30 साल पुराने सीरियल ब्लास्ट केस में करीम टुंडा बरी:मुंबई-सूरत समेत 5 शहरों में ट्रेन में धमाके हुए थे; ISI से ट्रेनिंग के बाद लश्कर से जुड़ा था
अजमेर

1993 में 5 शहरों में हुए सीरियल ब्लास्ट केस में आरोपी अब्दुल करीम टुंडा (80) को गुरुवार को अजमेर की टाडा कोर्ट ने बरी कर दिया है। दो आतंकवादियों इरफान (70) और हमीदुद्दीन (44) को उम्रकैद की सजा सुनाई है।
टुंडा, इरफान और हमीदुद्दीन को लेकर पुलिस गुरुवार सुबह करीब सवा 11 बजे कड़ी सुरक्षा के बीच टाडा कोर्ट पहुंची। तीनों 6 दिसंबर 1993 को लखनऊ, कानपुर, हैदराबाद, सूरत और मुंबई की ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार बम धमाके के मामले में आरोपी थे। 20 साल पहले 28 फरवरी 2004 को टाडा कोर्ट ने ही मामले में 16 अभियुक्तों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने चार आरोपियों को बरी कर बाकी की सजा बरकरार रखी थी, जो जयपुर जेल में बंद हैं।
मिस्टर बॉम्ब के नाम से मशहूर है टुंडा
टुंडा को 1993 ब्लास्ट केस में 2013 में गिरफ्तार किया गया था। भारत-नेपाल बॉर्डर के करीब उत्तराखंड के बनबसा में उसकी गिरफ्तारी हुई थी। टुंडा दाऊद इब्राहिम का करीबी था और बम बनाने की तकनीक के लिए डॉक्टर बॉम्ब कहा जाता है। बम बनाने के दौरान हुए धमाके से ही उसका बायां हाथ उड़ गया था। कई रिपोर्ट्स में कहा गया कि टुंडा आतंकवादी बनने से पहले कारपेंटर था। 1993 मुंबई बम धमाकों में पहली बार उसका नाम सामने आया। वो लश्कर-ए-तैयबा, इंडियन मुजाहिदीन, जैश-ए-मोहम्मद और बब्बर खालसा जैसे आतंकवादी संगठनों से जुड़ा था।

अपडेट्स
25 मिनट पहले
मिस्टर बॉम्ब के नाम से मशहूर था टुंडा
टुंडा को 1993 ब्लास्ट केस में 2013 में गिरफ्तार किया गया था। भारत-नेपाल बॉर्डर के करीब उत्तराखंड के बनबासा में उसकी गिरफ्तारी हुई थी। टुंडा दाउद इब्राहिम का करीबी था और बम बनाने की तकनीक के लिए डॉक्टर बॉम्ब कहा जाता है। बम बनाने के दौरान हुए धमाके से ही उसका बायां हाथ उड़ गया था। कई रिपोर्ट में कहा गया कि टुंडा आतंकवादी बनने से पहले कारपेंटर था। 1993 मुंबई बम धमाकों में पहली बार उसका नाम सामने आया। वह लश्कर-ए-तैयबा, इंडियन मुजाहिदीन, जैश-ए-मोहम्मद और बब्बर खालसा जैसे आतंकवादी संगठनों से जुड़ा था।
48 मिनट पहले
सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी सीबीआई
एडवोकेट भवानी सिंह रोहेला ने कहा- मामले में सीबीआई की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी। वकील ने कहा- टुंडा के जो मुकदमे जिस कोर्ट में है, उसे वहां भेजा जाएगा। कोर्ट के तलब करने पर उसे वही भेजा जाएगा। कुछ में टुंडा को सजा हो चुकी है। इरफान और हमीदुद्दीन को उनके बयानों और सबूत के आधार पर सजा दी गई है। टाडा कोर्ट से वर्तमान में प्रकरण खत्म हो गया है। अगर मामले में कोई अन्य आरोपी सामने आता है तो उसमें जांच की जाएगी।
