ATS का बडा धमाका: ऑपरेशन “स्क्वायर पिरामिड” चलाकर फर्जी पूर्व सैनिकों के बडे खेल का पर्दाफाश
घोटालेबाजो ने भारतीय सेना के नाम को भी नहीं बख्शा। पूर्व सैनिक के नाम पर मलाई खाते रहे घपलेबाज
एटीएस महानिरीक्षक पुलिस श्री विकास कुमार ने बताया कि एटीएस को आसूचना मिली की भारतीय खाद्य निगम राजस्थान में प्राईवेट व्यक्तियों के द्वारा भूतपूर्व सैनिको के फर्जी दस्तावेज तैयार कर एफसीआई गोदामों व डिपो में खाद्य सुरक्षा गार्ड की नौकरी कर रहे है। इस पर श्री वीके सिंह, आईपीएस, अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस, एटीएस एवं एसओजी राजस्थान जयपुर के दिशा निर्देश पर राजस्थान में स्थित भारतीय खाद्य निगम पर मौजूद सुरक्षा गार्डों पर कार्यवाही व सत्यापन हेतु ऑपरेशन “स्क्वायर पिरामिड” चलाया गया।
पूर्व सैनिकों के काम के लिए भारत सरकार ने उन्हे कई रोजगारों में 90 प्रतिशत का कोटा दे रखा है।
यह कोटा भारत सरकार व अन्य सरकारी प्रतिष्ठानों में भूतपूर्व सैनिको को चुनिन्दा रोजगारों में दिया जाता है।
यह नियुक्तियां प्राइवेट सुरक्षा एजेन्सियों के द्वारा किये गये सत्यापन, प्रशिक्षण व गारंटी के आधार पर दी जाती है।
भारतीय खाद्य निगम में भी पूर्व सैनिकों के रोजगार के लिए सुरक्षा गार्ड के रूप में नियुक्ति विभिन्न प्राइवेट सुरक्षा एजेन्सियों के द्वारा की गई है।
ऑपरेशन सिंदूर के बाद एटीएस की बडी सक्रियता से मिला था सुराग :-
ऑपरेशन सिंदूर के बाद एटीएस की टीम ने राष्ट्रीय सुरक्षा को मध्यनजर रखते हुए उनके सामरिक प्रतिष्ठानों पर विशेष निगरानी रखी जा रही थी।
एटीएस के द्वारा राष्ट्रीय व खाद्य सुरक्षा में सेंधमारी करने वाले गिरोह की सूचना मिली कि कुछ प्राइवेट सुरक्षा एजेन्सियों के द्वारा निजी व्यक्तियों को एक्स आर्मी मेन के रूप में सुरक्षा गार्ड लगाया गया है।
इस पर कार्यवाही करते हुए एफसीआई में लगे हुए सुरक्षा गार्डों की एक्स आर्मी मेन, भूतपूर्व सैनिक की सूचनाऐं जैसे आईडी नंबर, पीपीओ नंबर व अन्य को खंगाला गया तो पाया कि भूतपूर्व सैनिकों के फर्जी दस्तावेज लगाकर प्राइवेट व्यक्ति सुरक्षा गार्डस की नोकरी कर रहे हैं।
ऐसे की गई छापेमारी :-
एटीएस के द्वारा विभिन्न टीमें बनाकर एफसीआई राजस्थान से प्राइवेट सुरक्षा एजेन्सियों के द्वारा उपलब्ध कराये गये सुरक्षा गार्डों की नियमावली प्राप्त कर गहन अध्ययन किया।
एफसीआई के गौदाम व मौजूद सुरक्षा गार्डों की सूची प्राप्त की गई।
ऑपरेशन “स्क्वायर पिरामिड” को अंजाम देने के लिए गार्डस के सत्यापन हेतु प्रशिक्षण दिये जाने का जाल बिछाया।
प्रारंभिक तौर पर एफसीआई के 31 गौदामों/ डिपो को चिन्हित किया गया।
प्रत्येक स्थान पर योजनानुसार एटीएस की टीमें पहुंची व प्रशिक्षण के लिए सुरक्षा गार्डस को भौतिक रूप से इकट्ठा किया गया व उनके भूतपूर्व सैनिक संबंधी दस्तावेजों को प्राप्त कर एटीएस मुख्यालय में अस्थाई कंट्रोल रूम में भिजवाया गया।
कंट्रोल रूम में मौजूद एफसीआई व एक्स आर्मी मेन के रिकॉर्ड रखने वाले अधिकारी के सहयोग से दस्तावेजों का परीक्षण किया गया व एटीएस की टीमों को उनकी प्रामाणिकता से अवगत कराया गया।
