बीकानेर। देशनोक पुल हादसे में छह लोगों की दर्दनाक मौत को लेकर जिला कलेक्ट्री के आगे पिछले 11 दिनों से डटे सेन समाज के धरने का शुक्रवार को अंत हो गया। संघर्ष समिति और जिला प्रशासन के बीच समझौते के बाद धरना शांतिपूर्ण ढंग से उठा लिया गया। समझौते के तहत मृतकों के परिजनों को करीब 40 लाख रुपये की आर्थिक सहायता, संविदा पर नौकरी और प्रति परिवार एक डेयरी बूथ आवंटन की घोषणा की गई है।
प्रशासन ने आश्वस्त किया है कि मृतकों के परिजनों को संविदा पर सरकारी नौकरी दी जाएगी, और यह नियुक्ति नोखा में ही की जाएगी ताकि परिवार अपने क्षेत्र में रहकर पुनः सामान्य जीवन की ओर बढ़ सके। इसके साथ ही, हर परिवार को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से एक-एक डेयरी बूथ भी दिया जाएगा।
धरने के दौरान सेन समाज के लोग भारी संख्या में जुटे रहे और समाज के नेताओं ने इस मुद्दे को लेकर निरंतर दबाव बनाए रखा। पूर्व मंत्री गोविंद मेघवाल, खाजूवाला विधायक डूंगरराम गैदर, राजस्थान केश कला बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष महेंद्र गहलोत, तथा रामनिवास कूकना लगातार संघर्ष में शामिल रहे और पूरे 11 दिन तक मौके पर डटे रहे।
इस समझौते को सेन समाज की एक बड़ी जीत माना जा रहा है, जिसने शांतिपूर्ण और अनुशासित ढंग से अपनी बात सरकार तक पहुंचाई और पीड़ित परिवारों को न्याय दिलाने में सफलता प्राप्त की।
धरने के मुख्य बिंदु जो बने समझौते की नींव:
मृतकों के परिजनों को कुल मिलाकर लगभग 40 लाख रुपये की आर्थिक सहायता।
सभी पीड़ित परिवारों में से एक-एक सदस्य को संविदा पर सरकारी नौकरी।
प्रत्येक परिवार को एक डेयरी बूथ आवंटित किया जाएगा।
सभी नियुक्तियां स्थानीय स्तर (नोखा) पर ही की जाएंगी, जिससे विस्थापन की स्थिति न हो।
सेन समाज की ओर से यह भी स्पष्ट किया गया कि यदि समझौते की शर्तों को समय पर लागू नहीं किया गया, तो पुनः आंदोलन किया जाएगा।
धरना समाप्त होते ही प्रशासन ने राहत की सांस ली, वहीं परिजनों के चेहरों पर संतोष की झलक दिखाई दी।
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