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सरकार ने दिव्यांग बच्चों के लिए ई-कंटेंट का विकास करने के लिए दिशा निर्देश जारी किए::दिशा-निर्देशों का उद्देश्य समावेशी शिक्षा के लक्ष्य को पाना है

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केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री रमेश पोखरियाल निशंक ने दिव्यांग बच्चों के लिए ई-कंटेंट का विकास करने के संबंध में आज दिशा निर्देश जारी किए जाने को मंजूरी दे दी।

प्रधानमंत्री ई-विद्या नाम की एक व्यापक पहल 17 मई, 2020 को शुरू की गई थी जिसका उद्देश्य डिजिटल/ ऑनलाइन/ ऑन एयर शिक्षा के संबंध में किए जा रहे सभी प्रयासों को एकीकृत करना था। इस पहल का लक्ष्य अन्य बातों के अलावा दिव्यांग बच्चों के लिए विशेष प्रकार का ई-कंटेंट विकसित करना था। इस परिकल्पना को पूरा करने के लिए शिक्षा मंत्रालय के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया जो इन विशेष बच्चों के लिए ई-कंटेंट का विकास करने के लिए दिशा निर्देशों की सिफारिश करे।

इस तरह, पहली बार सीडब्ल्यूडी यानी विशिष्ट ज़रूरतों वाले बच्चों (सीडब्ल्यूएसएन) के लिए दिशा निर्देश बनाने का प्रयास किया गया ताकि समावेशी शिक्षा के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सके। इस समिति ने “गाइडलाइंस फॉर दि डेवलपमेंट ऑफ ई-कंटेंट फॉर चिल्ड्रेन विद डिसएबिलिटीज़” शीर्षक अपनी रिपोर्ट जमा की जिसमें 11 खंड और दो परिशिष्ट थे। शिक्षा मंत्रालय ने इस रिपोर्ट को शेयर किया, प्रस्तुत किया, इस पर विचार किया और फिर स्वीकार किया।

इस रिपोर्ट में ई-कंटेंट दिशानिर्देशों के बारे में मुख्य बातें:-

सीडब्ल्यूडी बच्चों के लिए ई-कंटेंट का विकास चार सिद्धांतों : समझने योग्य, लागू किए जाने योग्य, समझ में आने योग्य तथा सुदृढ़ता के आधार पर किया जाए ।
सभी पाठ, पहाड़े, आकृतियां, दृश्य (विजुअल्स), श्रव्य (ऑडिओ) आदि समेत सभी तरह का ई-कंटेंट अभिगम्यता (पहुंच बनाने वाले) स्तर, राष्ट्रीय स्तर (जीआईजीडब्ल्यू 2.0) और अंतर्राष्ट्रीय स्तर (डब्ल्यूसीएजी2.1 ,ई-पब, डेज़ी आदि) के होने चाहिए।
जिस वितरण प्लेटफार्म पर इसे अपलोड किया जाएगा (दीक्षा आदि) तथा पठन पाठन प्लेटफार्म उपकरण, जिसपर कंटेट तक पहुंच बनेगी और संवाद होगा (ई-पाठशाला) को तकनीकी मानकों के अनुरूप बनाना होगा ।
सीडब्ल्यूडी बच्चों की विशिष्ट ज़रूरतों को पूरा करने के लिए उचित शैक्षणिक आवास बनाने की भी सिफारिश की गई।
तकनीकी मानकों और दिशानिर्देशों का विवरण रिपोर्ट के खंड 4 में दिया गया है।
समिति ने यह सिफारिश भी की कि धीरे धीरे पाठ्य पुस्तकों को सुगम्य डिजिटल पाठ्यपुस्तकों (एडीटीज़)में बदल दिया जाए। इन एडीटीज़ का कंटेंट कई प्रकार के फॉर्मेट जैसे पाठ, श्रव्य, दृश्य, वीडियो और सांकेतिक भाषा आदि में दिया जाए जिसमें टर्न आन और टर्न ऑफ जैसी सुविधाएं भी हों । इसके अलावा एडीटी को सीडब्ल्यूडी को अपनी सामग्री/अभ्यास का कई तरीकों से जवाब देने के लिए लचीलापन प्रदान करना चाहिए। हाल के एनसीईआरटी के अनुभव सहित प्रोटोटाइप के विकास में मौजूदा अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय अनुभव के साथ एडीटी विकसित करने के लिए विस्तृत दिशानिर्देश: बरखा: सभी के लिए एक रीडिंग सीरीज़ (प्रिंट और डिजिटल रूपों में), सभी के लिए एक्सेसिबल टेक्स्टबुक और यूनिसेफ की “एक्सेसिबल डिजिटल टेक्स्टबुक सीखने के लिए यूनिवर्सल डिज़ाइन का उपयोग करने (दिव्यांग तथा अन्य शिक्षार्थियों के लिए) के बारे में रिपोर्ट के खंड 5 में विवरण प्रस्तुत किया गया है।

एडीटी के अलावा, धारा 6 से 9 में समिति ने बौद्धिक और विकासात्मक अक्षमताओं, एकाधिक दिव्यांगताओं, ऑटिज्म स्पेक्ट्रम विकार, विशिष्ट शिक्षा की ज़रूरत वाले छात्रों, दिव्यांगता, अंधापन, कम दृष्टि, बहरापन और सुनने में कठिनाई और अन्य के लिए आरपीडब्ल्यूडी अधिनियम 2016 में निर्दिष्ट 21 अक्षमताओं के अनुसार पूरक ई-सामग्री के विकास के लिए विशिष्ट दिशानिर्देशों की सिफारिश की है।

सामग्री निर्माताओं, सामग्री डिजाइनरों, डेवलपर्स, प्रकाशकों के साथ व्यापक रूप से साझा करने के लिए रिपोर्ट की धारा 10 में सिफारिशों का सारांश प्रस्तुत किया गया है।

अभिगम्यता दिशानिर्देशों के अनुपालन को सुदृढ़ करने के सुझावों के साथ कार्यान्वयन रोडमैप रिपोर्ट की धारा 11 में प्रस्तुत किया गया है।

रिपोर्ट के परिशिष्ट-1 में सांकेतिक भाषा वीडियो के निर्माण के लिए व्यापक दिशानिर्देश और तकनीकी मानक दिए गए हैं।

सामग्री विकास और शैक्षणिक आवास के लिए यूनिवर्सल डिजाइन फॉर लर्निंग (यूडीएल) दिशानिर्देश रिपोर्ट के परिशिष्ट 2 में दिए गए हैं।

ये दिशानिर्देश विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के लिए डिजिटल शिक्षा के लिए उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री के निर्माण की पहल करेंगे। ये बच्चे स्वभाव से गतिशील हैं और उनमें अनुभव और बेहतर प्रौद्योगिकी के आधार पर सुधार किया जा सकता है।

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