बजट 23-24 की घोषणा:बीकानेर में बनेगा ड्राइपोर्ट, प्रत्येक कंटेनर पर 80 हजार का फायदा होगा, हर साल 35 हजार कंटेनर से हाेता है आयात-निर्यात
इसके बावजूद ड्राइपोर्ट नहीं बना। अब बजट में ड्राइपोर्ट की घोषणा से उद्यमी उत्साहित हैं।
राज्य सरकार ने अपने बजट 23-24 में बीकानेर में ड्राइपोर्ट (इनलैंड कंटेनर) बनाने की घोषणा की है। बीकानेर संभाग के चारों जिलों से हर साल 35 हजार कंटेनर के जरिये आयात-निर्यात होता है। ड्राइपोर्ट बनने से उद्यमियों को प्रत्येक कंटेनर पर करीब 80 हजार रुपए का फायदा होगा, नई इंडस्ट्रियां पनपेंगी और लोगों को रोजगार मिलेगा।
बीकानेर के भुजिया-पापड़ और रसगुल्ले तो पूरे विश्व में जाते ही हैं, इंदिरा गांधी नहर से अच्छी फसलों के कारण एग्रो फूड इंडस्ट्री भी तेजी से पनपने लगी है और इसके उत्पादों मेथी, चना, बाजरा, जीरा, इसबगोल, तिल, सरसों का बड़े पैमाने पर विदेशों में निर्यात होने लगा है। संभाग के बीकानेर सहित श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और चूरू जिलों से हर साल करीब 35 हजार कंटेनर्स के जरिये विभिन्न उत्पादाें अाैर सामान का आयात-निर्यात होता है। इसे देखते हुए राज्य सरकार ने बीकानेर में ड्राइपोर्ट बनाने की घोषणा की है, जिससे उद्यमियों की बांछें खिल उठी हैं, क्योंकि ड्राइपोर्ट से क्षेत्र का उद्योगिक विकास तो होगा ही, प्रत्येक कंटेनर पर उद्यमियों के 80 हजार रुपए बचेंगे।
अभी उद्यमियों को गुजरात के मूंधड़ा या अन्य जगहों के ड्राइपोर्ट से कंटेनर भेजने-मंगवाने पड़ते हैं। इसमें ट्रांसपोर्ट और लोडिंग-अनलोडिंग के कारण माल की लागत बढ़ जाती है। इसके अलावा वर्तमान में बीकानेर संभाग के उद्यमी जयपुर, जोधपुर, कोटा व उदयपुर में ड्राइपोर्ट के कारण वहां के उद्यमियों की लागत कम होने से व्यापारिक मुकाबले में पिछड़ जाते हैं। बीकानेर में ड्राइपोर्ट होने से वे इन शहरों के उद्यमियों के समक्ष खड़े हो पाएंगे। बीकानेर में उत्तर-पश्चिम रेलवे के बीकानेर मंडल और सेंट्रल वेयर हाउससिंह कॉरपोरेशन लि. की ओर से ड्राईपोर्ट स्थापित किया जाएगा।
इसके लिए संयुक्त टीम की ओर से सर्वे हो चुका है और नाल स्टेशन के पास ग्राम शरह नथानिया की जमीन को सर्वाधिक उपयुक्त माना गया है। वर्ष 2007 में राजस्थान लघु उद्योग निगम की ओर से नाल क्षेत्र में ड्राइपोर्ट स्वीकृत किया गया था। प्रशासन की ओर से 75 हेक्टेयर जमीन का कीमतन आबंटन भी कर दिया गया था। ड्राइपोर्ट के लिए 4 करोड़ 46 लाख 22 हजार 999 रुपए भी मिल गए थे जो आज भी जिला कलेक्टर कोष राजस्व विभाग में जमा है, लेकिन दो सालों में ड्राइपोर्ट नहीं बनने के कारण जमीन का आबंटन निरस्त कर दिया गया था।
बीकानेर संभाग के कौनसे जिले से क्या-क्या सामान आता-जाता है
बीकानेर : वूलन यार्न, कारपेट, शॉल, लोई, कंबल, सिरेमिक्स में इंसुलेटर, ग्लेज टाइल्स, सेनेट्रीवेयर, खाद्य आधारित उद्योग में भुजिया-पापड़, नमकीन, रसगुल्ला, ऑयल और एग्रो फूड में मूंगफली, मैथी, चना, जीरा, दलहन, इसबगोल, बाजरा, तिल व सरसों, गवार। अब बीकानेर सोलर हब बन रहा है। सोलर प्लेट्स भी आयात होती हैं।
चूरू : ग्वार, मूंग, मोठ, चना, मूंगफली, सरसों, तारामीरा, लकड़ी का फर्नीचर।
श्रीगंगानगर : कीनू, ग्वारगम, कॉटन जिनिंग, ऑयल मिल, पावरलूम, कोल्ड स्टोरेज, साबुन।
हनुमानगढ़ : कपास, गेहूं, सरसों, ग्वार, मूंगफली, तेल, और चावल।
इसलिए पिछड़ा बीकानेर उद्योग : जिला उद्योग संघ के अध्यक्ष डीपी पचीसिया का कहना है कि बीकानेर को 15 साल पहले ही इंडस्ट्रियल हब बन जाना चाहिए था। राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी यहां औद्योगिक विकास नहीं हो सका। विडंबना ही है कि दशकों से उद्यमियों की ड्राइपोर्ट मांग पर राजसीको ने वर्ष, 07 में ड्राइपोर्ट बनाने की तैयारी की। जमीन स्वीकृत हो गई, करीब 4.50 करोड़ रुपए मिल गए। इसके बावजूद ड्राइपोर्ट नहीं बना। अब बजट में ड्राइपोर्ट की घोषणा से उद्यमी उत्साहित हैं।
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