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अब्दुल कलाम ने शादी क्यों नहीं की:बीच से मांग क्यों निकालते थे; 93वें जन्मदिन पर कलाम से जुड़े 10 रोचक सवालों के जवाब

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अब्दुल कलाम ने शादी क्यों नहीं की:बीच से मांग क्यों निकालते थे; 93वें जन्मदिन पर कलाम से जुड़े 10 रोचक सवालों के जवाब

एपीजे अब्दुल कलाम से एक कार्यक्रम में किसी ने पूछा- सर आपने शादी क्यों नहीं की? कलाम ने मुस्कुराते हुए कहा- मुझे शादी की तुलना में रॉकेट साइंस समझना ज्यादा आसान लगता है।’ पूरा हॉल ठहाकों से गूंज उठा। इसके बाद उन्होंने शादी न करने की असल वजह भी बताई।

‘मिसाइल मैन’ के नाम से मशहूर और भारत के पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम का आज 93वां जन्मदिन है। उनकी शादी, संपत्ति, कपड़े, हेयरस्टाइल और कॉन्ट्रिब्यूशन से जुड़े 10 रोचक सवालों के जवाब…

सवाल-1: कलाम ने शादी क्यों नहीं की थी? जवाबः 15 अक्टूबर 1931 को तमिलनाडु के रामेश्वरम में एक मिडिल क्लास मछुआरे के घर में अब्दुल कलाम का जन्म हुआ। कलाम ने एयरफोर्स में पायलट बनने के लिए एयरोस्पेस इंजीनियरिंग की, लेकिन सिर्फ एक रैंक कम होने कि वजह से रिजेक्ट कर दिए गए।

कलाम 29 की उम्र में DRDO और 38 में ISRO के वैज्ञानिक बने। इसके बाद भारत की पहली मिसाइल ‘अग्नि’ बनाई, न्यूक्लियर टेस्ट में बड़ी जिम्मेदारी निभाई और फिर 71 की उम्र में भारत के 11वें राष्ट्रपति बने। इस सफल जिंदगी में उन्होंने शादी के बारे कभी नहीं सोचा।

वे अक्सर कहते थे कि अगर उन्होंने शादी कर ली होती तो जीवन में जो भी हासिल किया है उसका आधा भी हासिल नहीं कर पाते। उनका मानना था कि शादी और बच्चों की वजह से व्यक्ति स्वार्थी बन जाता है।

बाद के दिनों में वो शादी के सवाल का जवाब देने से बचते थे। साल 2006 में जब सिंगापुर में एक बच्चे ने डॉ. कलाम से शादी न करने की वजह पूछी तो उन्होंने सवाल को टाल दिया। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘मैं कामना करता हूं कि आप सभी को बेस्ट लाइफ पार्टनर मिले।’

कलाम को वीणा बजाना बहुत पसंद था। उन्होंने अपनी युवा अवस्था में वीणा बजाना सीखा और जिंदगी भर वीणा बजाने की प्रैक्टिस की।

कलाम को वीणा बजाना बहुत पसंद था। उन्होंने अपनी युवा अवस्था में वीणा बजाना सीखा और जिंदगी भर वीणा बजाने की प्रैक्टिस की।

सवाल-2: क्या कलाम की यूनीक हेयरस्टाइल के पीछे भी कोई वजह थी? जवाब: कलाम की पर्सनैलिटी का एक अहम हिस्सा उनकी यूनीक हेयरस्टाइल थी। वो अपने लंबे बालों को बीच से मांग निकालकर रखते थे। वेबसाइट ‘स्पीकिंग ट्री’ के मुताबिक जन्म से ही अब्दुल कलाम का एक कान आधा था, वो अपने कान को लंबे बालों से ढकते थे। उनकी हेयरस्टाइल का भी एक रोचक किस्सा है।

हेयर स्टाइलिस्ट हबीब अहमद ने एक इंटरव्यू में बताया, ‘ये पोखरण-2 न्यूक्लियर टेस्ट के दिनों की बात है। इस प्रोजेक्ट में कलाम इतने व्यस्त हो गए कि महीनों तक बाल कटवाने की भी फुरसत नहीं मिली। लंबे बाल और नाखूनों के साथ कलाम पहली बार मेरे सलून पहुंचे। इससे पहले वो मेरे पिता और भाई से हेयरकट करवाते थे।’

