भजनलाल सरकार ने 23.79 करोड़ में हेलिकॉप्टर किराए पर लिया:गहलोत सरकार ने चार साल में चार्टर्ड प्लेन पर खर्चे 76 करोड़, विधानसभा में सरकार का जवाब
राजस्थान सरकार ने मुख्यमंत्री और मंत्रियों की वीआईपी उड़ानों के लिए करीब 2 करोड़ रुपए महीने के किराए पर हेलिकॉप्टर लिया है। इसके लिए एक प्राइवेट कंपनी के एग्रीमेंट किया है। नागरिक उड्डयन विभाग ने विधानसभा में दिए जवाब में इसकी जानकारी दी। साथ ही बताया कि गहलोत सरकार ने हेलिकॉप्टर और चार्टर्ड प्लेन के किराए पर हर महीने औसतन 1.59 करोड़ रुपए खर्च किए थे।
कांग्रेस विधायक शिखा मील बराला के सवाल पर विधानसभा में सरकार की तरफ से दिए गए लिखित जवाब में यह खुलासा हुआ है। नागरिक उड्डयन विभाग ने विधानसभा में दिए जवाब में लिखा कि राज्य सरकार के पास वर्तमान में कोई हवाई जहाज और हेलिकॉप्टर नहीं है। राज्य सरकार ने 5 जून 2024 को नई दिल्ली की मैसर्स रेडबर्ड एयरवेज प्राइवेट लिमिटेड से हेलिकॉप्टर लीज पर लेने का एग्रीमेंट किया है। इस पर हर साल 23.79 करोड़ रुपए खर्च होना अनुमानित है।
गहलोत राज में हेलिकॉप्टर और चार्टर्ड प्लेन किराए पर लिए गए।
गहलोत राज के आखिरी दो साल में हेलिकॉप्टर-चार्टर्ड प्लेन पर जमकर खर्च
पिछले चार साल में 2020-21 से 2023-24 तक सरकार ने हेलिकॉप्टर और चार्टर्ड प्लेन के किराए पर 76.46 करोड़ रुपए खर्च किए थे। इस तरह 4 साल में हर महीने औसतन 1.59 करोड़ रुपए चुकाए गए। इसमें साल 2020-21 में हर महीने 66.91 लाख रुपए, साल 2021-22 में 59.91 लाख, 2022-23 में हर महीने 2.60 करोड़ रुपए हर महीने हवाई किराया चुकाया। साल 2023-24 में सरकार ने हवाई किराए का हर महीने 2.49 करोड़ रुपए खर्च किए। अब भजनलाल सरकार ने हेलिकॉप्टर किराए पर लेने के लिए हर महीने करीब 2 करोड़ रुपए का एग्रीमेंट किया है। चार्टर्ड प्लेन के लिए अलग से पैसा लगेगा।
2022-23 में सबसे ज्यादा 31.30 करोड़ खर्च किए, कोरोना के कारण दो साल कम हुआ खर्च
साल 2022-23 में गहलोत सरकार ने हेलिकॉप्टर और विमान किराए पर सबसे ज्यादा 31.30 करोड़ खर्च किए। 2023-24 में यह खर्च 29.94 करोड़ रहा। हालांकि दिसंबर में सरकार बदलने के बाद साढ़े तीन महीने का खर्च भजनलाल सरकार का है। कोरोना के कारण 2020-21 और 2021-22 में हेलिकॉप्टर,प्लेन पर गहलोत सरकार का खर्चा कम हुआ। दोनों वित्त वर्ष में मिलाकर 15.22 करोड़ रुपए खर्च हुए। 2020-21 में 8.03 करोड़ और 2021-22 में 7.19 करोड़ ही खर्च हुए।
2012 के बाद से सरकार के पास खुद का हेलिकॉप्टर नहीं
साल 2012 के बाद से राज्य सरकार के पास खुद का हेलिकॉप्टर नहीं है। सरकार के पास अगस्ता हेलिकॉप्टर था। साल 2012 में तत्कालीन सीएम अशोक गहलोत इस हेलिकॉप्टर से चूरू जिले के एक कार्यक्रम में जा रहे थे। चूरू-झुंझुनूं बॉर्डर पर इस हेलिकॉप्टर की रोटर ब्लैड टूट गई थी। इस वजह से हेलिकॉप्टर की एक खेत में इमरजेंसी लैंडिंग की गई थी। गहलोत इस हादसे में बाल-बाल बचे थे। यह हेलिकॉप्टर उसके बाद से ही बेकार पड़ा है। इसकी रिपेयरिंग भी की गई, लेकिन अब काम में नहीं लिया जा रहा है। पिछले एक दशक से ज्यादा समय से राज्य सरकार किराए पर ही हेलिकॉप्टर और प्लेन ले रही है।
वसुंधरा सरकार ने नया प्लेन खरीदने के लिए ग्लोबल टेंडर निकाला था, लेकिन खरीद नहीं हुई
वसुंधरा राजे के दूसरे कार्यकाल में एडवांस प्लेन खरीदने के लिए ग्लोबल टेंडर निकाला था। विमान कंपनियों से नेगोशिएशन भी चला, लेकिन यह प्रक्रिया बीच में ही अटक गई थी। सरकार के पास पहले खुद के दो स्टेट प्लेन और हेलिकॉप्टर था। स्टेट प्लेन पुराना और अनफिट होने के बाद सरकार किराए पर ही चार्टर्ड प्लेन ले रही है। अभी राज्यपाल, मुख्यमंत्री और मंत्रियों के लिए किराए पर ही विमान और हेलिकॉप्टर लिए जा रहे हैं।
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