48 मिनट पहले
टुंडा को क्यों हुआ बरी
एडवोकेट भवानी सिंह रोहेला ने कहा- कोर्ट ने माना कि टुंडा के खिलाफ कोई डायरेक्ट एविडेंस नहीं था। आरोपियों ने बयान में बताया था कि अब्दुल करीम टुंडा ने डिवाइस बनाने की तकनीक बताई थी, लेकिन डायरेक्टर कोई एविडेंस नहीं था। कोर्ट ने यह माना कि टुंडा डायरेक्ट किसी भी मीटिंग में इंवॉल्व नहीं था, इसलिए टुंडा को संदेह का लाभ देकर बरी किया गया।
49 मिनट पहले
कहा था- यह मेन हीरो है
सीबीआई की तरफ से पैरवी कर रहे एडवोकेट भवानी सिंह रोहेला ने कहा- – टुंडा सहित अन्य आरोपियों को फरार घोषित किया गया था। चार्जशीट भी पेश कर दी गई थी, उसमें सारी इन्वेस्टिगेशन हुई थी। वकील ने कहा कि कोर्ट ने टुंडा को इंवॉल्व नहीं माना। डायरेक्ट एविडेंस नहीं था, जिससे साबित होता हो कि वह इंवॉल्व है। आरोपी पर 2004 में जो डिसाइड फैसला हो चुका था, उसके आधार पर ही सीबीआई ने चार्जशीट पेश की थी। कहा था- यह मेन हीरो है।
02:07 PM29 फ़रवरी 2024
सुप्रीम कोर्ट में करेंगे अपील
सीबीआई की तरफ से पैरवी कर रहे अधिवक्ता भवानी सिंह ने बताया कि अब्दुल करीम टुंडा को बरी किया गया है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील करेंगे। बाकी दोनों आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है।
01:53 PM29 फ़रवरी 2024
टुंडा बोला- कोर्ट की मेहरबानी
फैसला आने के बाद टुंडा ने मीडिया से कहा कि कोर्ट ने मुझे बरी कर दिया है, कोर्ट की बहुत मेहरबानी। इसके बाद टुंडा ने कहा कि ‘सच्चाई छुप नहीं सकती बनावट के उसूलों से,खुशबू आ नहीं सकती कागज के फूलों से’।
01:47 PM29 फ़रवरी 2024
टुंडा के वकील ने कहा- सीबाआई ने जांच में बहुत खामियां छोड़ी
टुंडा के वकील शफकत सुल्तानी ने बताया- सीबीआई ने इस मामले में टुंडा को बेस बनाया था। सीबीआई की दलील थी कि टुंडा ने ही अन्य दोषियों को बम बनाना सिखाया था। सीबीआई ने टुंडा को मास्टरमाइंड बनाया था। लेकिन, कोर्ट ने आज टुंडा को बरी कर दिया है। सीबीआई को गवाहों ने भी टुंडा के किसी भी प्रकार के क्राइम में शामिल होने जानकारी नहीं दी थी। उन्होंने कहा- आतंकवाद से संबंधित मामले में भी करीम टुंडा को सजा नहीं हुई है। टाडा एक्ट के मामले की अगर राज्य सरकार व सीबीआई सुप्रीम कोर्ट में अपील करेगी तो मुलजिम को तलब किया जाएगा। आज की तारीख में अब्दुल करीम टुंडा बरी है। इस प्रकरण में उसकी कोई आवश्यकता नहीं है। टुंडा के खिलाफ यूपी सहित कई जगहों पर मामले चल रहे हैं। यहां से उसे यूपी भेजा जाएगा। उन्होंने कहा कि सीबीआई ने अपनी जांच में बहुत खामियां छोड़ी थीं। टुंडा पर अपराध साबित करने के लिए सीबीआई ने आरोप पत्र तक पेश नहीं किया। किसी गवाह ने टुंडा की कोर्ट में शिनाख्त नहीं की, डायरेक्ट इंवॉल्वमेंट तक नहीं माना है। सीबीआई यह भी साबित नहीं कर पाई की टुंडा ने बम बनाए या रखे हों या वह पूरे प्रकरण का मास्टरमाइंड हो। उसके खिलाफ अभियुक्त स्वीकृति तक नहीं आई।
