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70% अग्निवीरों को स्थायी नौकरी:ज्यादा सैलरी और 7 साल का कार्यकाल; अग्निपथ योजना में क्या बदलाव कर सकती है मोदी सरकार

70% अग्निवीरों को स्थायी नौकरी:ज्यादा सैलरी और 7 साल का कार्यकाल; अग्निपथ योजना में क्या बदलाव कर सकती है मोदी सरकार

27 मई 2024 को बिहार के बख्तियारपुर में चुनावी रैली में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने कहा कि हम सत्ता में आए तो अग्निवीर योजना खत्म कर देंगे। 2024 चुनाव में राहुल कमोबेश हर रैली में अग्निवीरों का मुद्दा उठाते रहे। राहुल गांधी सत्ता में तो नहीं आए, लेकिन मजबूत विपक्ष में जरूर आ गए। नतीजों के बाद 11 जून को राहुल ने कहा कि विपक्ष में ‘सेना’ बैठी है। हम अग्निवीर योजना को रद्द करवाकर रहेंगे।

विपक्ष के तीखे तेवरों के बीच सरकार ने भी अग्निवीर योजना में बदलाव की कवायद शुरू कर दी है। सरकार ने एक रिव्यू ग्रुप बनाया है, जो अग्निपथ योजना की कमियों और सुधार पर प्रेजेंटेशन देगा। सरकार इन सुझावों को लागू करने की कोशिश करेगी, ताकि युवाओं और विपक्ष की नाराजगी दूर की जा सके।

जानेंगे कि अग्निपथ योजना क्या है, सरकार इसे क्यों लाई, इसमें क्या कमियां हैं और अब क्या-क्या बदलाव हो सकते हैं…

अग्निपथ योजना मोदी सरकार ने 16 जून 2022 को लॉन्च की थी। इस योजना के तहत सेना में शामिल होने वाले जवानों को ‘अग्निवीर’ कहा जाता है।

अग्निपथ योजना क्या है और इसे क्यों शुरू किया गया?

  • सरकार ने 2022 में अग्निपथ योजना लॉन्च की। इसके तहत आर्मी, नेवी और एयर फोर्स में चार साल के लिए नौजवानों को कॉन्ट्रैक्ट पर भर्ती किया जाता है। चार साल में छह महीने की ट्रेनिंग भी शामिल है। चार साल बाद जवानों को उनकी कार्यक्षमता के आधार पर रेटिंग दी जाएगी। इसी मेरिट के आधार पर 25% अग्निवीरों को परमानेंट सर्विस में लिया जाएगा। बाकी लोग वापस सिविल दुनिया में आ जाएंगे।
  • इस स्कीम में ऑफिसर रैंक के नीचे के सैनिकों की भर्ती होगी। यानी इनकी रैंक पर्सनल बिलो ऑफिसर रैंक यानी PBOR के तौर पर होगी। इन सैनिकों की रैंक सेना में अभी होने वाली कमीशंड ऑफिसर और नॉन-कमीशंड ऑफिसर की नियुक्ति से अलग होगी। साल में दो बार रैली के जरिए भर्ती की जाएगी। अग्निवीर बनने के लिए 17.5 साल से 21 साल का होना जरूरी है। साथ ही कम से कम 10वीं पास होना जरूरी है। 10वीं पास भर्ती होने वाले अग्निवीरों को 4 साल की सेवा पूरी करने के बाद 12वीं के समकक्ष सर्टिफिकेट दिया जाएगा।
  • वर्तमान में मेडिकल को छोड़कर हर कैडर में इस योजना के तहत भर्ती की जा रही है। इन्हें आर्मी, नेवी, वायुसेना कहीं भी तैनात किया जा सकता है। अग्निवीरों की सेवा कभी भी समाप्त की जा सकती है। चार साल के पहले सेवा नहीं छोड़ सकते, लेकिन विशेष मामलों में सक्षम अधिकारी की अनुमति से ऐसा संभव है।
  • सरकार का कहना है कि इस योजना से सिविल सोसाइटी के प्रतिभावान युवाओं को रोजगार मिलेगा और सेवारत सैनिकों की औसत आयु कम की जा सकेगी। सरकार का ये भी तर्क है कि नई पीढ़ी के आने से हमारी फोर्सेज तकनीकी रूप से समृद्ध होंगी और हमारे सुरक्षा बल आधुनिक होंगे। जब ये अग्निवीर चार साल बाद सेवा खत्म करके सामाजिक जीवन में जाएंगे तो समाज को एक डिसिप्लिन और स्किल्ड यूथ की फौज मिलेगी।
  • कुछ एक्सपर्ट्स मानते हैं कि सरकार ने ये योजना साल दर साल बढ़ते डिफेंस पेंशन अमाउंट को कम करने के लिए लॉन्च की है। नई परमानेंट भर्तियों के चलते हर साल सरकार पर पेंशन का बोझ बढ़ता जा रहा था।
  • ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की एक रिसर्च के अनुसार सरकार को एक अग्निवीर की लागत पूर्णकालिक भर्ती की तुलना में हर साल 1.75 लाख रुपये कम पड़ती है। 60,000 अग्निवीरों के एक बैच के लिए वेतन पर 1,054 करोड़ रुपये की बचत होगी।

