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13 साल पहले वह स्कूल गया था पर लौटा नहीं.. दिल्ली की इस क्राइम स्टोरी का सच हैरान कर देगा

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13 साल पहले वह स्कूल गया था पर लौटा नहीं.. दिल्ली की इस क्राइम स्टोरी का सच हैरान कर देगा

एक स्टूडेंट की पीट-पीटकर हत्या के आरोपी को दिल्ली पुलिस ने करीब 13 साल बाद बिहार के शिवहर जिले से गिरफ्तार किया है। पुलिस के मुताबिक, वह ब्लूलाइन बस का ड्राइवर था। तब उसने खलासी और कंडक्टर के साथ मिलकर स्टूडेंट की पीटपीटकर हत्या कर दी थी और उसे हादसे का शक्ल देने के लिए शव को रेल पटरी पर फेंक दिया था।

हाइलाइट्स

  • 27 अगस्त 2010 को दिल्ली में एक 17 साल के स्टूडेंट की स्कूल से आते वक्त हुई थी हत्या
  • किराये के विवाद पर ब्लूलाइन बस के कंडक्टर, ड्राइवर और खलासी ने पीट-पीटकर मार डाला था
  • करीब 13 साल बाद दिल्ली पुलिस ने आरोपी बस कंडक्टर को बिहार के शिवहर से किया गिरफ्तार

नई दिल्ली : वह 13 साल तक दुनिया की आंखों में धूल झोंक पहचान बदलकर रह रहा था। शातिर इतना कि नाम बदल लिया। भरत लाल से भरत राउत हो गया। बदले नाम को अपनी पहचान बनाने के लिए फर्जी दस्तावेज भी बनवा लिए। दिल्ली पुलिस को उसकी तलाश थी लेकिन वह बिहार के शिवहर जिले में रह रहा था। आखिरकार, एक दशक से ज्यादा वक्त बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। उस पर दो अन्य के साथ मिलकर अपहरण और हत्या का आरोप है। शातिरपने का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि तीनों ने हत्या को हादसे का रूप दे दिया। यहां तक कि पुलिस भी हादसा ही मानती रही लेकिन जब कोर्ट की दखल के बाद जांच हुई तो जुर्म की ऐसी कहानी सामने आई कि पुलिस वाले भी हैरान रह गए।

मां कर रही थी बेटे के स्कूल से लौटने का इंतजार
27 अगस्त 2010, शाम की वक्त। 17 साल के चंदन उर्फ राहुल की मां इंदु देवी हरकेश नगर (ओखला के पास) स्थित अपने घर में बेटे के स्कूल से आने का इंतजार कर रही थी। चंदन उर्फ राहुल सरकारी स्कूल में 12वीं का छात्र था। देर होने पर वह बेचैन हो रही थीं। ज्यादा देर हुई तो कालकाजी पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखाई। उसी शाम निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन के करीब ट्रैक पर पुलिस को एक युवक की लाश मिली जिस पर चोट के कई निशान थे। जब इंदु देवी को शव की पहचान करने के लिए बुलाया गया तो उन्होंने मृतक की अपने बेटे चंदन उर्फ राहुल के तौर पर पहचान की। एक पल में एक मां की कोख उजड़ गई। पुलिस ने इसे ट्रेन हादसे में मौत माना।

बस कंडक्टर का फोन कॉल बना सुराग
उसी रात इंदु देवी को एक अनजान नंबर से कॉल आया। कॉलर ने खुद को बस कंडक्टर मोहम्मद दानिश बताते हुए कहा कि उनके बेटे का स्कूल बैग उसके पास है। आकर ले जाइए। जब परिवार ने उस मोबाइल नंबर पर फोन मिलाया तो वह स्विच ऑफ मिला। जब पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट आई तो पता चला कि उसके शरीर पर जख्मों के जो निशान मिले थे वो मौत से काफी पहले के थे। इससे परिवार को शक हुआ कि कहीं ये हत्या तो नहीं। उधर पुलिस ने कोई एफआईआर नहीं लिखा था जबकि हादसे में मौत मानकर जांच बंद कर चुकी थी। परिवार कोर्ट पहुंचा। कोर्ट के आदेश के बाद दिल्ली पुलिस ने 11 नवंबर 2010 को अपहरण और हत्या के आरोपों में एफआईआर दर्ज की।

कोर्ट के आदेश के बाद पुलिस ने दर्ज की एफआईआर
एफआईआर दर्ज करने के बाद जब पुलिस ने जांच शुरू की तो पता चला कि चंदन को आखिरी बार नेहरू प्लेस में रूट नंबर 425 की एक ब्लूलाइन बस में सवार होते देखा गया था। इसके बाद पुलिस ने उस मोबाइल नंबर का डीटेल निकाला जिससे चंदन की मां को फोन आया था। पता चला कि ये एक बस के कंडक्टर मोहम्मद दानिश का मोबाइल नंबर है। पुलिस ने जब जांच आगे बढ़ाई तो हत्या की पूरी कहानी सामने आई लेकिन कई बार छापा मारने के बाद भी कोई भी आरोपी उसके गिरफ्त में नहीं आया।

क्या हुआ था चंदन के साथ
दरअसल, स्कूल से लौटने के लिए चंदन एक ब्लूलाइन बस में सवार हुआ। बस में जब कंडक्टर मोहम्मद दानिश ने टिकट खरीदने के लिए कहा तो उसने इनकार कर दिया। इसके बाद दोनों में कहासुनी होने लगी। मामला इतना बढ़ा कि बस ड्राइवर भरत लाल (तब 39 साल का था) और खलासी भी आ गए और तीनों ने मिलकर चंदन की पीट-पीटकर हत्या कर दी। तीनों उसके शव को बस से ही निजामुद्दीन एरिया ले गए और रेलवे ट्रैक पर फेंक दिया ताकि लोगों को ये ट्रेन हादसे में मौत का मामला लगे।

बस कंडक्टर की 2011 में हो गई थी मौत
जब जांच के दौरान अपराध की पूरी कहानी परत-दर-परत खुल गई तब पुलिस ने तीनों आरोपियों की तलाश में छापेमारी शुरू की। तीनों साउथ दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में किराये के मकान में रहते थे। दिल्ली, हरियाणा और बिहार में तमाम जगहों पर छापेमारी के बाद भी कोई आरोपी पुलिस के हाथ नहीं लगा। 2014 में केस को साउथ इस्ट डिस्ट्रिक्ट इन्वेस्टिगेशन यूनिट को ट्रांसफर कर दिया गया। बाद में पता चला कि बस कंडक्टर मोहम्मद दानिश की 2011 में मौत हो चुकी थी। इसके बाद पुलिस ने ड्राइवर भरत लाल और क्लीनर को भगोड़ा करार देते हुए उनकी गिरफ्तारी पर 50-50 हजार रुपये का इनाम रखा।

खलासी अब भी फरार
आखिरकार, करीब 13 साल बाद पुलिस भरत लाल को बिहार के शिवहर जिले में गिरफ्तार करने में कामयाब हुई। वह वहां अपना नाम और अपनी पहचान बदलकर रह रहा था। गिरफ्तारी के बाद उसने पुलिस के सामने अपना गुनाह कबूल कर लिया है। बस कंडक्टर दानिश की पहले ही मौत हो चुकी है और तीसरा आरोपी क्लीनर अबतक फरार है। पुलिस ने अभी तक उसके नाम का खुलासा भी नहीं किया है।

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