हबीब बताते हैं,

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उन्हें लंबे बाल पसंद थे, इसलिए वो उन्हें थोड़ा लंबा ही रखना चाहते थे। मैंने जो स्टाइल दिया, उसे ‘रिवर्स ग्रेजुएशन’ कहा जाता है। यह रॉक स्टार और इमरान खान जैसे तेज गेंदबाजों के बीच बेहद मशहूर था। लंबे बाल माथे पर गिरते हैं। उनकी सुविधा के लिए मैंने आगे के बाल स्टेप में छोटे कर दिए। ये हेयरस्टाइल उन्हें बहुत पसंद आया।QuoteImage

हेयर स्टाइलिस्ट हबीब अहमद के साथ कलाम। कलाम का ये हेयरस्टाइल उनकी पर्सनैलिटी का हिस्सा बन गया।

हेयर स्टाइलिस्ट हबीब अहमद के साथ कलाम। कलाम का ये हेयरस्टाइल उनकी पर्सनैलिटी का हिस्सा बन गया।

सवाल-3: कलाम ज्यादातर एक ही तरह के कपड़े क्यों पहनते थे? जवाब: अब्दुल कलाम को राष्ट्रपति बनने के बाद ज्यादातर एक ही तरह के कपड़े पहने देखा गया है। वे एक बंद गले का सूट पहनते थे, जिसका कॉलर बीच से कटा हुआ होता था। यह सूट कलाम ने खासतौर पर अपने लिए बनवाया था। इसलिए इसे कलाम सूट भी कहा जाता है।

दरअसल, भारत में राष्ट्रपति को क्या पहनना है, इसे लेकर कोई संवैधानिक ड्रेस कोड नहीं है। हालांकि, राष्ट्रपति को किसी कार्यक्रम में शामिल होते हुए भारतीय पोशाक पहननी होती है। इसमें शेरवानी और बंद गला मुख्य है। शुरुआत से ही सभी राष्ट्रपति भारतीय पोशाक पहनने की परंपरा को लेकर चलते आ रहे हैं।

20 सालों तक अब्दुल कलाम के लिए कपड़े सिलने वाले करोल बाग के अमन जैन बताते हैं,

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जब कलाम राष्ट्रपति बने तो मुझे राष्ट्रपति भवन बुलाया गया। कलाम ने मुझसे कहा कि उन्हें बंद गला पहनना है, लेकिन बंद गले में उनका दम घुटता है। क्या वो इसका कोई अच्छा विकल्प दे सकते है?QuoteImage

तब अमन ने उनके लिए एक सूट तैयार किया। यह सूट बंद गले जैसा ही था। इसमें कॉलर को बीच से हटा दिया गया था। यह सूट कलाम को पसंद आया और उसके बाद वे हमेशा यही सूट पहनने लगे। बाद में यह सूट कलाम सूट के नाम से प्रसिद्ध हो गया। अमन बताते है कि जब कलाम का निधन हुआ, तब उनके पास कलाम के लिए तीन सूट बनाने का ऑर्डर था, जिसे वे डिलीवर नही कर पाए।

कलाम का सूट जो निधन होने के कारण उनके टेलर अमन जैन कभी डिलीवर नहीं कर पाए।

कलाम का सूट जो निधन होने के कारण उनके टेलर अमन जैन कभी डिलीवर नहीं कर पाए।

सवाल-4: डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम ने डॉक्टरेट किस चीज में की है? जवाब: अब्दुल कलाम ने अकादमिक शिक्षा केवल स्नातक तक ही हासिल की थी। उन्होंने तिरुचिरापल्ली के सेंट जोसेफ कॉलेज से भौतिकी में स्नातक की उपाधि ली। उनके पास किसी भी विषय में एकेडमिक डॉक्टरेट की डिग्री नहीं थी।

हालांकि, कलाम को 30 विश्वविद्यालयों और संस्थानों ने 40 से ज्यादा मानद डॉक्टरेट की उपाधि दी थी। इनमें डॉक्टर ऑफ लॉ, डॉक्टर ऑफ साइंस, डॉक्टर ऑफ इंजीनियर जैसी डिग्रियां शामिल हैं।