01:18 PM29 फ़रवरी 2024
इरफान बोला- कोर्ट के फैसले का सम्मान करता हूं
वकील अब्दुल रशीद ने कहा कि इरफान करीब 16 से 17 और हमीदुद्दीन 14 साल से जेल में है। मामले में सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाएगी। इरफान 70 पर्सेंट के करीब पैरालाइज है। वहीं इरफान ने कहा कि मैं कोर्ट के फैसले का सम्मान करता हूं।
11:54 AM29 फ़रवरी 2024
आईएसआई से ली थी ट्रेनिंग
- 80 के दशक में अब्दुल करीम उर्फ टुंडा ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से इसकी ट्रेनिंग ली थी। इसके बाद लश्कर-ए-तैयबा के संपर्क में आया था। 6 दिसंबर 1993 को ट्रेनों में विस्फोट के वक्त करीम टुंडा लश्कर का विस्फोटक विशेषज्ञ था।
- मुंबई के डॉक्टर जलीस अंसारी, नांदेड के आजम गौरी और करीम टुंडा ने ‘तंजीम इस्लाम उर्फ मुसलमीन’ संगठन बनाकर बाबरी विध्वंस का बदला लेने के लिए 1993 में पांच बड़े शहरों में ट्रेनों में बम धमाके किए थे।
- 1996 में दिल्ली में पुलिस मुख्यालय के सामने बम धमाके का आरोप भी टुंडा पर है। 1996 में सुरक्षा एजेंसी इंटरपोल ने उसका रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया।
- साल-2000 में टुंडा के बांग्लादेश में मारे जाने की खबरें आईं, लेकिन 2005 में दिल्ली में पकड़े गए लश्कर के आतंकी अब्दुल रज्जाक मसूद ने टुंडा के जिंदा होने का खुलासा किया।
- 2001 में संसद भवन पर हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से जिन 20 आतंकियों के प्रत्यर्पण की मांग की थी, उसमें टुंडा भी था।
- बम बनाते वक्त एक हाथ खो देने के बाद अब्दुल करीम का नाम ‘टुंडा’ पड़ा। उस पर करीब 33 क्रिमिनल केस हैं और करीब 1997-98 में करीब 40 बम धमाके कराने के आरोप हैं।
- देश में केवल तीन ही टाडा कोर्ट
- टाडा कानून के तहत पकड़े जाने वाले आरोपियों की सुनवाई के लिए देशभर में केवल तीन विशेष अदालत हैं। मुंबई, अजमेर और श्रीनगर। श्रीनगर कोर्ट अभी नई बनी है इसलिए उत्तर भारत से जुड़े ज्यादातर मामलों की सुनवाई अजमेर की टाडा कोर्ट में होती है। वहीं दक्षिण भारत से जुड़े मामलों में मुंबई में सुनवाई होती है।
11:53 AM29 फ़रवरी 2024
आरोपियों का परिवार भी पहुंचा

कोर्ट परिसर में आरोपियों के परिवार वाले अपने-अपने वकीलों से बात करते हुए
11:51 AM29 फ़रवरी 2024
कोर्ट पहुंचे तीनों आरोपी

पुलिस तीनों आरोपियों को कोर्ट लेकर आते हुए।
11:42 AM29 फ़रवरी 2024
1980 में आतंकी संगठनों के संपर्क में आया था
