र ही किए गए है। डाॅक्टर्स की ओर से मरीजाें काे मशीन खराब हाेने या रिजेंट खत्म हाेने का हवाला देकर लाैटाया जा रहा है। मशीन काे एक डेढ़ महीने में एक आध बार ही चलाया जाता है। ऐसे में मशीन में रिजेंट के सूखने तथा मशीन के खराब हाेने का बहाना कर इंजीनियर के आने के इंतजार का कहकर मशीन बंद रखी जाती है।
*पीटीआईएनआर टेस्ट लगाए जा रहे हैं*
अस्पताल में मरीजाें की सभी प्रकार की आवश्यक जांचें की जा रही है। पीटीआईएनआर टेस्ट लगाए जा रहे हैं। माइक्राे बाॅयाेलाेजी विभाग में रखी फुली ऑटाेमेटिक एलीजा एनालाइजर मशीन के बारे में विभाग के डाॅक्टर ही बता सकते हैं, मुझे जानकारी नहीं है। पैथाेलाेजी विभाग में काेगुलेशन एनालाइजर मशीन से टेस्ट लगाए जा रहे हैं। – *डाॅ. बीएल. मसूरिया, अधीक्षक, जिला अस्पताल।*

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