*UAE में मिला इस्लाम के उभार से पहले का ईसाई मठ, उस वक्त नहीं हुआ था पैगंबर मुहम्मद का जन्म!*
मठ के अवशेषों में एक गलियारेनुमा चर्च की आकृति मिली. इसके साथ ही वहां बैप्टिज्म ( लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने की प्रक्रिया) के लिए अलग कक्ष और ऐसे कई कमरों के अवशेष मिले जिनका इस्तेमाल अक्सर चर्च में होने वाले समारोह के लिए वेफर्स बनाने के लिए किया जाता है. इसके साथ ही वहां कई छोटे-छोटे कक्ष भी थे जिनका इस्तेमाल ईसाई धर्म में पादरियों के द्वारा एकांत में समय बिताने और ईश्वर का ध्यान करने के लिए किया जाता है.
संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में एक बेहद प्राचीन ईसाई मठ मिला है जो इस्लाम के उभार और पैगंबर मोहम्मद के जन्म से पहले का बताया जा रहा है. डेली मेल की रिपोर्ट के मुताबिक, इस मठ को लगभग 1,400 साल से भी पहले बनाया गया था.
मठ के अवशेषों में एक गलियारेनुमा चर्च की आकृति मिली. इसके साथ ही वहां बैप्टिज्म (लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने की प्रक्रिया) के लिए अलग कक्ष और ऐसे कई कमरों के अवशेष मिले जिनका इस्तेमाल अक्सर चर्च में होने वाले समारोह के लिए वेफर्स और ब्रेड बनाने के लिए किया जाता है. इसके साथ ही वहां कई छोटे-छोटे कक्ष भी थे जिनका इस्तेमाल ईसाई धर्म में पादरियों द्वारा एकांत में समय बिताने और ईश्वर का ध्यान करने के लिए किया जाता है.
*इससे पहले 1990 में मिला था ईसाई मठ*
रिपोर्ट के मुताबिक, ये खोज फारस की खाड़ी के इर्द-गिर्द ईसाई धर्म के प्रचार-प्रसार को लेकर नए रास्ते खोल सकती है. ये मठ 1,400 वर्ष से भी पहले का है जो बताता है कि इस्लाम के इस इलाके में प्रसार से पहले यहां ईसाई धर्म के लोग मौजूद थे.
इस क्षेत्र में अपनी तरह का ये दूसरा मठ मिला है. पहला मठ 1990 में मिला था. इतिहासकारों का मानना है कि इस क्षेत्र में इस्लाम का प्रसार होने के बाद ईसाई लोग इस्लाम में परिवर्तित होने लगे इसलिए धीरे-धीरे लोगों ने इस मठ को भुला दिया.
*मठ में मिली ईसाई धर्म की निशानियां*
ये मठ सिनियाह द्वीप पर मिला है जो उम्म अल-कुवैन अमीरात में आता है. मठ की नींव में पाए गए नमूनों की कार्बन डेटिंग 534 और 656 ईस्वी के बीच की है. जबकि पैगंबर मुहम्मद का जन्म 570 ईस्वी के आसपास हुआ था और मक्का में 632 ईस्वी में उनकी मृत्यु हो गई थी.
मठ के बगल में चार कमरों के साथ एक अलग इमारत का अवशेष भी है जिसे लेकर पुरातत्वविदों का मानना है कि इसके आसपास काफी बड़ा आंगन था और ये संभवत मठ के मुखिया का घर रहा होगा.
*खोज से वैज्ञानिकों में उत्साह*
यूएई विश्वविद्यालय में पुरातत्व विभाग के एक एसोसिएट प्रोफेसर टिमोथी पावर जिन्होंने इस नए खोजे गए मठ की जांच में मदद की है, वो कहते हैं कि उन्हें लगता है कि ‘यूएई आज देशों को मिलाने वाले केंद्र’ के तौर पर उभरा है.
उन्होंने कहा कि इस खोज से पता चलता है कि वास्तव में इस तरह की चीजें यहां 1000 साल पहले घटित हो रही थीं जो वाकई उल्लेखनीय हैं और इतिहास की ये कहानी लोगों को बतानी चाहिए.
यह मठ सिनियाह द्वीप पर है जो दुबई के उत्तरपूर्व में करीब 50 किलोमीटर की दूरी पर फारस की खाड़ी के तट के पास स्थित है.
इतिहासकारों ने कहा कि इस तरह के प्राचीन चर्च और मठ फारस की खाड़ी के साथ-साथ वर्तमान ओमान के तटों और पूरे भारत में फैले हुए थे.
*मध्य पूर्व के कई देशों में मिल चुके हैं ईसाई मठ*
पुरातत्वविदों ने इराक, बहरीन, ईरान, कुवैत और सऊदी अरब में इस तरह के अन्य ईसाई मठ खोजे हैं. 1990 में पुरातत्ववेत्ताओं ने यूएई में पहले ईसाई मठ की खोज सर बानी यस द्वीप पर की थी जो इस दूसरे ईसाई मठ जितना ही पुराना है.
इस खोज के दौरान पुरातत्वविदों को मठ के आसपास आठ से अधिक घर के अवशेष भी मिले जिन्हें लेकर पुरातत्वविदों का कहना है कि उस समय इन घरों में लोग रहा करते थे.
ऐसा माना जा रहा है कि ये मठ भारत के व्यापार मार्ग से यात्रा करने वाले लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण गंतव्य था.
पुरातत्वविदों का मानना है कि इस्लाम आने के बाद 750 ईस्वी के आसपास यहां रहने वाले लोगों ने ईसाई धर्म की निशानी इस मठ और बस्ती को ‘शांतिपूर्वक’ छोड़ दिया गया था.
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