अलग-अलग क्षेत्रों में उनके कामों की वजह से उन्हें मानद डॉक्टरेट की डिग्री से नवाजा गया था। भारत सहित ब्रिटेन, सिंगापुर, कनाडा और स्कॉटलैंड जैसे देशों ने मानद डॉक्टरेट की डिग्रियां दीं।

सवाल-5: कलाम की मृत्यु के बाद उनकी संपत्ति का क्या हुआ? जवाब: 27 जुलाई 2015 को IIM शिलॉन्ग के एक कार्यक्रम में कार्डियक अरेस्ट से कलाम का निधन हुआ। उनके पूर्व सलाहकार वी पोनराज ने बताया कि बेंगलुरु में उनके पास एक प्रॉपर्टी थी, जो उन्होंने दान कर दी थी। पिता ने उनके नाम जो घर छोड़ा था, वो भी उन्होंने अपने बड़े भाई को दे दिया था।

कलाम की निधन के समय पर उनके पास 2,500 किताबें, एक हाथ घड़ी, 6 शर्ट, 4 ट्राउजर, 3 सूट और एक जोड़ी जूते थे। उनके पास कार, टीवी यहां तक कि अपना फ्रिज भी नहीं था।

उनके रोजमर्रा के खर्च सरकारी पेंशन और किताबों की रॉयल्टी से मिलने वाले पैसों से चलते थे। उनके पास कितनी सेविंग्स थी, इसकी जानकारी नहीं है। डॉ. कलाम अपने पीछे कोई वसीयत भी नहीं छोड़ गए थे।

सवाल-6: कलाम को ‘मिसाइल मैन’ क्यों कहते हैं, उन्होंने किया क्या था? जवाब: डॉ. कलाम एक एयरोस्पेस इंजीनियर थे। उन्हें रॉकेट प्रॉपल्शन सिस्टम और बैलिस्टिक मिसाइल टेक्नोलॉजी में महारत हासिल थी। उन्होंने एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई की थी। उनकी ये एक्सपर्टीज भारत के मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम में बहुत काम आई।

भारत के पहले स्वदेशी सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (SLV-III) के डेवलपमेंट का नेतृत्व कलाम ने किया। यह भारत की अंतरिक्ष में पहली बड़ी सफलता थी। 1983 में रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के तहत मिसाइल डेवलपमेंट प्रोग्राम की शुरुआत हुई। इस कार्यक्रम के अंतर्गत कई मिसाइलों का विकास किया गया…

अग्नि मिसाइल: मध्यम से लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल।

पृथ्वी मिसाइल: कम दूरी तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल।

आकाश मिसाइल: सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल।

त्रिशूल मिसाइल: कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल।

नाग मिसाइल: टैंक भेदी मिसाइल।

इस कार्यक्रम की सफलता ने भारत को अपनी रक्षा प्रणाली में मजबूती दी और कलाम को ‘मिसाइल मैन’ कहा जाने लगा।

सवाल 7: परमाणु बम के सफल परीक्षण में कलाम का क्या योगदान था? जवाब: मई 1998 में भारत ने पोखरण-II प्रोजेक्ट के तहत परमाणु बम का सफल परीक्षण किया था। इस दौरान डॉ. कलाम प्रधानमंत्री के चीफ साइंटिफिक एडवाइजर थे। वे DRDO के सेक्रेटरी भी थे। प्रोजेक्ट की सफलता में डॉ. कलाम ने राजनीतिक के साथ-साथ तकनीकी रूप से भी योगदान दिया था। टेस्टिंग फेज के दौरान वे राजगोपाल चिदंबरम के साथ चीफ प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर थे।

पोखरण-2 परमाणु परीक्षण की खबर दुनिया से छिपानी थी, इसलिए कलाम सेना की वर्दी पहन कर टेस्ट साइट पर जाते थे।

पोखरण-2 परमाणु परीक्षण की खबर दुनिया से छिपानी थी, इसलिए कलाम सेना की वर्दी पहन कर टेस्ट साइट पर जाते थे।