विभिन्न स्थानों पर भौतिक रूप से मौजूद सुरक्षा गार्डों में कुल 28 सुरक्षा गार्ड जो एक्स आर्मी मेन न होकर प्राइवेट व्यक्ति होना पाये गये।
क्या-क्या दस्तावेज बने :-
भूतपूर्व सैनिकों के पहचान पत्र जैसे एक्स आर्मी मैन पहचान पत्र, पेंशन का पीपीओ, केंटीन का कार्ड, डिस्चार्ज प्रमाण पत्र व सैन्य वर्दी में फोटो इत्यादि।
कैसे होती थी धांधली :-
संगठित गिरोह के द्वारा प्राइवेट व्यक्ति जो जरूरतमंद व गिरोह के सदस्य की नियुक्ति हेतु तलब करना।
मोटी रकम प्राप्त करके एक्स आर्मी मैन के फर्जी दस्तावेज तैयार करना।
भारतीय खाद्य निगम में दस्तावेज जमा कराकर नियोजित करना।
वर्दी पहनाकर भूतपूर्व सैनिक के रूप में सुरक्षा गार्ड की नोकरी देना।
नियोजन के रूप में एकमुश्त राशि या प्रतिमाह 10-20 प्रतिशत गिरोह को कमीशन के रूप में देना।
बड़े मगरमच्छों पर शक की सुई :-
एटीएस के द्वारा अनुसंधान में प्राइवेट सुरक्षा एजेन्सियों के द्वारा एफसीआई व डीजीआर को भूतपूर्व सैनिकों के फर्जी दस्तावेज लगाकर नियुक्ति दिलाई है, जिनके फर्जी दस्तावेज एफसीआई व डीजीआर के पास मौजूद है।
षडयंत्र के बडी कड़ियों के संबंध में गहनता से अनुसंधान किया जायेगा।
दलालों, प्राइवेट सुरक्षा एजेन्सियों एवं मगरमच्छों की भूमिका, गहन संदेह के घेरे में है।
आने वाले दिनों में बड़े मगरमच्छों पर गाज गिरने की संभावना है।
यह मामला न सिर्फ फर्जी दस्तावेज तैयार कर रोजगार प्राप्त करने से संबंधित है बल्कि महत्त्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के साथ खिलवाड तथा भारतीय सेना की छवि, विश्वसनीयता एवं कार्य कुशलता पर धब्बा लगाने की घृणित साजिश है।
फर्जी भूतपूर्व सैनिकों के नाम –
- बहादुर सिंह भाटी, 2. नरेन्द्र सिंह नटवर, 3. रामप्रसाद मीना, 4. यशपालसिंह, 5. कालू सिंह, 6. भौलुराम, 7. राजेश सिंह, 8. गोपालसिंह, 9. हिम्मतसिह, 10. विजयसिंह, 11. पप्पु सिंह, 12. कुमेर सिंह, 13. सुमेर सिंह, 14. अतरूप सिंह, 15. हिम्मत सिंह, 16. चन्द्रप्रकाश मीना, 17. रामसमुझ यादव, 18. देवेन्द्र सिंह, 19. रघुनन्दन सिंह हाडा, 20. महेन्द्र कुमार मीना, 21. सियाराम मीना, 22. हरिचरण मीना, 23. महेश, 24. राजहंस, 25. दिनेश सिंह, 26. गजेन्द्र सिंह, 27. मोहनसिंह, 28. राजुसिंह भाटी
सम्पूर्ण ऑपरेशन को सफल बनाने में टीम चार्ली की विशेष भूमिका रही।
शाबाशी :
श्री विकास कुमार, महानिरीक्षक पुलिस, एटीएस, राजस्थान, जयपुर ने बताया कि उक्त कार्रवाई में शामिल समस्त टीमों को विशेप कार्यक्रम के दौरान एटीएस कार्यालय में सम्मानित किया जाएगा।
अपील :
महानिरीक्षक पुलिस श्री विकास कुमार द्वारा बताया कि किसी भी आमजन को किसी भी अपराधी या अन्य सूचना जो कि अपराधी से संबंधित है, उसे एटीएस नियंत्रण कक्ष नम्बर 0141-2601583 एवं वाट्सएप नंबर 9001999070 पर सूचना दी जा सकती है। उक्त सूचना देने वाले व्यक्ति की गोपनीयता पूर्ण रूप से ख्याल रखा जाएगा।
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