2016 में गायब हुए IAF विमान की कहानी:सबसे बड़ा सर्च ऑपरेशन भी नहीं खोज सका, उसका मलबा अचानक कैसे मिला
22 जुलाई 2016, सुबह साढ़े 8 बजे इंडियन एयरफोर्स का एंटोनोव एएन-32 विमान चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर के लिए उड़ान भरी। रवाना होने से पहले विमान में भारतीय सेना के 29 लोग सवार हुए। करीब पौने घंटे बाद सुबह सवा 9 बजे विमान से सभी तरह का कनेक्शन टूट गया।
8 सप्ताह तक इस विमान को खोजने के लिए भारत का सबसे बड़ा सर्च ऑपरेशन शुरू होता है, लेकिन कुछ भी पता नहीं चल पाया। अब साढ़े 7 साल बाद अंडरवाटर व्हीकल को बंगाल की खाड़ी में 3.5 किलोमीटर नीचे मलबा मिला। ये मलबा 2016 में गायब हुए उसी एंटोनोव एएन-32 विमान का है
जब संपर्क टूटते ही रडार से गायब हो गया था विमान
22 जुलाई 2016 को सुबह 8.30 बजे एयरफोर्स का एंटोनोव एएन-32 विमान चेन्नई के तांबरम एयरफोर्स स्टेशन से उड़ान भरता है। इस विमान को पोर्ट ब्लेयर में तैनात INS उत्क्रोश पर सुबह करीब 11.45 बजे लैंड करना था।
INS उत्क्रोश पर तैनात जवानों के लिए ये विमान हर सप्ताह जरूरत के सामान की सप्लाई करता था। इस बार उड़ान भरने के आधे घंटे बाद ही विमान से कंट्रोल रूम का संपर्क टूट गया।
उस वक्त वह बंगाल की खाड़ी के ऊपर था। रडार पर इस विमान को खोजने की कोशिश हुई, लेकिन सफलता नहीं मिली। तुरंत इसकी सूचना रक्षा मंत्रालय, नेवी और एयरफोर्स को दी गई। सैटेलाइट्स के जरिए इसे खोजने की कोशिश हुई लेकिन कुछ भी पता नहीं चल सका।
एंटोनोव एएन-32 को खोजने के लिए चलाया गया सबसे बड़ा ऑपरेशन
22 जुलाई को ही विमान को खोजने और रेस्क्यू के लिए इंडियन नेवी और कोस्टगार्ड ने मिलकर एक ऑपरेशन शुरू किया। इस अभियान में एक सबमरीन, जहाज और 5 एयरक्राफ्ट लगाए गए।
जब तीन दिनों तक इस गायब विमान के बारे में कुछ पता नहीं चल पाया तो इस सर्च ऑपरेशन के लिए बंगाल की खाड़ी में एक और सबमरीन दस्ते को भेजा गया। इस दस्ते में 16 जहाज और 6 एयरक्राफ्ट शामिल थे। इस बेड़े को बंगाल की खाड़ी में चेन्नई से 277 किलोमीटर दूर पूर्व दिशा की ओर भेजा गया।
एक महीने के सर्च ऑपरेशन के बाद 1 अगस्त 2016 को नौसेना और वायुसेना सिर्फ इतना पता लगा पाई कि विमान में अंडरवाटर लोकेटर बीकन नहीं लगा था। उसमें दो आपातकालीन लोकेटर ट्रांसमीटर जरूर थे। हालांकि, इस ट्रांसमीटर का पता लगाने में भी सबमरीन को सफलता नहीं मिली।
किसी गायब विमान को खोजने के लिए चलाए जाने वाला ये भारतीय वायुसेना और नौसेना का सबसे बड़ा सर्च ऑपरेशन था। आखिरकार विमान गायब होने के 56 दिन बाद 15 सितंबर को ये सर्च ऑपरेशन बंद कर दिया गया।
जब सर्च ऑपरेशन में कुछ हाथ नहीं लगा तो उस विमान पर सवार सभी 29 लोगों को मरा मान लिया गया। उनके परिवारों को सेना की ओर से जानकारी भेज दी गई।
अचानक कैसे मिला साढ़े 7 साल गायब विमान का मलबा?
