ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह गुलिया का साहसिक पैदल मार्च: 75 की उम्र में इन्फैंट्री दिवस पर 1,25,000 कदम चलकर फिट इंडिया का संदेश
जयपुर
इन्फैंट्री दिवस 2024 के उपलक्ष्य में, भारतीय सेना के गौरव सेनानी ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह गुलिया ने 75 वर्ष की उम्र में असाधारण साहस और शारीरिक क्षमता का प्रदर्शन करते हुए जयपुर में 1,25,000 कदम, लगभग 114 किलोमीटर की यात्रा पूरी की। यह ऐतिहासिक पदयात्रा भारतीय सेना और सिख रेजिमेंट के प्रति उनकी गहरी निष्ठा और अद्वितीय समर्पण का प्रतीक है, जिसमें ‘सवा लाख से एक लड़ाऊ’ की भावना से प्रेरणा ली गई है।
पैदल यात्रा की शुरुआत और प्रमुख पड़ाव
26 अक्टूबर की आधी रात 0001 बजे, ब्रिगेडियर गुलिया ने अपने निवास स्थान महादेव नगर से यात्रा का शुभारंभ किया। इस साहसिक यात्रा में उनके साथ सिख रेजिमेंट के सैनिक, उनके प्रशंसक, और जयपुर के नागरिक शामिल हुए, जो हर कदम पर उनके जोश और जज़्बे का समर्थन करते रहे। यात्रा के पहले पड़ाव पर वे जयपुर मिलिट्री स्टेशन के सिख रेजिमेंट गुरुद्वारा पहुंचे, जहां उन्होंने पारंपरिक रूप से रेजिमेंट के वीर जवानों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इसके बाद, 0930 बजे, उन्होंने दक्षिण पश्चिमी कमान के युद्ध स्मारक ‘प्रेरणा स्थल’ पहुंचकर देश के लिए अपना जीवन बलिदान करने वाले वीर सैनिकों को सलामी दी।
ग्रास फार्म नर्सरी पार्क, खातीपुरा से होकर गुजरते हुए, ब्रिगेडियर गुलिया ने अपनी यात्रा का समापन गांडीव स्टेडियम में किया। उनकी इस साहसिक पदयात्रा में फिटनेस और स्वस्थ जीवनशैली को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अल्ट्रा मैराथन एथलीट शेर सिंह, फिटनेस समर्थक शक्ति, पूजा, रजनीश, और सिख रेजिमेंट के अन्य सैनिक भी शामिल हुए। इस आयोजन ने जयपुर और उसके आसपास के लोगों को फिटनेस के महत्व का संदेश दिया, और उन्हें सेना के प्रति अपने सम्मान को बढ़ाने की प्रेरणा दी।
राष्ट्र और सेना को समर्पण की भावना
ब्रिगेडियर गुलिया, जो 28 अक्टूबर को 76 वर्ष के हो जाएंगे, ने इस यात्रा को भारत माता, सिख रेजिमेंट और समस्त भारतीय इन्फैंट्री के वीर सैनिकों को समर्पित किया है। उनका मानना है कि भारतीय सेना का बलिदान और साहसिक कार्य केवल सैनिकों तक सीमित नहीं है, बल्कि हर नागरिक का दायित्व है कि वह अपने स्वस्थ जीवन और शारीरिक फिटनेस के माध्यम से सेना का सम्मान करे। यात्रा के माध्यम से उन्होंने नागरिकों को सेना की सेवा और कर्तव्य की भावना से प्रेरित होने का संदेश दिया।
ब्रिगेडियर गुलिया का प्रेरणादायक करियर
ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह गुलिया का करियर भारतीय सेना में अद्वितीय उपलब्धियों और साहसिक प्रयासों से भरा रहा है। उन्होंने गांधी नगर में 4 सिख की एक इन्फैंट्री ब्रिगेड का नेतृत्व किया और बरेली में माउंटेन डिवीजन के डिप्टी जीओसी के रूप में भी अपनी सेवाएं दी हैं। अपनी सेवा के दौरान, उन्होंने राजस्थान के जयपुर और सरिस्का के आसपास की पहाड़ियों और किलों का निरीक्षण किया और इनकी भूगोलिक व सामरिक महत्व का अध्ययन किया।
इतना ही नहीं, वे आज भी अपनी फिटनेस के प्रति अत्यंत सजग हैं। 70 वर्ष की आयु के बाद भी, वे कई बार एक ही दिन में 60 से 70 किलोमीटर की दूरी तक ट्रैकिंग कर चुके हैं। उन्होंने भारत के सभी हिमालयी राज्यों में यात्रा की है और कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में भी फिटनेस के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को बरकरार रखा है।
लेखन में योगदान और वैज्ञानिक दृष्टिकोण
ब्रिगेडियर गुलिया एक अनुभवी लेखक भी हैं। उन्होंने ‘सिक्किम की मानव पारिस्थितिकी’ पर अपनी पीएचडी की थीसिस पूरी की है, जो सिक्किम की पारिस्थितिकी और वहां के स्थानीय जीवन पर गहन अध्ययन पर आधारित है। इसके अलावा, उन्होंने 2001 के गुजरात भूकंप के बाद आपदाओं के प्रभाव पर ‘आपदाओं की उत्पत्ति’ नामक एक किताब भी लिखी, जो आपदा प्रबंधन और पुनर्वास के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण योगदान मानी जाती है। ब्रिगेडियर गुलिया ने ‘हिमालयन अध्ययन के विश्वकोश’ के 15 खंडों और ‘मानव पारिस्थितिकी के विश्वकोश’ के 5 खंडों में भी बहुमूल्य योगदान दिया है।
इन्फैंट्री दिवस की प्रेरणा
इन्फैंट्री दिवस पर की गई ब्रिगेडियर गुलिया की इस पदयात्रा ने जयपुर और देश के अन्य हिस्सों में नागरिकों को सेना के प्रति सम्मान और फिटनेस के प्रति जागरूकता का संदेश दिया है। उनकी यात्रा न केवल एक फिटनेस अभियान है, बल्कि भारतीय सेना के प्रति श्रद्धांजलि भी है, जो हमारे सैनिकों के साहस और समर्पण को सम्मानित करती है। इस ऐतिहासिक यात्रा से ब्रिगेडियर कुलदीप सिंह गुलिया ने एक स्पष्ट संदेश दिया है – “स्वास्थ्य ही राष्ट्र की शक्ति है, और सेना का सम्मान हर नागरिक का कर्तव्य।”
Add Comment