कश्मीर में फिर टारगेट किलिंग-कश्मीरी पंडित को गोली मारी:बैंक में सिक्योरिटी गार्ड था; पत्नी के साथ बाजार जाते वक्त हमला हुआ
संजय जब रविवार सुबह अपनी पत्नी के साथ बाजार जा रहे थे, तभी आतंकियों ने उन पर हमला किया।
दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले में आतंकियों ने एक कश्मीरी पंडित को गोली मार दी। घायल को अस्पताल ले जाया गया लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। आतंकियों ने संजय शर्मा (40 साल) पर तब हमला किया जब वह पत्नी के साथ सुबह 10.30 बजे मार्केट जा रहे थे।
संजय अचान के रहने वाले थे और बैंक में सिक्योरिटी गार्ड के तौर पर तैनात थे। अक्टूबर 2022 के बाद ये कश्मीर घाटी की पहली टारगेट किलिंग है।
संजय शर्मा को घायल हालत में अस्पताल लाया गया, लेकिन रास्ते में ही उन्होंने दम तोड़ दिया।
विक्टिम संजय शर्मा को जिला अस्पताल लेकर आया गया, लेकिन यहां पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो गई।
हमले के बाद सिक्योरिटी फोर्सेज अलर्ट हो गईं। अस्पताल में मौजूद सिक्योरिटी पर्सनल।
मृतक के घर पर पड़ोसियों की भीड़ लगी हुई है। एक मुस्लिम पड़ोसी ने कहा कि संजय शर्मा को मारकर आतंकियों ने बहुत गलत किया।
मृतक के घर के बाहर भी सिक्योरिटी फोर्सेज तैनात हैं, ताकि दुख के माहौल का फायदा उठाकर आतंकी ऐसी किसी और घटना को अंजाम न दें।
मृतक के शव से लिपटकर रोतीं उनकी पत्नी और मां।
महबूबा मुफ्ती बोलीं- BJP ऐसी घटनाओं का इस्तेमाल मुस्लिमों की छवि खराब करने के लिए करती है
PDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने कहा कि ऐसे हादसों से सिर्फ BJP को फायदा होता है, चाहे हरियाणा में हों या कश्मीर में। BJP यहां पर अल्पसंख्यकों की जिंदगी की रक्षा करने में नाकाम रही है। ये लोग घाटी में सामान्य हालात होने का दावा करने के लिए अल्पसंख्यकों का इस्तेमाल करते हैं।
उन्होंने कहा कि BJP मुस्लिमों की इमेज खराब करने के लिए ऐसी घटनाओं का इस्तेमाल करती है। मैं इसकी निंदा करती हूं। ये कश्मीरी लोगों का बर्ताव नहीं है। ऐसी घटनाएं सरकार की नाकामी जाहिर करती है।
2022 में कश्मीरी पंडितों और प्रवासी-मजदूरों पर हुए थे 29 टारगेटेड अटैक
द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकियों ने 2022 में कश्मीर में कश्मीरी पंडितों और प्रवासी मजदूरों पर 29 टारगेटेड अटैक किए थे। मरने वालों में तीन जिला स्तर के नेता थे (पंच और सरपंच), तीन कश्मीरी पंडित, एक स्थानीय गायिका, राजस्थान से एक बैंक मैनेजर, जम्मू से एक टीचर और एक सेल्समैन और 8 प्रवासी मजदूर शामिल थे। इन हमलों में करीब 10 प्रवासी मजदूर घायल हुए।
पिछले साल घाटी में सिक्योरिटी फोर्सेज पर हुए 12 अटैक
कश्मीर घाटी में तैनात सिक्योरिटी फोर्सेज पर 12 अटैक किए थे। इसमें ग्रेनेड अटैक भी शामिल थे। आतंकियों ने पुलिसवालों के घरों के पास भी टारगेट अटैक किए जिसमें 3 पुलिसवालों की मौत हुई थी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, ये जम्मू-कश्मीर पुलिस ने साल 2022 में किसी भी अन्य सिक्योरिटी एजेंसी की तुलना में ज्यादा सुरक्षाकर्मी खोए। यहां 26 पुलिसवालों की जान गई।
पिछले साल मार्च में कश्मीर के बडगाम जिले के छाताबग गांव में पुलिसकर्मी इशफाक अहमद डार (26) और उनके भाई उमर अहमद डार (23) की आतंकियों ने गोली मार कर हत्या कर दी थी। दोनों के अंतिम संस्कार में उमड़ी भीड़ की तस्वीर।
घाटी में लगातार क्यों हो रही गैर-कश्मीरी की हत्या?
खुफिया एजेंसियों के मुताबिक, टारगेटेड किलिंग पाकिस्तान की कश्मीर में अशांति फैलाने की नई योजना है। माना जा रहा है कि इसका मकसद, आर्टिकल 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के पुनर्वास की योजनाओं पर पानी फेरना है।
आर्टिकल 370 हटने के बाद से ही कश्मीर में टारगेटेड किलिंग कि घटनाएं बढ़ी हैं, जिसमें खासतौर पर आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों, प्रवासी कामगारों और यहां तक कि सरकार या पुलिस में काम करने वाले उन स्थानीय मुस्लिमों को भी सॉफ्ट टागरेट बनाया है, जिन्हें वे भारत का करीबी मानते हैं।
प्रोपेगेंडा फैलाकर घाटी में एक्टिव रहने की साजिश
ISI कश्मीरी लोगों के बीच ये प्रोपेगेंडा फैला रही है कि आर्टिकल 370 हटने के बाद बाहर से आने वाले प्रवासी कामगार उनकी नौकरियां और जमीनों पर कब्जा जमा लेंगे। इस दुष्प्रचार के जरिए वह कश्मीर में पाक समर्थक आतंकी संगठनों के लिए फिर से समर्थन जुटाने की कोशिशों में लगा है।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इन टारगेटेड किलिंग्स के जरिए आतंकियों का एक मकसद घाटी में अपनी उपस्थिति दर्ज कराना है। आर्टिकल 370 हटने के बाद आतंकियों के खिलाफ भारतीय सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई ने कश्मीर में उन्हें कमजोर बना दिया है।
Add Comment