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200 का SIM 1300 में बेचा: देश की सुरक्षा को खतरा, भारी मात्रा में विदेश जा रहे भारतीय सिम; ऐसे होता इस्तेमाल

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200 का SIM 1300 में बेचा: देश की सुरक्षा को खतरा, भारी मात्रा में विदेश जा रहे भारतीय सिम; ऐसे होता इस्तेमाल

सार

सिम मालिकों से पूछताछ में पता चला कि मुकुल कुमार ने दो सौ रुपये देकर उनके नाम पर सिम कार्ड खरीदे थे। सिम खरीदने के दौरान आरोपी ने उनके पहचान पत्र का इस्तेमाल किया था। पूछताछ में पता चला कि जिनके नाम से सिम कार्ड लिए गए हैं, सभी जूते बनाने वाली फैक्ट्रियों में काम करते हैं। 

Four accused purchasing SIMs in the name of Indian laborers sending them to Vietnam through courier

भारतीय मजदूरों के नाम पर सिम खरीदकर आरोपी कोरियर के जरिए भेज रहे थे वियतनाम 

चीनी गेमिंग एप के जरिए ठगी करने वाले गैंग के सदस्य भारी पैमाने पर भारतीय सिम कार्ड को विदेश भेज रहे हैं। हवाई अड्डा पर कोरियर कंपनी के जरिए वियतनाम जा रहे शिपमेंट में पांच सौ भारतीय सिम मिलने के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू की। सिम की जांच में पता चला कि बरामद सभी सिम भारतीय मजदूरों के नाम पर सक्रिय कर इसे वहां भेजने के प्रयास किए गए थे। पुलिस ने मामले की जांच करते हुए इस धंधे से जुड़े चार आरोपियों को दिल्ली और आगरा से गिरफ्तार कर लिया है। आरोपियों ने खुलासा किया है सिम कार्ड का इस्तेमाल गेमिंग एप और चीनी क्रिप्टो-मुद्रा एप से ठगी करने में इस्तेमाल किया जाना था।

गिरफ्तार आरोपियों की पहचान खटेना, लोहा मंडी आगरा यूपी निवासी मुकुल कुमार, भीमनगर, दुर्गा गली नंबर दो, जगदीशपुरा, आगरा यूपी निवासी हेमन्त, लक्ष्मी नगर, जगदीशपुरा, आगरा निवासी कन्हैया गुप्ता, रूपसर, जैसलमेर राजस्थान निवासी अनिल कुमार के रूप में हुई है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि 22 फरवरी को कार्गो टर्मिनल पर संचालित फेडेक्स कोरियर कंपनी के प्रबंधक की ओर से शिकायत मिली। जिसमें बताया गया एक शिपमेंट की जांच के दौरान पांच सौ भारतीय सिम कार्ड मिले हैं। पुलिस ने तुरंत सभी कार्ड को जब्त कर इस बाबत धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया।विज्ञापन

इस धंधे से जुड़े लोगों की पहचान के लिए आईजीआई एयरपोर्ट थाना प्रभारी विजेंदर राणा के नेतृत्व में एक टीम गठित की गई। टीम ने जांच के दौरान 60 सिम कार्ड को निकाला और उनके सेवा प्रदाताओं से उनके विवरण देने के लिए कहा। रिपोर्ट आने पर पता चला कि सभी कार्ड लोहा मंडी, आगरा, यूपी के आस पास रहने वालों के पते पर जारी हुआ है। साथ ही यह भी पता चला कि सभी कार्ड आसपास के इलाकों में स्थित पीओएस केंद्रों (बिक्री केंद्र) से जारी किए गए थे। 

पुलिस की टीम ने तुरंत वहां दबिश देकर पंजीकृत सिम कार्ड के मालिकों से पूछताछ की। जिसमें पता चला कि मुकुल कुमार ने उन लोगों को पैसे देने का झांसा देकर उनके पहचान पत्र पर सिम खरीद लिया। पुलिस ने इनके निशानदेही पर मुकुल कुमार के गिरफ्तार कर लिया। उसने बताया कि वह कन्हैया और हेमंत को तीन सौ के हिसाब से सारे सिम बेच दिए हैं। पुलिस ने उसके निशानदेही पर जगदीशपुरा आगरा से कन्हैया और हेमंत को गिरफ्तार कर लिया। दोनों आरोपियों ने बताया कि उन लोगों ने सभी सिम को दिल्ली के अनिल को प्रति सिम पांच सौ रुपये में बेचा है। पुलिस ने इनके निशानदेही पर अनिल को गिरफ्तार कर लिया।