सवाल-8: कलाम-राजू स्टेंट क्या है, जिसका आविष्कार कलाम ने किया था? जवाब: कलाम ने देश के हृदय रोगियों के लिए हैदराबाद के मशहूर कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ. बी. सोमा राजू के साथ मिलकर एक कोरोनैरी स्टेंट तैयार किया था, जिसे कलाम-राजू स्टेंट का नाम दिया गया था। मेडिकल बाजार और बड़े अस्पतालों में इस स्टेंट की कीमत 50 हजार से डेढ़ लाख रुपए तक थी, जो घटकर 10 हजार रुपए तक आ गई।

कलाम-राजू स्टेंट के नाम से मशहूर यह स्टेंट पहला स्टेंट था जो भारत में बनाया गया था। इसे हैदराबाद के डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लैबोरेटरी में बनाया गया था।

राजू बताते हैं कि कलाम इस प्रोजेक्ट में काम करके बहुत खुश थे। वे मानते थे कि डिफेंस तकनीक का इस्तेमाल करके लोगों की जिंदगी बचा रहे हैं, जिसका इस्तेमाल आमतौर पर जंग या लोगों को मारने के लिए किया जाता है।

सवाल-9: कलाम ने बतौर भारत के राष्ट्रपति क्या अलग और नया किया? जवाब: लोकसभा और राज्यसभा से पास होकर आए किसी बिल को वापस लोकसभा भेजने वाले कलाम पहले राष्ट्रपति थे। राष्ट्रपति के पास यह अधिकार होते हैं कि वे पुनर्विचार के लिए कोई बिल भेज सकते हैं, लेकिन आमतौर पर राष्ट्रपति ऐसा नहीं करते।

डॉ. कलाम ने ऑफिस ऑफ प्रॉफिट बिल को वापस भेज दिया था। वो इसे अपने कार्यकाल का सबसे मुश्किल फैसला मानते हैं। बिल सरकारी पदों पर बैठे लोगों को संसद सदस्यता देने पर रोक न लगाने से संबंधित था। हालांकि, इसके बाद लोकसभा ने दोबारा इसे पास करके भेजा। राष्ट्रपति दोबारा किसी बिल को वापस नहीं भेज सकते, इसलिए कलाम को बिल पास करना पड़ा।

अपने कार्यकाल में कलाम ने 28 में से सिर्फ 2 मृत्युदंड की दया याचिकाओं पर एक्शन लिया। एक बलात्कारी धनंजय चटर्जी की याचिका खारिज की, जिसके बाद उसे फांसी हो गई। दूसरी, अपनी पत्नी और बच्चों का मर्डर करने वाले आरोपी की दया याचिका मान ली। जब उनका कार्यकाल समाप्त हुआ तो 2 दर्जन से भी ज्यादा दया याचिकाएं लंबित थीं। इसमें अफजल गुरू की याचिका भी शामिल थी। मृत्युदंड को लेकर कलाम कहते थे- राष्ट्रपति के रूप में उनके लिए मृत्युदंड की पुष्टि के मुद्दे पर निर्णय लेना सबसे मुश्किल था।

नवनिर्वाचित राष्ट्रपति अब्दुल कलाम से मिलतीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी। तस्वीर 2002 की है।

नवनिर्वाचित राष्ट्रपति अब्दुल कलाम से मिलतीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी। तस्वीर 2002 की है।

सवाल-10: बच्चों से इतना प्यार क्यों करते थे? जवाब: डॉ. कलाम बच्चों के बीच जाने का कोई मौका नहीं छोड़ते थे। बच्चों को भी कलाम से काफी लगाव था। भावनगर में एक कार्यक्रम के दौरान एक बच्चे ने उनसे पूछा था कि आपको बच्चे इतने पसंद क्यों है? इसके जवाब में डॉ. कलाम ने कहा-

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आपके पास सपने और सवाल करने वाला दिमाग है। साथ ही आपकी मासूमियत, जिज्ञासा, प्रतिबद्धता, ईमानदारी और देश को महान बनाने की चिंता के चलते ही आप बच्चे मुझे पसंद हैं।QuoteImage

एक कार्यक्रम में बच्चों के साथ डॉ. कलाम।

एक कार्यक्रम में बच्चों के साथ डॉ. कलाम।

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