एक्सपर्ट्स के मुताबिक अग्निपथ योजना की 5 बड़ी कमियां…

1. अस्थायी रोजगार: अग्निपथ के जवानों को केवल चार साल के लिए रोजगार मिला है। इसके बाद केवल 25% सैनिकों को ही स्थायी सेवा के लिए चुना जाता है। मतलब इससे बाकी 75% सैनिकों को नौकरी से निकाल दिया जाता है। इससे उनके जीवन में रोजगार की संभावना सीमित हो जाती है।

2. करियर में स्थायित्व नहींः चार साल की नौकरी के बाद बड़ी संख्या में सैनिकों को नए करियर के नए ऑप्शन खोजना पड़ेंगे। वे किसी भी एक पेशे में एक्टपर्ट नहीं बन पाएंगे। जब नौजवान रहते हैं अग्निपथ की तैयारी में तीन से पांच साल तैयारी करते हैं। इसके बाद चार साल की नौकरी मिलती है। जब ये नौकरी खत्म होगी, ताे फिर नया काम सीखना पड़ेगा। अग्निवीर के साथ जरूरी नहीं है कि जो हथियार चलाना उसने सीखा है उसे बाहरी दुनिया में भी वहीं नौकरी मिले।

3. थोड़ा आर्मी जवान, थोड़ा बाहरी इंसानः चार साल में अग्निवीरों को आर्मी जवानों की तरह नहीं बनाया जा सकता है। कई चीजें सालों तक सीखने के बाद आती हैं। एक आर्मी जवान पूरे जीवनकाल में बहुत कुछ सीखता है, तब जाकर वह लीडरशिप के मोड में आता है। इससे सेना की कुल क्षमता और युद्धक क्षमता पर प्रभाव पड़ सकता है। अग्निवीर का कार्यकाल इतना छोटा है कि वह न तो ठीक से आर्मी जैसा जवान बन पाएगा, न ही बाहरी दुनिया का एक कामकाजी इंसान।

4. दूसरी नौकरी की गारंटी नहींः इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि भूतपूर्व अग्निवीरों को अर्धसैनिक बलों या पुलिस बलों में भर्ती किया जाएगा। शिक्षा के आधार पर इन्हें ज्यादा से ज्यादा सुरक्षाकर्मी की नौकरी मिलेगी। उसमें भी निजी एजेंसियां कूद पड़ी हैं। यहां उनके साथ किसी भी आम आदमी जैसा ट्रीटमेंट मिलेगा। इस कारण ये अग्निवीर बनने के लिए मिली ट्रेनिंग का ये मतलब कतई नहीं है कि उन्हें रिटायर होने के बाद दूसरी नौकरी इसी ट्रेनिंग के के आधार पर मिल जाए।

5. सेना के मोटिवेशन और मॉरल पर असरः जब सैनिकों को पता होगा कि उनकी सेवा केवल चार साल के लिए है और उसके बाद वे बाहर हो सकते हैं, तो यह उनके मोटिवेशन और मॉरल पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। जरूरी नहीं है कि वो उन्हीं वैल्यूज के साथ काम करें जो एक आर्मी का जवान करता है।

