NATIONAL NEWS

85% महिलाओं को नहीं पता कंसीव करने का सही समय:महीने के वो 4 दिन जिनमें 99% प्रेग्नेंट होना तय, शरीर देता है संकेत

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

85% महिलाओं को नहीं पता कंसीव करने का सही समय:महीने के वो 4 दिन जिनमें 99% प्रेग्नेंट होना तय, शरीर देता है संकेत

अमेरिका की फर्टिलिटी एंड स्टेरिलिटी नाम की संस्था ने 2014 में एक सर्वे में पाया कि अमेरिका में 40% महिलाओं को ना तो ओव्यूलेशन की जानकारी है और ना ही उन्हें अपनी मेंस्ट्रुअल साइकिल का पता है। भारत में यह आंकड़ा अमेरिका से दोगुना है।

‘नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन’ में पब्लिश एक रिसर्च के मुताबिक भारत में 85% महिलाओं को अपने ओव्यूलेशन पीरियड या मेन्स्ट्रुअल साइकिल की जानकारी नहीं होती। ‘नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे’ के आंकड़े भी पुष्टि करते हैं कि देश की 83 फीसदी महिलाओं को अपने ओव्यूलेशन साइकिल की जानकारी नहीं है। यानी भारत में 5 में से 1 महिला ही अपने ओव्यूलेशन पीरियड के बारे में जानती है।

भारत में मां बनने की चाहत रखने वाली महिलाओं को जानकारी नहीं है कि कंसीव करने का सही समय कौन-सा है। दरअसल कई महिलाएं अपने पीरियड्स के मासिक चक्र पर ध्यान नहीं देतीं और उन्हें ओव्यूलेशन पीरियड यानी महिला के यूट्रस में एग बनने के समय की भी जानकारी नहीं होती।

ऐसे में वे चाहकर भी जब प्रेग्नेंट नहीं हो पातीं तो आईवीएफ ट्रीटमेंट की तरफ कदम बढ़ा देती हैं जबकि वे इनफर्टिलिटी से नहीं जूझ रही होतीं।

यूट्रस में एग बनने की स्टेज होती है ओव्यूलेशन पीरियड

दिल्ली स्थित सर गंगाराम हॉस्पिटल की गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. रूमा सात्विक ने बताया कि हर महिला को पीरियड्स 3 से 5 दिन या फिर 7 दिन तक रहते हैं। जिस दिन पीरियड शुरू होते हैं, उस दिन से मेंस्ट्रुअल साइकिल गिनी जाती है।

मेंस्ट्रुअल साइकिल 26 से 35 दिन की होती है। मासिक चक्र हर महिला का अलग होता है। किसी का चक्र 26 दिन, किसी का 28 तो कुछ का 35 दिन का होता है।

महिलाओं में एग मेंस्ट्रुअल साइकिल के बीच में बनता है। यानी अगर किसी का मासिक चक्र 28 दिन का है तो 14वें दिन एग बनेगा। जिस दिन एग बनेगा वह ‘ओव्यूलेशन डे’ होता है।

4 दिन होते हैं खास, प्रेग्नेंसी ठहरने के 99.9% चांस

गुरुग्राम के सीके बिरला हॉस्पिटल में गायनेकोलॉजिस्ट डॉ. आस्था दयाल कहती हैं कि एग बनने के 3 दिन पहले और उसके 1 दिन बाद तक के समय को फर्टाइल पीरियड या ओव्यूलेशन पीरियड कहते हैं।

जिस दिन ओव्यूलेशन डे होता है, उसी दौरान कंसीव करने के चांस सबसे ज्यादा होते हैं। इसके लिए हर महिला को अपनी मेंस्ट्रुअल साइकिल ट्रैक करनी चाहिए।

ओव्यूलेशन के दिन पेट में रहता है हल्का दर्द

अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के अनुसार 40% महिलाओं को ओव्यूलेशन का दर्द महसूस होता है।

डॉ. आस्था दयाल कहती हैं कि ओव्यूलेशन के समय कुछ महिलाओं को पेट के निचले हिस्से में हल्का दर्द और ब्लोटिंग होती है।

कई बार खून की स्पॉटिंग भी हो जाती है। इसे मिटिलशमर्ज (Mittelschmerz) कहते हैं। यानी साइकिल के बीच में दर्द। यह नॉर्मल होता है। कई बार ब्रेस्ट में भी दर्द महसूस होता है, लेकिन यह अक्सर पीरियड्स शुरू होने से पहले होता है। ओव्यूलेशन का दर्द सिर्फ 1 दिन ही रहता है।

