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कृष्ण की नगरी जहां 80% है मुस्लिम आबादी:6.5 करोड़ की जमीन पर कब्जा कर बनाई थीं मस्जिद-मजारें, कराची 2 घंटे दूर

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कृष्ण की नगरी जहां 80% है मुस्लिम आबादी:6.5 करोड़ की जमीन पर कब्जा कर बनाई थीं मस्जिद-मजारें, कराची 2 घंटे दूर

बेट द्वारका को भेंट द्वारका भी कहा जाता है। माना जाता है कि यही वो जगह है जहां श्रीकृष्ण से मिलने सुदामा आए थे और उनकी दरिद्रता खत्म हुई। हालांकि, अब हालात ये हैं कि इलाके में मंदिर कम और मस्जिद-मजारें ज्यादा नजर आती हैं। इस आइलैंड की आबादी 12,000 है जिनमें से 80%, यानी करीब 9,500 मुसलमान हैं।

कृष्ण की नगरी द्वारका से 35 किमी दूर बसा बेट द्वारका चुनावी शोर से अब भी बहुत दूर है। अक्टूबर के पहले हफ्ते में यहां का सन्नाटा JCB के शोर से टूटा। इस दौरान 100 से ज्यादा अतिक्रमण हटाए गए। इनमें कई मस्जिद और मजारें भी थीं। कब्जा की गई इस जमीन की कीमत साढ़े 6 करोड़ रुपए है।

सरकार ने दो हफ्ते अभियान चलाकर बेट द्वारका में अतिक्रमण तोड़ा था। इसका मलबा अब तक उसी जगह पड़ा है। कुछ लोगों का कहना है कि कागज होने के बावजूद उनके घर तोड़ दिए गए।

समुद्र किनारे मस्जिद-मजारें बन गईं, किसने बनाईं पता नहीं
बेट द्वारका में जंगल काटकर समुद्र के एकदम करीब कई मस्जिद-मजारें बना ली गईं। यहां कई साल से रह रहे लोगों को भी नहीं पता कि इन्हें किसने और कब बनाया। यहां के 80% लोग मछली के कारोबार से जुड़े हैं। लोग बोट से इंटरनेशनल बॉर्डर तक जाते हैं। लौटकर कितने और कौन आ रहा है, इसका कोई हिसाब नहीं होता।

यहां से कराची की दूरी 105 किमी के आसपास है। समुद्री रास्ते से दो से तीन घंटे में पाकिस्तान पहुंचा जा सकता है। बेट द्वारका में रहने वाली कई लड़कियों की शादी पाकिस्तान में हुई है और पाकिस्तान की कई लड़कियां शादी करके यहां बसी हैं।

द्वारका में चुनावी कवरेज के बीच मुझे कई लोग बेट द्वारका में ढहाए गए अतिक्रमण के बारे में बातें करते मिले। मैंने अपने साथी से कहा कि चलिए बेट द्वारका घूम कर आते हैं, तो उन्होंने जाने से इनकार कर दिया। बोले- मैं किसी को अरेंज कर दूंगा, आप उनके साथ चले जाना।

पुलिस की परमिशन के बिना अतिक्रमण वाली जगह कोई नहीं जा सकता
मैंने द्वारका से एक बाइक रेंट पर ली और बेट द्वारका के लिए निकल गया। मेरे साथ मुझे बाइक रेंट पर देने वाले तौसीफ के भाई थे। वे बाइक चला रहे थे, मैं पीछे बैठा था। रास्ते में उनसे बातचीत हुई तो बोले कि यहां लोगों के घर तोड़ दिए गए और मस्जिद-मजारें भी गिरा दी हैं। मैंने पूछा कि ऐसा क्यों हुआ तो बोले मैं नहीं जानता।

रास्ते में मीठापुर गांव से जीतू बा भी हमारे साथ हो लिए। जीतू लोकल जर्नलिस्ट हैं और खास तौर पर समुद्री किनारे पर बसे गांवों से ही रिपोर्ट करते हैं। करीब 50 मिनट में हम ओखा जेट्‌टी तक पहुंच गए। ओखा के बाद से अरब सागर शुरू हो जाता है। भगवान कृष्ण के दर्शन के लिए जा रहे भक्तों के साथ बोट में हम तीनों भी सवार हो गए। 20 मिनट में बेट द्वारका आइलैंड पहुंच गए।

