मक्का में हज करने गए 98 भारतीयों की मौत:विदेश मंत्रालय बोला- बीमारी और अधिक उम्र की वजह से गई जान, पिछले साल 187 की जान गई थी
भारतीय विदेश मंत्रालय ने लोगों की मौत का कारण बीमारी और ज्यादा उम्र को बताया है।
सऊदी अरब के मक्का में इस साल हज करने गए 98 भारतीयों की मौत हो गई है। विदेश मंत्रालय ने इसकी पुष्टि की है। भारतीय विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को इन सभी लोगों की मौत का कारण बीमारी और ज्यादा उम्र को बताया है।
भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा कि हर साल काफी संख्या में भारतीय लोग हज यात्रा पर जाते हैं। इस साल भी 1,75,000 लोग हज करने के लिए सऊदी अरब गए हैं। विदेश मंत्रालय ने आगे कहा कि पिछले साल 187 भारतीय नागरिकों की हज यात्रा के दौरान मौत हो गई थी।
विदेश मंत्रालय ने कहा है कि मक्का में हमारा हज मिशन काम कर रहा है। यात्रियों को लेकर सारी व्यवस्थाएं की गई हैं। इस प्रकार के हादसे पर हम तुरंत एक्शन लेते हैं। सभी लोगों का ध्यान रखा जाता है। मंत्रालय ने कहा कि मक्का में बहुत गर्मी पड़ रही है। वहां, लोग हीट वेव के भी शिकार हो रहे हैं।
मक्का में गर्मी के कारण बीमार पड़े यात्री।
10 देशों के 1081 लोगों की मौत
मिडिल ईस्ट में पड़ रही भीषण गर्मी के बीच मक्का में 17 जून को तापमान 51.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। वहीं 18 जून को थोड़ी राहत के साथ पारा 47 डिग्री रहा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक 10 देशों के 1081 हज यात्रियों की मौत हो चुकी है।
इसमें भारत के अलावा इंडोनेशिया, जॉर्डन, ईरान, पाकिस्तान, ट्यूनीशिया आदि देशों के भी नागरिक हैं। सऊदी डिप्लोमैट्स ने न्यूज एजेंसी AFP को बताया था कि मरने वालों में मिस्र के यात्रियों की तादाद सबसे ज्यादा है, क्योंकि इनमें कई ऐसे हैं जिन्होंने हज के लिए रजिस्टर नहीं कराया।
सोशल मीडिया पर हज यात्रा से जुड़े वीडियो वायरल हो रहे हैं। इसमें सड़कों पर लाशें दिख रही हैं।
बिना वीजा भी हज के लिए सऊदी पहुंचे यात्री
हालांकि सऊदी अरब की तरफ से अब तक मरने वालों की संख्या को लेकर कोई पुष्टि नहीं की गई है। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस साल 18 लाख लोग हज करने के लिए मक्का गए हैं। हालांकि हर साल की तरह इस साल भी हजारों ऐसे यात्री हैं जो बिना वीजा के हज के लिए मक्का गए हैं।
दरअसल पैसे की कमी के चलते कई यात्री वीजा नहीं बनाते हैं और गलत तरीके से मक्का पहुंचने की कोशिश करते हैं। हालांकि ऐसा करना काफी खतरनाक माना जाता है। छुप-छुप कर मक्का पहुंचने के लिए उन्हें कड़ी धूप वाले इलाके से गुजरना पड़ता है जिसमें कई लोगों की जान चली जाती है।
इस महीने की शुरुआत में सऊदी ने बिना रजिस्ट्रेशन वाले हजारों हज यात्रियों को मक्का से हटाया था। सऊदी अरब के अधिकारियों के मुताबिक, मक्का पर जलवायु परिवर्तन का गहरा असर हो रहा है। यहां हर 10 साल में औसत तापमान 0.4 डिग्री सेल्सियस बढ़ रहा है। इस साल करीब 18 लाख हज यात्री हज के लिए पहुंचे हैं। इनमें से 16 लाख लोग दूसरे देशों के हैं।
पैरामेडिकल टीम ने कई बीमार हज यात्रियों को अस्पताल में भर्ती कराया।
हज क्या है…
इस्लाम धर्म में 5 फर्ज में से एक फर्ज हज है। मान्यताओं के मुताबिक, हर मुस्लिम व्यक्ति को जीवन में कम से कम एक बार इस फर्ज को पूरा करना होता है। BBC न्यूज के मुताबिक साल 628 में पैगंबर मोहम्मद ने अपने 1400 शिष्यों के साथ एक यात्रा शुरू की थी। ये इस्लाम की पहली तीर्थयात्रा बनी और इसी यात्रा में पैगंबर इब्राहिम की धार्मिक परंपरा को फिर से स्थापित किया गया। इसी को हज कहा जाता है।
हर साल दुनियाभर के मुस्लिम सऊदी अरब के मक्का में हज के लिए पहुंचते हैं। हज में पांच दिन लगते हैं और ये ईद उल अजहा या बकरीद के साथ पूरी होती है। सऊदी अरब हर देश के हिसाब से हज का कोटा तैयार करता है।
इनमें इंडोनेशिया का कोटा सबसे ज्यादा है। इसके बाद पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश, नाइजीरिया का नंबर आता है। इसके अलावा ईरान, तुर्किये, मिस्र, इथियोपिया समेत कई देशों से हज यात्री आते हैं। हज यात्री पहले सऊदी अरब के जेद्दाह शहर पहुंचते हैं। वहां से वो बस के जरिए मक्का शहर जाते हैं।
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