अब्दुल करीम उर्फ टुंडा उत्तर प्रदेश में हापुड़ जिले के कस्बा पिलखुवा का रहने वाला है। वह पिलखुवा कस्बे में कारपेंटर (बढ़ई) का काम करता था। इसके बाद कपड़े का कारोबार करने मुंबई चला गया। मुंबई के भिवंडी इलाके में उसके कुछ रिश्तेदार रहते थे। 1985 में भिवंडी के दंगों में उसके कुछ रिश्तेदार मारे गए। इसका बदला लेने के लिए उसने आतंकवाद की राह पकड़ी थी। 1980 के आस-पास वह आतंकी संगठनों के संपर्क में आया था।
11:41 AM29 फ़रवरी 2024
टुंडा का राजस्थान कनेक्शन
लश्कर जैसे कुख्यात आतंकी गिरोह से जुड़े अब्दुल करीम का नाम टुंडा एक हादसे के बाद पड़ा था। साल 1985 में टुंडा टोंक जिले की एक मस्जिद में जिहाद की मीटिंग ले रहा था। इस दौरान वह पाइप गन चलाकर दिखा रहा था। तभी यह गन फट गई, जिसमें उसका हाथ उड़ गया। इसके कारण उसका नाम टुंडा पड़ गया।
11:39 AM29 फ़रवरी 2024
24 सितंबर 2023vको लाया गया था अजमेर
आतंकी अब्दुल करीम उर्फ टुंडा UP की गाजियाबाद जेल में बंद था। 24 सितंबर 2023 को उसको गाजियाबाद जेल से अजमेर लाया गया था। तब से अजमेर जेल में है। टुंडा साल 2015 में नेपाल बॉर्डर से पकड़ा गया था।
11:38 AM29 फ़रवरी 2024
करीब 30 साल प्रकरण की सुनवाई चली
वर्ष 1993 में सरकार बनाम डॉ जलीस अंसारी के नाम से प्रकरण दर्ज कर आरोपियों पर देश के पांच शहरों में ट्रेनों में सीरियल बम धमाके करने का आरोप है। इनमें कोटा के अमाली, कानपुर में दो ट्रेनों में, सूरत व मुंबई शामिल है। हादसे में सैकड़ों घायल हुए थे, जबकि एक जने की मौत हो गई थी। सीबीआई ने 1994 में प्रकरण को क्लब करते हुए टाडा कोर्ट अजमेर भेज दिया। करीब 30 साल प्रकरण में सुनवाई चली।
11:09 AM29 फ़रवरी 2024
कुछ गवाह विदेश गए तो कुछ मर चुके
1993 में बावरी मस्जिद की बरसी पर आतंकियों ने पूरे भारत में एक्सप्रेस गाड़ियों में ब्लास्ट किया था। पहले कुछ आरोपियों को कोर्ट ने सजा दी थी। तीन आरोपी अब्दुल करीम टुंडा, इरफान अहमद, हमीदुद्दीन फरार चल रहे थे, जिन्हें सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था। उनके खिलाफ कोर्ट में चालान पेश किया गया। वकील ने बताया कि मामले में इतना समय इसलिए लगा कि जो गवाह थे, उनमें कुछ बीमार थे और कुछ की डेथ हो गई। इसके साथ ही कुछ विदेश चले गए थे। इस कारण इस मामले में लंबा समय लगा था। आज कोर्ट में इसका अंतिम फैसला आएगा।
भवानी सिंह, सीबीआई वकील
10:58 AM29 फ़रवरी 2024
टाडा एक्ट में लगी थी अलग-अलग धाराएं
आरोपी इरफान की तरफ से कोर्ट में पैरवी कर रहे वकील अब्दुल रशीद ने बताया कि टाडा एक्ट के अलग-अलग धाराएं लगाई गई थीं। मामले में बचाव पक्ष की तरफ से 66 और 430 गवाह पेश किए गए थे। उन्होंने कहा कि टाडा एक्ट के तहत कानूनी प्रावधानों का पालन नहीं किया गया था। इसका फायदा आरोपी को मिलेगा। इसमें कड़ी नहीं जुड़ रही थी। हमने अपनी तरफ से कोर्ट के सामने पक्ष रखा है।
10:54 AM29 फ़रवरी 2024
कोर्ट पहुंचे दोनों पक्षों के वकील