शुक्रवार को रक्षा मंत्रालय ने कहा कि बंगाल की खाड़ी में एयरफोर्स के एंटोनोव एएन-32 विमान का मलबा मिला है। मंत्रालय ने बताया कि बीते दिनों समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान ने रिमोट कंट्रोल से चलने वाले अंडरवाटर व्हीकल को बंगाल की खाड़ी में जांच के लिए उतारा था।
चेन्नई तट से 310 किलोमीटर दूर 3.4 किलोमीटर की गहराई पर व्हीकल के रास्ते मे एक बड़ा मलबा मिला। व्हीकल ने इसकी जो तस्वीरें क्लिक की है, उसकी जांच में पता चला कि ये साढ़े 7 साल पहले गायब होने वाले एंटोनोव एएन-32 विमान का ही मलबा है। मंत्रालय का कहना है कि दो वजहों से हम ये पता लगाने में सफल हो पाए हैं…
1. एंटोनोव एएन- 32 के अलावा इस क्षेत्र में किसी दूसरे विमान के गायब होने की खबर नहीं है।
2. इस मलबे में तीन रंगों वाला एक सर्कल भी देखा गया है, जो एयरफोर्स के विमानों में होता है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव एम रविचंद्रन ने कहा कि मलबे की तस्वीरों को भारतीय नौसेना और वायुसेना को भेजा गया था। इसके बाद भारतीय वायुसेना ने इसकी पहचान की।
रविचंद्रन के मुताबिक अंडरवाटर व्हीकल समुद्र के अंदर 6,000 मीटर तक की गहराई में जाकर जांच कर सकता है। समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान ने समुद्र में रिसर्च और जांच के लिए करीब 6 महीने पहले नार्वे से इस व्हीकल को खरीदकर लाया है। ये ऑटोमेटिक चलने वाला व्हीकल समुद्र के अंदर वीडियो और फोटो क्लिक करने में माहिर है।
इसमें मल्टी-बीम सोनार (साउंड नेविगेशन एंड रेंजिंग), सिंथेटिक अपर्चर सोनार और हाई-रिजॉल्यूशन फोटोग्राफी सहित कई दूसरे एडवांस उपकरण लगे होते हैं।

समुद्र के नीचे मलबे की तस्वीर में कुछ इस तरह एंटोनोव एएन-32 पर तीन रंगों वाला लोगो नजर आया। (Photo Source: IAF)
2016 में क्यों नहीं मिल पाया था एंटोनोव एएन-32 विमान
2016 में दो महीने तक नेवी और एयरफोर्स के सबसे ताकतवर जहाजों और एयरक्राफ्ट्स के दिन-रात खोजने के बावजूद एंटोनोव एएन-32 नहीं मिला। इस विमान के नहीं मिलने की दो मुख्य वजह रही…
1. एयरफोर्स के विमानों में अंडरवाटर लोकेटर बीकन लगा होता है। जब भी कोई विमान समुद्र में डूब जाता है तो ये बीकन रेडियो सिग्नल भेजते रहते हैं। इन सिग्नलों के जरिए पनडुब्बियों या जहाजों की मदद से विमान के मलबे तक पहुंचने की कोशिश होती है। एंटोनोव एएन-32 विमान में अंडरवाटर लोकेटर बीकन नहीं लगा था। इसकी वजह से उसका पता नहीं लग पाया।
2. उस समय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान और नेवी के पास एडवांस तकनीक का ऑटोमेटिक चलने वाला अंडरवाटर व्हीकल नहीं था। जिसकी मदद से समुद्र में 6 हजार मीटर तक की गहराई में फोटो और वीडियो क्लिक किया जा सके। यही वजह है कि समुद्र में 3.5 किलोमीटर गहराई में मौजूद विमान का मलबा नहीं खोजा जा सका।
1986 में भारतीय सेना के दस्ते में शामिल हुआ एंटोनोव एएन-32
सोवियत संघ रूस की एविएंट नाम की कंपनी ने 1976 में दो इंजन वाला एक विमान बनाया। इस विमान का नाम एंटोनोव एएन-32 और रिपोर्टिंग नाम क्लाइन रखा गया। बनाए जाने के एक साल बाद ही 1977 में पेरिस के एयर शो में इस विमान को आम लोगों के सामने पेश किया गया।
किसी भी मौसम में उड़ान भरने में सक्षम होने की वजह से इसे खूब पसंद किया गया। इस विमान का इस्तेमाल सेना और सामान के ढुलाई के लिए होता था। 1980 से इस विमान को सोवियत संघ दूसरे देशों को बेचने लगा।
1984 में भारत ने सोवियत संघ से 125 एंटोनोव एएन-32 विमान खरीदा था। इसे भारतीय एयरफोर्स के दस्ते में शामिल किया गया। अब भी भारतीय वायुसेना के दस्ते में 100 एएन-32 विमान हैं।
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