बीकानेर में नशे का बढ़ता जाल: डीएसटी ने 25 लाख रुपये की चरस पकड़ी, शहर में बढ़ी चिंता
बीकानेर। राजस्थान का बीकानेर जिला, जो कभी अपनी सांस्कृतिक धरोहर, मीठे रसगुल्लों और मरुस्थलीय सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध था, अब नशे के जाल में तेजी से फंसता जा रहा है। गांजा, अफीम, एमडी और नशीली गोलियों के बाद अब यहां चरस की एंट्री ने कानून व्यवस्था और स्थानीय लोगों की चिंताओं को बढ़ा दिया है। बीकानेर पुलिस ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए करीब 25 लाख रुपये की चरस जब्त की है, जो शहर में नशे के नए खतरे की ओर इशारा कर रही है।
डीएसटी की बड़ी कार्रवाई, चरस बेचने वाला आरोपी फरार
बीकानेर पुलिस अधीक्षक कावेंद्र सिंह सागर के निर्देशानुसार जिला स्पेशल टीम (DST) ने एक गुप्त सूचना के आधार पर छापा मारा और बड़ी मात्रा में चरस जब्त की। अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (ASP) सौरभ तिवारी ने बताया कि इस कार्रवाई में 467 ग्राम चरस बरामद की गई है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में चरस की कीमत लगभग पचास लाख रुपये प्रति किलो होती है, यानी जब्त की गई चरस की कीमत करीब 25 लाख रुपये आंकी जा रही है।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, यह चरस शिवबाड़ी रोड स्थित एक चाय की रेहड़ी के आसपास बेची जा रही थी। जब डीएसटी को इसकी जानकारी मिली, तो जयनारायण व्यास कॉलोनी पुलिस के साथ मिलकर मौके पर दबिश दी गई। हालांकि, मुख्य आरोपी संजू माली पुलिस के आने से पहले ही फरार हो गया, लेकिन पुलिस ने बड़ी मात्रा में चरस बरामद कर ली।
कौन है आरोपी संजू माली? पहले से दर्ज हैं मुकदमे
पुलिस के अनुसार, संजू माली पहले भी नशे की तस्करी में संलिप्त रहा है और उसके खिलाफ एनडीपीएस एक्ट के तहत कई मुकदमे दर्ज हैं। उसकी गिरफ्तारी के लिए पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है और जल्द ही उसे पकड़ने की संभावना जताई जा रही है।
इस पूरी कार्रवाई में डीएसटी टीम के एएसआई रामकरण सिंह, हेड कांस्टेबल कानदान सांदू और कांस्टेबल लखविंदर शामिल थे। बताया जा रहा है कि इस ऑपरेशन में एएसआई रामकरण सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही, जिन्होंने आरोपी और उसके नेटवर्क पर कड़ी निगरानी रखी थी।
बीकानेर में बढ़ता नशे का कारोबार, बढ़ रही है चिंता
बीकानेर में नशे का कारोबार तेजी से बढ़ता जा रहा है। पहले गांजा, अफीम और नशीली गोलियों की तस्करी होती थी, लेकिन अब चरस जैसी मंहगी और घातक नशे की भी एंट्री हो चुकी है। चरस, जो अब तक मुख्य रूप से हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और नेपाल से लाई जाती थी, अब बीकानेर में भी धड़ल्ले से बेची जा रही है।
बीकानेर पुलिस के अनुसार, नशे के लिए सबसे बड़ा खतरा अब भी हेरोइन है, जो कि अक्सर पाकिस्तान से खाजूवाला बॉर्डर के जरिए तस्करी कर लाई जाती है। हालांकि, हेरोइन की खेप आमतौर पर बीकानेर में नहीं रुकती, बल्कि इसे बड़े शहरों जैसे दिल्ली, जयपुर और मुंबई भेज दिया जाता है। लेकिन चरस की स्थानीय स्तर पर बिक्री शुरू होना बीकानेर के युवाओं के लिए गंभीर खतरे की घंटी है।
नशे के खिलाफ प्रशासन की सख्ती, फिर भी जारी है तस्करी
बीकानेर पुलिस प्रशासन लगातार नशे के खिलाफ कार्रवाई कर रहा है। हाल ही में गांजा और नशीली गोलियों की तस्करी के कई मामले सामने आए हैं, जिनमें कई लोगों को गिरफ्तार किया गया है। बावजूद इसके, तस्करों के हौसले बुलंद हैं और वे नए-नए तरीके अपनाकर नशे की खेप पहुंचा रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि नशे की लत से ग्रसित युवाओं की संख्या बढ़ रही है और यह स्थिति आने वाले समय में और भी भयावह हो सकती है। पुलिस प्रशासन और स्थानीय लोगों को मिलकर नशे के खिलाफ एक मजबूत अभियान छेड़ना होगा, ताकि बीकानेर को इस दलदल से बचाया जा सके।
नशे से बचाव के लिए उठाए जाने वाले कदम
- युवाओं के लिए जागरूकता अभियान: स्कूलों और कॉलेजों में नशे के दुष्प्रभाव को लेकर विशेष सेमिनार आयोजित किए जाने चाहिए।
- सख्त कानून और त्वरित कार्रवाई: नशे के तस्करों को जल्द से जल्द सजा मिले, ताकि अन्य अपराधी भी सबक लें।
- पुलिस और खुफिया तंत्र की मजबूती: ड्रग तस्करों के नेटवर्क को तोड़ने के लिए पुलिस और खुफिया एजेंसियों को और सक्रिय किया जाना चाहिए।
- सामाजिक संगठनों की भागीदारी: एनजीओ और सामाजिक कार्यकर्ताओं को आगे आकर नशा मुक्ति अभियान चलाना चाहिए।
निष्कर्ष
बीकानेर में चरस की एंट्री एक चेतावनी है कि शहर में नशे का कारोबार तेजी से पैर पसार रहा है। पुलिस की सतर्कता और प्रशासन की सख्ती से इसे रोका जा सकता है, लेकिन इसके लिए समाज को भी जागरूक और सतर्क रहना होगा। वरना, आने वाले समय में बीकानेर के युवाओं का भविष्य नशे के अंधकार में खो सकता है।
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