डायरी के पन्ने काटकर खोखले जगह में रखा था सिम कार्ड
कोरियर कंपनी के अधिकारियों ने विदेश भेजे जाने वाले सभी शिपमेंट की एक्सरे मशीन पर जांच कर रही थी। इस दौरान उसमें कुछ संदिग्ध वस्तु दिखा। उसके बाद बॉक्स को खोलकर इसकी जांच की गई। शिपमेंट में एक डायरी मिली। जिसके अंदर कार्बन पेपर में ढंके हुए भारी मात्रा में सिम कार्ड रखे हुए थे। इन सिम कार्ड को डायरी के पन्नों को काटकर एक खोखली जगह बनाकर रखे गए थे। जांच में पता चला कि सभी भारतीय सिमकार्ड हैं और इसे पार्सल के जरिए वियतनाम भेजने थे। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सभी सिम कार्ड एयरटेल, जियो और वीआई कंपनी के थे। जिसे तीन अलग-अलग पैकेट में रखे गए थे।

दो सौ रुपये देकर मजदूरों के नाम पर खरीदे सिम कार्ड
सिम मालिकों से पूछताछ में पता चला कि मुकुल कुमार ने दो सौ रुपये देकर उनके नाम पर सिम कार्ड खरीदे थे। सिम खरीदने के दौरान आरोपी ने उनके पहचान पत्र का इस्तेमाल किया था। पूछताछ में पता चला कि जिनके नाम से सिम कार्ड लिए गए हैं, सभी जूते बनाने वाली फैक्ट्रियों में काम करते हैं। पूछताछ में यह भी पता चला कि मुकुल कुमार मोबाइल सेवा प्रदाताओं के पीओएस केंद्रों पर मौजूद अपने दोस्तों के मासिक लक्ष्य को पूरा करने के लिए सिम खरीद रहा है।

टेलीग्राम एप पर वियतनाम के जालसाज से हुई थी दोस्ती
अनिल ने पूछताछ में बताया कि टेलीग्राम एप पर उसकी वियतनाम के जालसाज से दोस्ती हुई थी। उसने बताया कि उसके नाम के बारे में उसे जानकारी नहीं है। पुलिस ने उस नंबर की जांच की जिसपर अनिल की बात होती थी। यह फोन नंबर वियतनाम का था। अनिल ने बताया कि वह उसे 13 सौ रुपये के प्रति सिम के हिसाब से सिम कार्ड बेचता था। उसके बाद उसे बिनेंस नाम से एक चीनी क्रिप्टो करेंसी एप के माध्यम से बैंक खाते में पैसे मिल जाते थे। 

आरोपी ने बताया कि वियतनाम के किसी व्यक्ति ने उसे सिम कार्ड का इस्तेमाल गेमिंग ऐप्स के लिए और सोशल मीडिया खातों पर इच्छुक लोगों के लाइक और फॉलोअर्स बढ़ाने के लिए किए जाने की बात कहकर सिम कार्ड देने के लिए कहा था। अनिल कुमार ने टेलीग्राम एप पर ऐसे लोगों की तलाश में एक विज्ञापन डाला, जो उन्हें सिम कार्ड मुहैया कर सके। विज्ञापन देखकर कन्हैया और हेमंत ने उससे संपर्क किया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मनी लॉन्ड्रिंग की गतिविधियों में शामिल होने के कारण वित्त मंत्रालय की वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू) के इनपुट के आधार पर हाल ही में बिनेंस एप को भारत में प्रतिबंधित कर दिया गया है। जांच में पता चला कि अनिल कुमार बिनेंस एप पर क्रिप्टो करेंसी में ट्रेडिंग कर रहा था।

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