80 एनकाउंटर करके जिन्होंने छुड़ाए थे अंडरवर्ल्ड के पसीने… 26/11 मुंबई हमले के जांबाज ऑफिसर शहीद विजय सालस्कर की कहानी!
हमारी सीरीज सिंघम जारी है। इस सीरीज में हम आपको बताते हैं कहानियां उन जांबाज ऑफिसर्स की जिनके नाम से भी अपराधियों के पसीने छूटने लगते हैं। ऐसे एनकाउंटर स्पेशलिस्ट जिन्होंने एक दो नहीं बल्कि कितने ही अपराधियों को उनके किए की सजा दी। इस कहानी में आज बात विजय सालस्कर की जो मुंबई हमले में शहीद हो गए थे।
26/11 की वो काली रात जब आतंकियों ने मुंबई को दहलाने की कोशिश की। आतंकियों को उनके मंसूबों में रोकने के लिए जो तीन जाबाज ऑफिसर सबसे पहले सामने आए थे उनमें से एक थे विजय सालस्कर। एटीएस चीफ हेमंत करकरे और अशोक काम्टे कार में बैठे थे और तीसरे ऑफिसर जो ड्राइविंग सीट पर कमान संभाले हुए थे वो विजय सालस्कर थे जो कामा हॉस्पिटल के बाहर आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। पेड़ के पीछे छुपे आतंकियों ने इन ऑफिसर्स की कार को गोलियों से भून डाला था और तीनों ही ऑफिसर वहीं देश के लिए शहीद हो गए थे।
2009 में वीरता के लिए अशोक चक्र मिला
2008 में विजय सालस्कर शहीद हुए। 2009 में उनके साहसऔर देश प्रेम के लिए मरणोपरांत अशोक चक्र दिया गया। तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने सालस्कर की पत्नी स्मिता सालस्कर को गैलेंटरी अवार्ड दिया। मुंबई हमलों के दौरान तो सालस्कर के बहादुरी के किस्से हर किसी की आंख में अपने हीरो के लिए आंसू ले ही आए, लेकिन पहले भी मुंबई में इस जांबाज ऑफिसर की कहानियां कई युवा ऑफिसर को प्रेरित करती हैं।
80 एनकाउंटर कर किया अपराधियों का सफाया
देश के दस बड़े एनकाउंटर स्पेशलिस्ट में शामिल विजय सालस्कर साल 1983 में मुंबई पुलिस में आए। उन्होंने सब इंस्पेक्टर की पोस्ट पर ज्वॉइनिंग की और एनकाउंटर स्पेशलिस्ट स्कॉवड का हिस्सा बन गए। मुंबई पुलिस में आने के एक साल बाद ही उन्होंने जब मुंबई के एक अपराधी राजा शहाबुद्दीन का एनकाउंटर किया तो वो चर्चा में आ गए। बस यहीं से शुरूआत हुई उनकी एनकाउंटर की कहानियों की। विजय सालस्कर के नाम से करीब 75 से 80 एनकाउंटर दर्ज हैं। मुंबई को अपराधियों से मुक्त करने में विजय सालस्कर का योगदान कोई नहीं भूल सकता है। कहते हैं वो उस दौरान मुंबई पुलिस कमिश्नर राकेश मारिया के सबसे भरोसेमंद पुलिस ऑफिसर्स में से एक हुआ करते थे।
अरुण गवली गैंग का किया सफाया
80 के दशक में मुंबई में अंडरवर्ल्ड का खौफ था और तब विजय सालस्कर जैसे जांबाज ऑफिसरों की मदद से इन डॉन के गुर्गों का सफाया किया गया था। विजय सालस्कर ने अरुण गवली गैंग के कई शूटर्स को मार गिराया, जबकि कइयों को गिरफ्तार किया। उस वक्त मुंबई के कई अखबारों में छपी खबरों के मुताबिक एक बार अरुण गवली ने एक महिला पत्रकार के साथ मारपीट की थी, जिसके बाद विजय सालस्कर, अरुण गवली को उनके घर से उठाकर थाने ले कर आ गए और थाने में उनकी पिटाई कर डाली।
कई बड़े शूटर्स को एनकाउंटर में मार गिराया
सालस्कर ने 1997 में सिर्फ 15 दिन के अंदर गवली के टॉप तीन शूटर गणेश शंकर भोसले, सदा पावले और विजय तांडेल एनकाउंटर में मार गिराया था। इसके बाद तो गवली गैंग से सालस्कर की मुठभेड़ की खबरें अक्सर आती रहतीं। गवली गैंग के शूटर्स दिलीप कुलकर्णी, नामदेव पाटील, शरद बंडेकर, बबन राघव और बंड्या आडीवडेकर को भी सालस्कर ने मार गिराया था। कहते हैं जब बाद में अरुण गवली एमएलए बन गए तो तब भी ये जाबाज पुलिस ने इस गैंग के सफाए में कोई कसर नहीं छोड़ी।
विजय सालस्कर पर कुछ आरोप भी लगे
मुंबई पुलिस में महाराज के नाम से मशहूर विजय सालस्कर पर 25 साल की पुलिस नौकरी के दौरान कुछ आरोप भी लगे। उनके एक एनकाउंटर में 18 साल के लड़के की मौत हो गई थी जिसके बाद कुछ सवाल भी खड़े हुए। इसके अलावा गुटखा व्यापारियों के साथ सांठ-गांठ को लेकर भी उनपर आरोप लगते रहे। यहां तक की उनसे उनकी सर्विस पिस्टल भी ले ली गई थी। विजय सालस्कर बाद में मुंबई पुलिस की एंटी एक्सटॉर्शन सेल का हिस्सा बने।
अब बस यादों में हैं वीर ऑफिसर
विजय सालस्कर का परिवार मुंबई हमले की उस रात को याद कर आज भी भावुक हो जाता है, जब फोन पर विजय के शहीद होने की खबर दी गई थी। सालस्कर की पत्नी स्मिता ने उनकी मौत के 4 साल बाद तक कोई त्यौहार नहीं मनाया था। मुंबई हमले के आतंकी अजमल कसाब को फांसी हुई तब जाकर विजय के घर में पहली बार गणपति का आगमन हुआ। उनकी पत्नी स्मिता ने मीडिया को बताया था कि सालस्कर हर साल घर में गणपति जरूर लाते थे, इसके अलावा दिवाली भी घर पर धूम-धाम से मनाई जाती थी, लेकिन बावजूद इसके वो चार साल तक इन त्यौहारों से दूर रहीं। विजय सालस्कर की बेटी बतातीं हैं कि जब उन्हें अपने पिता की याद आती है तो वो यूट्यूब पर उनके वीडियो देखती हैं।
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