बेट द्वारका तक नाव से ही जाया जा सकता है। एक नाव में 100 से 150 लोग जा सकते हैं। नाव से जाने वाले हर यात्री को 20 रुपए किराया देना होता है।

साथी जीतू ने बताया कि पुलिस की परमिशन के बिना हम उन स्पॉट पर नहीं पहुंच पाएंगे, जहां से अतिक्रमण हटाया गया था। उन जगहों पर अब तक कोई भी नहीं गया है, क्योंकि किसी को लोकेशन ही नहीं पता। अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई के वक्त भी पुलिस वाले मीडिया को एक-दो स्पॉट पर ही ले जाते थे और कुछ-कुछ दिखाने के बाद वापस छोड़ देते थे।

SI ने कहा DSP से बात कीजिए, DSP बोले- SP से बात करके बताता हूं
इसके बाद हम परमिशन मांगने बेट द्वारका मरीन पुलिस स्टेशन पहुंचे। वहां एक SI और एक जवान मौजूद थे। उन्होंने कहा कि आप डिप्टी SP से बात कर लीजिए, इसके बाद ही आगे जा पाएंगे। हमनें DSP समीर सारडा को फोन किया तो उन्होंने कहा कि मैं आपको SP साहब से बात करके बताता हूं।

SP नीतिश पांडे को कॉल किया तो उन्होंने वॉट्सऐप पर मेरा ID कार्ड मंगवाया। करीब एक घंटे के इंतजार के बाद DSP ने इस शर्त के साथ आगे बढ़ने की इजाजत दी कि आपके साथ एक जवान जाएगा और आपको किसी का इंटरव्यू नहीं लेना है।

बेट द्वारका मरीन पुलिस स्टेशन द्वारकाधीश मंदिर से एकदम सटा हुआ है। यहीं से अतिक्रमण वाली जगह जाने की परमिशन मिलती है।

सर्वे के बाद अतिक्रमण तोड़ा, मलबा अब भी स्पॉट पर
फिर हम एक जवान, एक नगर पुलिस सेवक के साथ स्पॉट की तरफ निकले। करीब एक किमी ही चले होंगे और वह जगह आ गई, जहां अतिक्रमण हटाए गए थे। इनका मलबा अब भी यहीं पड़ा है।

बेट द्वारका में कई साल से रह रहे और अब पुलिस की नगर सेवा समिति का हिस्सा धर्मेश जोशी भी हमारे साथ थे। मैंने पूछा कि यह कार्रवाई क्यों हुई? तो बोले- हम इतने साल से यहां रह रहे हैं, लेकिन हमें भी नहीं पता था कि समुद्र के किनारे इतनी मस्जिद-मजारें बना ली गई हैं।

प्रशासन ने जब सर्वे करवाया तब पता चला कि बहुत बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हुआ है। अधिकतर मजारें समुद्र के एकदम करीब बनी थीं। किसने और कब बनाई ये किसी को पता ही नहीं चला।

मौके के कुछ फोटो-वीडियो लेने के बाद हम बस्ती की तरफ बढ़े। वहां हमें ऑटो चलाने वाले सुल्तान मिल गए। सुल्तान के घर को भी अवैध होने की वजह से ढहा दिया गया था। उन्होंने बताया कि अभी झोपड़ी बनाकर रह रहा हूं। जिन लोगों के पास सिटी सर्वे नंबर नहीं था, प्रशासन ने उन सभी के घर तोड़ दिए। मेरे पास 550 साल पुराने कागज थे, मैंने उन्हें दिखाया, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि ये मान्य नहीं हैं।

गुजरात के टूरिज्म मिनिस्टर पूर्णेश मोदी ने अतिक्रमण हटाने पर ट्वीट किया था, जो उन्होंने बाद में डिलीट कर दिया। उन्होंने लिखा था कि 2005 में ली गई सैटेलाइट इमेज के मुताबिक यहां 6 मस्जिदें थीं। अब यह आंकड़ा 78 हो चुका है। इसमें मस्जिद, मजार और दरगाह शामिल हैं। ज्यादातर अवैध हैं और सरकारी जमीन पर बनी हैं।

