कोरोना के बाद का रोना:21 माह से कमरे से नहीं निकाले 5.40 करोड़ के उपकरण, 2.83 करोड़ के वेंटिलेटर-मॉनिटर खराब

एक तरफ पीबीएम में मरीजों के लिए बिस्तर कम पड़ रहे, दूसरी तरफ 50 बेड का आईसीयू ही नहीं खुल रहा।
एमसीएच कोविड हॉस्पिटल। जहां कोरोना के कारण सैकड़ों मरीजों की जानें चली गईं तो हजारों को जिंदगी भी मिली। इसी बिल्डिंग के कमरों में कैद है 50 बेड का आईसीयू, जो 21 महीने से धूल फांक रहा है। कोरोनाकाल में दानदाताओं ने करोड़ों रुपए के उपकरण भेंट किए थे। उन्हीं में 7.40 करोड़ लागत का 50 बेड का एक आईसीयू पीबीएम हॉस्पिटल को अगस्त 2021 में मिला था। इसमें 5.40 करोड़ के उपकरण हैं। जिसमें पीएम केयर और युवराज फाउंडेशन के उपकरण भी हैं, जिन्हें इस्तेमाल ही नहीं किया गया।
एमसीएच बिल्डिंग के कमरों पर ताले लगे हैं। इसमें वेंटिलेटर, आईसीयू बेड, मल्टीपल मॉनिटर, बेड साइड कार्डियक टेबल, ऑक्सीजन सिलेंडर सहित 40 तरह के उपकरण धूल फांक रहे हैं। वेंटिलेटर और मॉनिटर खराब हो चुके हैं। बिल्डिंग का फर्स्ट और सेकंड फ्लोर धूल से सना रहता है। कुछ कमरों के दरवाजे जाम हो चुके हैं। ये हालात तब है जब मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने इन उपकरणों की देखरेख के लिए चार कर्मचारियों की ड्यूटी लगा रखी है।
जान बचाने के लिए भामाशाहों ने दिए थे उपकरण, मेडिकल कॉलेज प्रशासन इनकी देखभाल तक नहीं कर पा रहा
पीबीएम में इन्फ्लूएंजा का कहर…आईसीयू, वार्डों में उपकरण नहीं
पीबीएम में इन दिनों इन्फ्लूएंजा के पेशेंट ज्यादा आ रहे हैं, लेकिन उनके लिए बेड तक नहीं है। फर्श पर सोना पड़ रहा है। आईसीयू में नेबूलाइजर और पोर्टेबल सक्शन मशीन खराब पड़ी है। वेंटिलेटर की कमी है। जबकि एमसीएच में ये उपकरण धूल खा रहे हैं।
एमसीएच में लेबर रूम और ओटी तैयार नहीं
कोविड काल में एमसीएच यानी मैटरनल एंड चाइल्ड हॉस्पिटल को कोविड हॉस्पिटल बनाया गया था। कोरोना के बाद यह बिल्डिंग खाली हो गई है। अब इसमें जनाना विंग का ओपीडी और एएनसी शुरू किया गया है, लेकिन प्रसूताओं के लिए लेबर रूप और ऑपरेशन थिएटर अब तक तैयार नहीं हुए। पीबीएम अधीक्षक डॉ. पीके सैनी ने बताया कि दोनों इसी साल तैयार हो जाएंगे।
वेंटिलेटर और मॉनिटर की बैटरियां खराब
एमसीएच बिल्डिंग में ताले में बंद वेंटिलेटर और पेशेंट मॉनिटर की बैटरियां खराब हो गई हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि वर्तमान में सभी उपकरण बैटरी वाले ही आते हैं। ताकि बिजली गुल होने पर भी बैकअप बना रहे। ऐसे उपकरण लंबे समय तक उपयोग में नहीं लेने पर उनकी बैटरियां खराब हो जाती हैं। हर महीने बैटरियों को फुल चार्ज और डिस्चार्ज करना जरूरी है। लेकिन एमसीएच में ताले में बंद उपकरणों को लगता है कभी खोला ही नहीं गया। इन बैटरियों की कीमत ढाई हजार से 12 हजार रुपए तक है।
पीएम केयर, यूवी फाउंडेशन के अलावा कोविड के दौरान काफी उपकरण एक्स्ट्रा आए थे। उनकी लाइफ फिक्स होती है। जरूरत के अनुसार आइटम ठीक कराकर आईसीयू में शिफ्ट कराए हैं। – डॉ. गुंजन सोनी, प्रिंसिपल, एसपी मेडिकल कॉलेज
एमसीएच बिल्डिंग में रखे उपकरण जरूरत पड़ने पर आईसीयू या वार्डों में उपयोग के लिए दिए जा रहे हैं। इस बिल्डिंग को भी जल्दी ही जनाना हॉस्पिटल के काम में लिया जाएगा। – डॉ. पीके सैनी, अधीक्षक, पीबीएम
जोधपुर की कंपनी ने सप्लाई किए थे ये उपकरण
उपकरण संख्या कीमत
बिफेसिक डीफिब्रिल्टोर 3 7,80,000
इको मशीन 1 24,00,000
यूएसजी 4डी कलर डोपलर 1 2200,000
पोर्टेबल एक्सरे 2 9,60,000
बाइपास मशीन 5 5,25,000
आईसीयू बेड 50 48,68,000
मल्टीपल मॉनिटर 50 95,90,000
सीरिंज पंप 50 24,60,000
ट्रांसपोर्ट वेंटिलेटर 2 9,60,000
एबीजी मशीन 3 27,30,000
पीओसी एनेलाइजर 3 6,75,000
आईसीयू वेंटिलेटर 11 1,77,80,000
वीडियो लारयांगोपस्कोपिक 3 5,70,000
आईसीयू पुनर्वसन किट 5 14,00,000
आईसीयू डिकोंटमीनेशन सिस्टम 5 15,75,000
एयर वे क्लिरीयंस सिस्टम 3 26,90,000
कैश क्राफ्ट 7 2,24,000
बेड साइड कार्डियक टेबल 50 1,75,000
बेडसाइड लॉकर 50 1,60,000
ईसीजी मशीन 2 2,08,000
-इनके अलावा स्ट्रेचर, सक्शन मशीन, मेडिसिन ट्रॉली, एक्सरे व्यू बॉक्स और कई तरह के फर्नीचर बेकार पड़े हैं।

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