एंड्रियोमेट्रियोसिस में हो सकता है असहनीय दर्द

अगर किसी महिला को ओव्यूलेशन का दर्द सहन नहीं हो रहा तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। इस स्थिति में अल्ट्रासाउंड किया जाता है और सारे टेस्ट करवाए जाते हैं ताकि अगर पीसीओएस, सिस्ट, फायब्रॉइड्स या एंड्रियोमेट्रियोसिस की दिक्कत हो तो समय रहते पता चल सके।

अगर कोई दिक्कत सामने नहीं आती तो ऐसे मरीजों को पेनकिलर दिया जाता है। वहीं किसी महिला को एंड्रियोमेट्रियोसिस हो तो तब भी ओव्यूलेशन का दर्द बहुत ज्यादा महसूस होता है। अगर किसी महिला के पीरियड्स अनियमित हैं तो उनका मासिक चक्र गड़बड़ रहता है। ऐसे में उन्हें ओव्यूलेशन का सही दिन का अंदाजा नहीं लग पाता।

हर महीने पीरियड्स की तारीख नोट करें

हर महिला खुद भी अपना ओव्यूलेशन डे कैलकुलेट कर सकती है। इसके लिए एक कैलेंडर पर हर महीने अपनी पीरियड शुरू होने की तारीख नोट कर लें। अगले महीने फिर पीरियड शुरू हो तो वो तारीख नोट करें। फिर दोनों तारीखों के बीच के दिन गिनें।

डॉ. आस्था दयाल ओव्यूलेशन को समझाते हुए कहती हैं कि अगर किसी महिला को महीने की 9 तारीख को पीरियड शुरू हुए तो उनकी मेंस्ट्रुअल साइकिल के दिन वहां से गिने जाएंगे। इससे आपको अपना मेंस्ट्रुअल साइकिल यानी मासिक चक्र पता चल जाएगा और ओव्यूलेशन की भी समझ आ जाएगी।

ओव्यूलेशन पीरियड पता लगाने में किट भी मददगार

आजकल बाजार में ओव्यूलेशन किट भी खूब बिक रही हैं। इनके जरिए भी ओव्यूलेशन का अंदाजा लगाया जा सकता है। एक किट में 4-5 स्ट्रिप आती हैं। जब महिला के ओव्यूलेशन के दिन करीब हों तो लगातार कुछ दिन टेस्ट करना चाहिए।

यह किट प्रेग्नेंसी किट की तरह होती है। इसमें यूरिन की कुछ बूंद डाली जाती हैं। अगर ओव्यूलेशन नहीं होता तो एक लाइन आती है और 2 लाइन बनना इस बात का संकेत है कि यूट्रस में एग बन रहा है यानी ओव्यूलेशन शुरू हो चुका है।

दरअसल महिला के शरीर में जब एग बनता है तब एलएच यानी ल्यूटिनाइजिंग नाम का हॉर्मोन रिलीज होता है। टेस्ट किट में इसी हॉर्मोन की पहचान की जाती है। अगर दो लाइन आएं तो महिला को समझ जाना चाहिए कि प्रेग्नेंसी के लिए यह सही समय है।

ऐप के जरिए भी जान सकते हैं ओव्यूलेशन

आजकल अधिकतर कपल वर्किंग हैं। ऐसे में महिलाएं मां आसानी से बनें, इसके लिए कई ओव्यूलेशन ऐप मौजूद हैं। इनके जरिए उन्हें पता चल जाता है कि ओव्यूलेशन कब होगा।

ऐप में कैलेंडर होता है जिस पर पीरियड के दिन रिकॉर्ड होते हैं। इसके सहारे महिला को ओव्यूलेशन का टाइम पता करने में आसानी होती है। इन्हें फर्टाइल दिन भी कहते हैं।

42.7% ऐप ही सही ओव्यूलेशन डेट बता पाए

विश्व में 400 से ज्यादा फर्टिलिटी ऐप इस्तेमाल हो रहे हैं। यह बाजार 2026 तक 550 करोड़ रुपये से भी ज्यादा होने का अनुमान है। इन ऐप को ‘फेमटेक’ नाम दिया गया है।

हालांकि ये ऐप कितना सटीक हैं, इस पर कई सवाल होते रहे हैं।

ऑस्ट्रेलिया के शोधकर्ताओं ने 36 फर्टिलिटी ऐप पर शोध किया। इसमें 42.7% ऐप ही सही ओव्यूलेशन डेट बता पाए। वहीं, वॉशिंगटन में जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने 30 ऐप्स का अध्ययन किया जिसमें से 24 ऐप ने फर्टाइल डेट गलत बताई।