1945 में यहां शासन कर रहे गायकवाड़ वंश ने मुस्लिमों को 20 बाई 20 का स्पेस दिया था। 1960 की जनगणना के मुताबिक, यहां मुस्लिम वोटर 600 और हिंदू 2,786 थे। समय के हिसाब से हिंदुओं की आबादी 6000 और मुस्लिमों की 1200 होनी चाहिए थी, लेकिन हिंदू घटकर 960 रह गए और मुस्लिमों की संख्या 6040 पर पहुंच गई।

पूर्णेश मोदी के मुताबिक, बेट द्वारका में रहने वाली कई लड़कियों की शादी पाकिस्तान में हुई है। पाकिस्तान की लड़कियां यहां ब्याही गई हैं। स्मगलिंग के तार भी यहां से जुड़ने के सबूत मिल चुके हैं।

बेट द्वारका में ऐसे घर, जहां तक बोट सीधे जाती है
रात में मेरी मुलाकात द्वारका के एक RSS नेता से हुई। भौगोलिक स्थिति समझाने वे मुझे समुद्र के किनारे ही ले गए। बोले- आइलैंड पर रहने वाले ज्यादातर लोग मछली का धंधा करते हैं। बोट से इंटरनेशनल बॉर्डर तक जाते हैं। कितने लौटकर आते हैं और उधर से कौन आ रहा है, इसका कोई हिसाब नहीं होता।

आइलैंड में कुछ घर ऐसे बने हैं, जिनमें बोट अंदर तक चली जाती है। अब इनमें क्या और कैसे आता है, ये अधिकारी भी जानते हैं, लेकिन कमीशन खाकर सब चुप हैं। इस बार सीधे केंद्र से आदेश थे इसलिए एक्शन हो पाया है। अभी तो 40% अतिक्रमण पर ही बुलडोजर चला है। चुनाव के बाद फिर सफाया शुरू हो सकता है, क्योंकि यह आइलैंड देश के लिए खतरा बनता जा रहा है।

सुन्नी वक्फ बोर्ड दो आइलैंड पर दावा जता चुका
दिसंबर 2021 में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बेट द्वारका के दो आइलैंड पर अपना दावा जताया। इस पर गुजरात हाईकोर्ट ने पूछ लिया कि कृष्ण नगरी पर आप कैसे दावा कर सकते हैं और याचिका खारिज कर दी। हमने बेट द्वारका में अतिक्रमण तोड़ने पर गुजरात वक्फ बोर्ड के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर एमएच खुमार से बात की।

वे बोले कि इस बारे में हमारा कुछ भी कहना नहीं है। आइलैंड पर बोर्ड का दावा करने की बात उन्होंने सिरे से खारिज कर इसे अफवाह बताया।

पाकिस्तान से हो रही ड्रग्स तस्करी, NIA के पास जांच
बेट द्वारका में जिन लोगों के घर और दुकानें तोड़ी गईं, उनमें मछली कारोबारी रमजान गनी पलानी भी शामिल है। रमजान को 2019 में कच्छ के जखाऊ तट से 500 करोड़ रुपए की 236 किलो ड्रग्स की जब्ती मामले में अरेस्ट किया गया था। NIA ने अपनी चार्जशीट में रमजान के अलावा पाकिस्तान के 6 लोगों का नाम भी शामिल किया था।

सभी पाकिस्तानी एक जहाज अल मदीना के जरिए भारतीय सीमा में आए थे। नाव के कैप्टन ने सैटेलाइट फोन के साथ कुछ बैग समुद्र में फेंकने की बात मानी थी। जहाज से 211 पैकेट हेरोइन जब्त की गई थी। इसे रमजान को सौंपा जाना था। रमजान का बेटा जावेद भी तस्करी के आरोप में पाकिस्तान की जेल में बंद है।

रमजान ने 5 हजार वर्ग फीट जमीन पर कब्जा किया था। उसने यहां दुकानें बना लीं। ये सभी दुकानें समंदर किनारे थीं। DSP समीर सारडा के मुताबिक इस इलाके में पहले मजार बनाकर लोगों में भरोसा पैदा किया गया। उनकी आड़ में कब्जे का खेल शुरू हुआ।

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