सरकार की तरफ से पैरवी कर रहे वकील कोर्ट में पहुंचे।
10:45 AM29 फ़रवरी 2024
आरोपियों का परिवार कोर्ट पहुंचा

आरोपी इरफान की पत्नी और परिवार के अन्य सदस्य कोर्ट पहुंचे।
10:44 AM29 फ़रवरी 2024
टुंडा के वकील बोले- वो निर्दोष है
अब्दुल करीम उर्फ टुंडा के वकील शफकत सुल्तानी ने बताया कि 6 दिसंबर 1993 में अलग-अलग ट्रेनों में बम ब्लास्ट किए गए। उसे मामले में आज फैसला आना संभव है। अब्दुल करीम टुंडा, हमीदुद्दीन व इरफान अहमद के खिलाफ फैसला आने की संभावना है। इन पर 5 से 6 शहरों में आंध्र प्रदेश, यूपी, गुजरात राजस्थान और महाराष्ट्र में विस्फोट का आरोप है। अब्दुल करीम टुंडा पर यह आरोप है वह मामले का मास्टरमाइंड है। उसने बम बनाना सिखाया है, ऐसा सीबीआई का कहना है।
वकील ने बताया कि उन्होंने कोर्ट में टुंडा की तरफ से अपना पक्ष रखा है। सीबीआई और राजस्थान सरकार ने अपना पक्ष रखा है। उन्होंने बताया कि अब्दुल करीम टुंडा का कहना है वह निर्दोष और बेकसूर है। उन्होंने कहा कि विशेष बात यह है कि आज दिनांक तक अब्दुल करीम टुंडा के गिरफ्तार होने के बाद से आज तक सीबीआई ने उसके खिलाफ पृथक से कोई चर्चित पेश नहीं की है। जबकि पहले जो भी मुलजिम गिरफ्तार हुए उनके खिलाफ चार्ज शीट पेश हो गई है।
10:22 AM29 फ़रवरी 2024
इस तरह बीते 30 साल
1994 को प्रकरण टाडा कोर्ट में आया। टाटा कोर्ट ने 28 फरवरी 2004 को सुनाई उम्रकैद। सुप्रीम कोर्ट में अपील में बरी- मोहम्मद यूसुफ, सलीम अंसारी, मोहम्मद निसरूद्दीन, मोहम्मद जहीरूद्दीन। फरार हुए- इरफान अहमद, निसार अहमद, मोहम्मद तुफैल। (सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वर्ष 2015 से हो रही नियमित सुनवाई।)
10:21 AM29 फ़रवरी 2024
कुछ ही देर में आएगा फैसला
कुछ ही देर में अंतिम फैसला आने की संभावना है। करीम टुंडा के सरकारी वकील शफकत सुल्तानी ने बताया- 2 राजधानी एक्सप्रेस, सूरत-बड़ोदा, फ्लाइंग क्वीन एक्सप्रेस, राजधानी एक्सप्रेस, आंध्रप्रदेश एक्सप्रेस में बम धमाके हुए थे। इनके खिलाफ आर्म्स एक्ट, टाडा एक्ट, रेलवे और पब्लिक प्रॉपर्टी डैमेज एक्ट में मामले दर्ज हैं। 16 में से 4 को सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया था। 1 दोषी जमाल अल्वी की जयपुर जेल में मौत हो गई थी। 2 फरार चल रहे हैं वहीं बाकी के आरोपी जयपुर जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। आज इसमें टुंडा समेत 3 पर फैसला आना संभव है।
10:20 AM29 फ़रवरी 2024
2015 में नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार किया गया अब्दुल करीम
अब्दुल करीम उर्फ टुंडा 2015 में नेपाल बॉर्डर से गिरफ्तार किया गया था। इसे 24 सितंबर 2023 को गाजियाबाद (यूपी) जेल से अजमेर लाया गया था। तब से अजमेर जेल में हैं।
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