गुरु भगवान सिंह की स्मृति में बास्केटबॉल मैदान एवं प्रतिमा का अनावरण 3 जनवरी को
कुंदन नगर राजपूत छात्रावास में खेल सुविधाओं की एक और सौगात
अजमेर। बास्केटबॉल जगत में “गुरु जी ” के नाम से विख्यात रहे स्वर्गीय भगवान सिंह जी की स्मृति में कुंदन नगर स्थित राजपूत छात्रावास में भव्य मैदान एवं परिसर का निर्माण कर उनके शिष्यों एवं राजपूत समाज ने न सिर्फ एक और खेल सुविधा की सौगात दी है बल्कि सही मायने में उन्हें अनूठी श्रद्धांजलि दी है। लगभग 20 लाख रुपए की लागत से इस परिसर में गुरु जी की प्रतिमा भी स्थापित की गई है ।इसका शुभारंभ एवं प्रतिमा अनावरण उनकी पुण्यतिथि 3 जनवरी (3 जनवरी 1985) के दिन विधि विधान के साथ होगा।
परमवीर चक्र मेजर शैतान सिंह राजपूत छात्रावास एवं शिक्षण संस्थान द्वारा मैदान हेतु निशुल्क जमीन उपलब्ध कराना तथा संपूर्ण निर्माण कार्य की राशि उनके शिष्यों द्वारा वहन करना वंदनीय है। इस मैदान से गुरु जी की कर्मभूमि रही अजमेर में खेल को नई उड़ान भरने का एक बार फिरअवसर प्राप्त होगा।
गुरु भगवान सिंह जी से प्रशिक्षण प्राप्त कर अनेकों अनेक खिलाड़ियों ने न सिर्फ राज्य स्तर पर अपितु राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अपने गुरु का नाम रोशन किया है। अर्जुन पुरस्कार विजेता से लेकर ओलंपियन एवं अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों की एक लंबी फेहरिस्त है जिन्होंने इस गुरु के चरण स्पर्श कर तत्कालीन राजकीय महाविद्यालय अजमेर के बास्केट बॉल मैदान से अपना खेल करियर प्रारंभ किया था। यह अलग बात है कि वर्तमान में सम्राट पृथ्वीराज चौहान राजकीय महाविद्यालय अजमेर के बास्केटबॉल कोर्ट अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ चुके है जहां यदा कदा खेल गतिविधियां देखने को मिलती है। यही वो मैदान थे जहां दिन-रात बास्केटबॉल की गेंद की आवाज गूंजती रही और खिलाड़ी तैयार होते रहे।
इस फेहरिस्त में अर्जुन पुरस्कार विजेता हनुमान सिंह ,ओलंपियन परमजीत सिंह एवं जोरावर सिंह अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी प्रताप सिंह, महेंद्र विक्रम सिंह, रघुराज सिंह, रमन गुप्ता, वीपी नरूला, विष्णुकांत शर्मा, पुष्पेंद्र सिंह राठौड़, पवन चंद्रा,निरंजन गोदारा, विक्रम सिंह शेखावत ,अजीत सिंह राठौड़ ,हरिदास ,रघुवीर सिंह देवड़ा ,जयप्रकाश नायडू, बीरबल सिंह शेखावत, सुमेर सिंह शेखावत, आनंद सिंह ,लोकेंद्र सिंह कालवी ,नरेंद्र सिंह, जगपाल सिंह, सरदार सिंह एवं सुरेंद्र सिंह प्रमुख रहे हैं।
ऐसे महान प्रशिक्षक गुरु भगवान सिंह जिन्होंने पूरी एक पीढ़ी को नई दिशा और सफलताओं के शिखर प्रदान किये वही व्यक्तित्व पूरे जीवन और मरणोपरांत वह सम्मान अर्जित नहीं कर पाए जिसके वह सही मायने में हकदार थे। राजस्थान बास्केटबॉल एसोसिएशन तथा भारतीय बास्केटबॉल संघ ने भले ही समय-समय पर उन्हें एक प्रशिक्षक के रूप में जरूर सम्मान दिया परंतु राज्य एवं केंद्र सरकारें उनकी उपलब्धियां के आकलन में विफल रही । ऐसी प्रतिभा के धनी गुरु भगवान सिंह उचित सम्मान का पूरे जीवन इंतजार ही करते रह गए। अभी भी देर नहीं हुई है जब खेलों को नई ऊर्जा और दिशा देने का दम भरने वाली ये सरकारें मरणोपरांत भी कम से कम ‘”द्रोणाचार्य” और “पदम श्री “अवार्ड का सम्मान तो दे ही सकती है शायद खेल जगत और सरकारों की ओर से यही उनको सच्ची श्रद्धांजलि और आने वाली पीढ़ी के लिए प्रेरणा होगी।
इस अवसर पर राजपूत छात्रावास संस्था भी बधाई की पात्र है ।अध्यक्ष सुमेर सिंह दिसनाऊ, ,कार्यकारी अध्यक्ष राजस्थान पुलिस के सेवानिवृत्ति अपर जिला पुलिस अधीक्षक विक्रम सिंह राठौर तथा महासचिव रणजीत सिंह भरिंडा के अथक प्रयास एवं समस्त राजपूत समाज की पहल खेल जगत के लिए वरदान साबित होगी जहां आने वाली पीढ़ियां गुरु भगवान सिंह की प्रतिमा को नमन कर इस मैदान से एक बार फिर नए आसमान छूने के लिए उड़ान भरेगी।।
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