इसके अलावा एजुकेशनल क्वालिफिकेशन नहीं बढ़ पाना, पेंशन और कैंटीन जैसे दूसरे लाभ न मिलना, कोई एक रेजिमेंट न होना जैसी अन्य कई कमियों की तरफ एक्सपर्ट्स इशारा करते हैं।

अग्निपथ योजना में भर्ती की उम्र को सरकार बढ़ा सकती है। पूर्व सैनिक का दर्जा भी दिया जा सकता है।

अग्निपथ योजना में क्या बड़े बदलाव कर सकती है सरकार?

  • अग्रिवीर सेना भर्ती के लिए अभी आयु सीमा 17.5 से 21 साल है। इसे बढ़ाकर 17.5 से 23 साल किया जा सकता है।
  • 4 साल पूरे करने के बाद नियमित सेवा में शामिल होने वाले अग्निवीर जवानों को 25% से बढ़ाकर 70% कर सकती है।
  • सरकार अग्निवीरों की नौकरी 4 से बढ़ाकर 7 साल कर सकती है। अग्निवीरों की सैलरी और एक मुश्त दी जाने वाली राशि में भी बढ़ोतरी की संभावना है।
  • ट्रेनिंग पीरियड को 24 सप्ताह से बढ़ाकर 35 से 50 सप्ताह के बीच किया जा सकता है। प्रशिक्षण के दौरान भी विकलांगता के लिए अनुग्रह राशि दी जा सकती है।
  • अगर किसी अग्निवीर जवान की जंग में मौत हो जाती है तो उसके परिवार को निर्वाह भत्ता दिया जा सकता है।
  • सरकार अग्निवीरों को पूर्व सैनिक का दर्जा भी दे सकती है।
  • एक पेशेवर एजेंसी बनाई जा सकती है, जो अग्निवीरों को उनकी सेवा अवधि समाप्त होने के बाद भविष्य की नौकरियां खोजने में मददगार हो।

अग्निवीरों अपने आप को सैनिकों से कम नहीं समझें इसके लिए सरकार ने अग्निपथ योजना की कमियों का पता लगाने के लिए कमेटी बनाई है। इसकी रिपोर्ट को 100 दिनों के भीतर लागू किया जा सकता है।

अग्निपथ योजना के लिए सरकार ने बनाई 10 सचिवों की रिव्यू कमेटी
सूत्रों के मुताबिक हाल ही में आए नतीजों का रिव्यू कराने के बाद सरकार को पता चला है कि BJP और NDA की कम सीटें आने के पीछे अग्निपथ योजना भी जिम्मेदार है। लोगों खासतौर से युवाओं में अग्निपथ योजना को लेकर नाराजगी है। हिंदी पट्‌टी के बेरोजगार युवाओं में ये योजना चुनाव का मुद्दा रही है। BJP को यहां लोकसभा चुनाव में बड़ा झटका लगा है।

नई सरकार बनते ही इस योजना में सुधार की कवायद शुरू हो गई है। PM नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली NDA सरकार ने 10 प्रमुख मंत्रालयों के सचिवों के एक ग्रुप बनाया है। यह ग्रुप अग्निपथ स्कीम का रिव्यू करेगा। सरकार को ये भी बताएगा कि आर्म फोर्सेस में भर्ती प्रोग्राम को कैसे अट्रैक्टिव बनाया जाए। इस पैनल अग्निपथ स्कीम की कमियों और सुधार के सुझाव भी देगा। माना जा रहा है कि सिफारिशों को जांचने के बाद सरकार इन्हें तुरंत लागू कर सकती है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी G-7 समिट में भाग लेने इटली गए हैं। उनके लौटने के दो से तीन दिन के भीतर सेक्रेटरीज ग्रुप की रिपोर्ट PM और संबंधित मंत्रालय के सामने पेश की जा सकती है। सरकार लोकसभा चुनाव नुकसान के बाद इस योजना में सुधार के लिए गंभीर है। यही कारण है कि जो भी इसमें सुधार के सुझाव आएंगे। उन्हें अगले 100 दिनों के भीतर लागू कर सकती है।

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