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स्कूल में 22 पद, लेकिन 17 खाली हैं:पूगल के कंकराला गांव में तालाबंदी, अधिकांश विषयों के टीचर नहीं होने से पढ़ाई ठप

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स्कूल में 22 पद, लेकिन 17 खाली हैं:पूगल के कंकराला गांव में तालाबंदी, अधिकांश विषयों के टीचर नहीं होने से पढ़ाई ठप

स्टूडेंट्स ने बेग स्कूल की दीवार पर रख दिए और आंदोलन के लिए बाहर बैठ गए।

बीकानेर के ग्रामीण क्षेत्रों में टीचर्स के रिक्त पदों के चलते पढ़ाई पूरी ठप है। ऐसे में स्कूल्स में तालाबंदी का सिलिसला जारी है। ताजा मामला पूगल के कंकराला गांव में स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय का है, जहां पढ़ाने के लिए 22 पद स्वीकृत है लेकिन काम सिर्फ पांच ही कर रहे हैं। ऐसे में स्कूल में सत्रह रिक्त पदों को भरने की मांग को लेकर मंगलवार को तालाबंदी कर दी गई।

मंगलवार को तालाबंदी करवाने में स्टूडेंट्स के साथ ग्रामीण भी सक्रिय हो गए।

मंगलवार को तालाबंदी करवाने में स्टूडेंट्स के साथ ग्रामीण भी सक्रिय हो गए।

शिक्षा विभाग ने एक आदेश करके प्रदेश के सभी माध्यमिक विद्यालयों को उच्च माध्यमिक में तब्दील कर दिया लेकिन हकीकत में यहां माध्यमिक जितना स्टाफ भी नहीं है। हालात ये है कि स्कूल में प्रधानाचार्य, उप प्रधानाचार्य, राजनीति विज्ञान, हिन्दी के व्याख्याता, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, संस्कृत के वरिष्ठ अध्यापक, सामाजाक विज्ञान, उर्दू व हिन्दी के ग्रेड थर्ड एल 2 के पद भी रिक्त है। वहीं एल वन, फिजिकल टीचर, कनिष्ठ सहायक और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी नहीं है।

ग्रामीण पिछले कई महीनों से यहां रिक्त पदों को भरने की मांग कर रहे हैं लेकिन विभाग में सुनवाई नहीं हो रही। स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के अभी तक एक-दो चेप्टर भी नहीं हो पाए हैं, जबकि सैकंडरी के बोर्ड एग्जाम फॉर्म भरे जा चुके हैं। शिक्षा सत्र के तीन महीने बीतने के बाद भी पढ़ाई शुरू नहीं होने से स्टूडेंट्स में निराशा है। ग्रामीणों की मांग है कि कम से कम दस टीचर्स स्कूल में नहीं भेजे गए तो अनिश्चितकालीन तालाबंदी व धरना दिया जाएगा। कंकराला के उप सरपंच शौकत अली, मुनाफ पड़िहार व ईश्वर राम के नेतृत्व में प्रदर्शन किया जा रहा है।

नहीं मिल रहे हैं टीचर्स

दरअसल, ट्रांसफर सीजन के बाद गांवों में टीचर बहुत कम हो गए हैं। गांवों से शहरों में टीचर्स के ट्रांसफर हो गए लेकिन उसके अनुपात में शहर से गांव में टीचर्स नहीं गए। अब सिर्फ नई भर्ती से ही टीचर्स को गांवों में भेजा जा रहा है, इनमें भी अधिकांश बीच में ही वापस शहरों में ट्रांसफर या फिर डेपुटेशन करवाकर चले जाते हैं।

महात्मा गांधी स्कूल में गए

बड़ी संख्या में लेक्चरर हिन्दी माध्यम स्कूल्स से महात्मा गांधी स्कूल्स में चले गए हैं। महात्मा गांधी स्कूल्स शहरों में ज्यादा होने के कारण लेक्चरर भी वहां जाने में रुचि रख रहे हैं। बार बार मांग उठती रही है कि महात्मा गांधी स्कूल्स के लिए लेक्चरर की अलग से भर्ती होनी चाहिए।

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