बहुचर्चित खनन संकट मामले में आरोपी रहे हैं बीकानेर के नए संभागीय आयुक्त भानु प्रकाश येतरू,राजस्थान स्टेट माइंस एंड मिनरल्स लिमिटेड केएमडी रहते हुए चर्चित हुआ था मामला
बीकानेर। बीकानेर में संभागीय आयुक्त नीरज के पवन का कार्यकाल सदैव विवादों से घिरा रहा यहां तक कि उनके तबादला होने पर भी जारी आदेशों में अंतिम समय में फिर से एक बार बदलाव किया गया। देर रात जारी किए गए तबादला आदेशों में संशोधित आदेश जारी कर भानु प्रकाश येतरू को बीकानेर के संभागीय आयुक्त पद पर नियुक्त किया गया है। उनके संभागीय आयुक्त बनते ही फिर एक बार बीकानेर का विवादों ने दामन थाम लिया है।
पूर्व में आरएसएमएमएल के एमडी भानु प्रकाश येतुरू पर 2 वर्ष पुराने कैल्साइट आपूर्ति मामले में, उच्च न्यायालय ने एसीबी को येतुरु के खिलाफ आरोपों की जांच करने का आदेश दिया हुआ है।
आईएएस भानु प्रकाश येतुरू के एमडी पद पर रहते राजस्थान उच्च न्यायालय ने परमेश्वर पिलानिया नामक व्यक्ति की याचिका पर कार्रवाई करते हुए एसीबी के महानिदेशक को कैल्साइट घोटाला मामले की प्रारंभिक जांच शुरू करने और आपराधिक साबित होने पर 15 दिनों के भीतर एफआईआर दर्ज करने का निर्देश दिया था। न्यायमूर्ति बीएल शर्मा ने मामला संज्ञान में आने के 2 साल बाद भी कोई कार्रवाई शुरू नहीं करने के लिए एसीबी डीजी आलोक त्रिपाठी, आईजी सचिन मित्तल और आईजी वीके सिंह की खिंचाई भी की थी।
मामला यह था कि आरएसएमएमएल अपनी झामर कोटडा इकाई के लिए एक योज्य खनिज के रूप में कैल्साइट खरीदता है।कैल्साइट की खरीद के लिए, एक कानूनी निविदा प्रक्रिया का पालन किया जाता है जिसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि आपूर्तिकर्ता के पास अपनी खदानें और क्षमता है। लेकिन जून 2013 में टेंडर जारी करने से पहले सप्लायर के खदान मालिक होने की पूर्व शर्त में ढील दे दी गई। जिससे वे आपूर्तिकर्ता भी बोली के पात्र हो गये जिनके पास अपनी खदानें नहीं थीं। याचिकाकर्ता ने येतुरु पर टेंडर में शर्तों में ढील देकर सुरभि प्रोसेस को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया है, जिससे सरकारी खजाने को 2 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ का आरोप लगाया गया है।






‘खदान के मालिक होने’ की शर्त हटाने के बाद 3 जनवरी 2014 को सुरभि प्रोसेस के पक्ष में टेंडर खोला गया। इसी तरह का आदेश 10 जुलाई 2014 को मेसर्स कल्पना मिनरल्स एंड केमिकल्स के पक्ष में जारी किया गया। बोली जीतने के बाद , सुरभि प्रोसेस ने कैल्साइट के स्थान पर आरएसएमएमएल मार्बल ब्लॉक और चूना पत्थर की आपूर्ति की और क्रिस्टोलिन मेटामोर्फोरल कैल्केरिया एडिटिव के नाम पर बिलिंग करके करोड़ों का भुगतान प्राप्त किया। आरएसएमएमएल के तत्कालीन वरिष्ठ प्रबंधक ने उस अनियमितता की रिपोर्ट की और इसे फाइल पर लाया गया। लेकिन बिना कोई स्पष्टीकरण मांगे 2.14 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया गया। यहां तक की खनिज को भी कैल्साइट से बदलकर एडिटिव कर दिया गया। टेंडर में सुरभि प्रोसेस को न केवल प्राथमिकता मिली बल्कि पहले अनुबंधित आपूर्ति दर 786.82 रुपये को बढ़ाकर 1050 रुपये कर दिया गया। इससे सुरभि प्रोसेस को 87 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक का आर्थिक लाभ हुआ। यदि खनिज का नाम कैल्साइट या मार्बल ब्लॉक लिखा होता तो अन्य कंपनियां आसानी से भाग ले सकती थीं। केवल खनिज का नाम बदलने से, आरएसएमएमएल को एकल बोलीदाता के रूप में सुरभि प्रोसेस मिल गया।
हाईकोर्ट के वकील गोरधन सिंह ने उस समय कहा था कि न्याय मिलने तक केस लड़ा जाएगा। उन्होंने कहा था कि , “हम जनता की गाढ़ी कमाई को गलत हाथों में नहीं जाने देंगे। हम पिछले दो साल से इस मुद्दे के लिए लड़ रहे हैं। अगर मामला गंभीर नहीं होता तो अदालत ने कड़े निर्देश नहीं दिये होते।”
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