ओव्यूलेशन के लिए सलाइवा टेस्ट भी मौजूद

शरीर में अंडा कब बनने वाला है, इसकी जांच सलाइवा यानी लार से भी की जाती है। इस किट में लार लगाकर टेस्ट होता है। यह टेस्ट शरीर में एस्ट्रोजन नाम के हॉर्मोन का लेवल चेक करता है। दरअसल एस्ट्रोजन का लेवल शरीर में ओव्यूलेशन से पहले और एलएच हॉर्मोन के बढ़ने से पहले बढ़ता है। यह टेस्ट ब्रश करने या खाने पीने से पहले करना चाहिए।

अंडा 24 घंटे तक शरीर में रहता है

ओव्यूलेशन होने पर यानी महिला के शरीर में अंडा बनने के बाद वह 12 से 24 घंटे तक रहता है। इस दौरान कंसीव करने के चांस सबसे ज्यादा होते हैं। महिला के शरीर में स्पर्म 3 दिन तक जिंदा रहता है। अगर किसी स्त्री का ओव्यूलेशन पीरियड 3 दिन बाद शुरू हो रहा हो तो तब भी स्पर्म सर्विक्स यानी गर्भाशय ग्रीवा में रहता है। ऐसे में भी महिला प्रेग्नेंट हो सकती है।

हर महीने पीरियड्स होने के बाद शरीर में 1 अंडा बनता है। कभी-कभी या जो महिलाएं आईवीएफ से गुजर रही होती हैं उनके शरीर में 2 अंडे बन जाते हैं जिससे जुड़वां बच्चे होने की संभावना बढ़ जाती है।

मेच्योर अंडे का क्या होता है

अमेरिकन सोसाइटी फॉर रिप्रोडक्टिव मेडिसिन के अनुसार ओव्यूलेशन के दौरान एक फॉलिकल काम करता है। जिसका धीरे-धीरे आकार बढ़ता है। यह 4 मिलीमीटर से 10 मिलीमीटर तक हो सकता है।

जब फॉलिकल मेच्योर होते हैं तो वह अंडे को ओवरी से रिलीज करते हैं और यह फैलोपियन ट्यूब में फर्टाइल होने के लिए चला जाता है। अगर अंडा फर्टाइल नहीं होता है तो शरीर दोबारा पीरियड्स के लिए तैयार होता है।

ओव्यूलेशन का दर्द सताए तो हीट पैक लगाएं

अगर किसी महिला को ओव्यूलेशन का दर्द बहुत ज्यादा होता है तो उन्हें गर्म पानी की बोतल या हीट पैक से सिकाई करनी चाहिए। अगर महिला मां नहीं बनना चाहती तो उन्हें हॉर्मोनल बर्थ कंट्रोल की गोली खाने की सलाह दी जाती है ताकि उनका ओव्यूलेशन रुक जाए।

संबंध बनाने की बढ़ जाती है इच्छा

संबंध बनाने की इच्छा जिसे लिबिडो कहा जाता है, इसका संबंध एस्ट्रोजन हॉर्मोन से होता है। इस हॉर्मोन का लेवल ओव्यूलेशन होने से कुछ दिन पहले बढ़ जाता है। इससे महिलाओं की संबंध बनाने की इच्छा बढ़ जाती है।

कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ लेथब्रिज ( University of Lethbridge) ने इस पर एक शोध किया। इसमें पाया गया कि ओव्यूलेशन से 3 दिन पहले महिलाएं एक दिन में संबंध बनाने के बारे में औसतन 1.3 बार सोचती हैं। जबकि आम दिनों में यह इच्छा एक दिन में औसतन 0.77 बार ही होती है।

महिलाएं हमेशा अपने शरीर को नजरअंदाज करती हैं। मां नहीं बन पा रही होतीं तो समाज के ताने तो सुनती ही हैं, लेकिन डॉक्टर के पास जाकर अपने शरीर के बारे में समझने से फिर भी कतराती हैं। हर महिला को अपने पीरियड्स पर ध्यान देने की जरूरत है। मासिक चक्र को समझने की जरूरत है। इस पर ध्यान देकर वह अपने मन मुताबिक समय पर मां बन सकती हैं।

FacebookWhatsAppTelegramLinkedInXPrintCopy LinkGoogle TranslateGmailThreadsShare

About the author

THE INTERNAL NEWS

Add Comment

Click here to post a comment

error: Content is protected !!