विश्व के दो शक्तिशाली देशों हिंदुस्तान और अमेरिका का साझा युद्धाभ्यास: रेगिस्तान में नई टेक्नोलॉजी और सेनाओं का अद्भुत सामंजस्य
बीकानेर। भारत और अमेरिका की सेनाओं के बीच महाजन फील्ड फायरिंग रेंज में चल रहे संयुक्त युद्धाभ्यास ने एक नई ऊंचाई पर पहुंचकर विश्व की सैन्य ताकत का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया है। इस अभ्यास की शुरुआत गत सोमवार को हुई थी और इसमें पहली बार अमेरिका के हाई मोबिलिटी आर्टिलरी रॉकेट सिस्टम (HIMARS) का प्रदर्शन किया जा रहा है। यह युद्धाभ्यास दोनों देशों की सेनाओं के बीच तालमेल और तकनीकी साझेदारी को दर्शाता है।
इस युद्धाभ्यास के दौरान किसी भी प्रकार की आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए आर्मी मेडिकल कोर ने विशेष व्यवस्थाएं की हैं। लेफ्टिनेंट कर्नल स्मिता सिंह ने मीडिया से बातचीत में बताया कि सैनिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं। आर्मी मेडिकल कोर पूरी तरह से तैयार है ताकि युद्धाभ्यास में भाग लेने वाले सैनिकों को किसी भी प्रकार की परेशानी का सामना न करना पड़े।
लॉजिस्टिक्स और सपोर्ट आर्मी की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए कैप्टन लिखिता ने कहा कि यह बल युद्धाभ्यास की बैकबोन के रूप में कार्य करता है और सभी प्रकार की व्यवस्थाएं सुनिश्चित करता है। उनका कहना था कि लॉजिस्टिक्स के बिना युद्धाभ्यास की सफलतापूर्वक संचालन की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
इस युद्धाभ्यास की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि इस बार सभी रणनीतियों का निर्माण और कार्यान्वयन भारतीय सेना द्वारा किया जा रहा है। ऑपरेशंस के कमांडिंग ऑफिसर आलोक शुक्ला ने इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह भारतीय सेना की क्षमताओं को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि अब तक के युद्धाभ्यासों में रणनीतियों का निर्माण अमेरिकी सेनाओं द्वारा किया जाता था, लेकिन इस बार भारतीय सेना ने इसका जिम्मा उठाया है। इससे न केवल दोनों देशों के संबंध मजबूत होंगे, बल्कि एक-दूसरे की कार्यशैली और रणनीतिक समझ को साझा करने का भी अवसर मिलेगा।
युद्धाभ्यास के दौरान 155mm M777A2 Howitzer का प्रदर्शन भी किया गया। यह एक आधुनिक और हल्का आर्टिलरी सिस्टम है जिसे विशेष रूप से भारतीय सेना द्वारा उपयोग किया जाता है। M777A2 होवित्जर को एयरलिफ्ट और एयरड्रॉप किया जा सकता है और इसकी अधिकतम गोलीबारी की दूरी 30-40 किलोमीटर तक होती है। इसमें उन्नत फायर कंट्रोल सिस्टम और लेजर रेंजफाइंडर होते हैं जो उच्च सटीकता के साथ लक्ष्यों को हिट करने में मदद करते हैं। भारतीय सेना ने 2016 में अमेरिकी कंपनी BAE Systems से M777A2 होवित्जर की खरीद के लिए समझौता किया था, और यह अब पर्वतीय और कठिन इलाकों में उपयोग के लिए एक महत्वपूर्ण उपकरण बन चुका है।
यह युद्धाभ्यास दोनों देशों की सेनाओं के बीच 20वीं बार संयुक्त रूप से किया जा रहा है। प्रारंभ में संयुक्त राष्ट्र संघ के आदेश के बाद शुरू हुए इस अभ्यास ने दोनों देशों की सेनाओं को एक साथ आकर हथियारों और युद्ध कौशल का अभ्यास करने का मौका दिया। भारत और अमेरिका में एक बार हर वर्ष आयोजित होने वाला यह युद्धाभ्यास अब एक परंपरा बन चुका है, जिसमें दोनों देशों के जवान एक साथ मिलकर प्रशिक्षण प्राप्त करते हैं।
भारत इस युद्धाभ्यास में स्वदेशी हथियारों का प्रदर्शन कर रहा है, जबकि अमेरिका अपने सर्वश्रेष्ठ हथियारों की श्रृंखला से परिचित करवा रहा है। सुबह से लेकर रात तक चलने वाले इस युद्धाभ्यास में भारतीय सेना की 9 राजपूत इंफेंट्री और अमेरिकी सेना की एयर बॉर्न 1-24 आर्कटिक डिवीजन हिस्सा ले रही है। इन दोनों सेनाओं ने माइनस 50 डिग्री सेल्सियस के तापमान में भी अपनी युद्ध कौशल और सामरिक दक्षता का प्रदर्शन किया है।
इस प्रकार का संयुक्त युद्धाभ्यास न केवल सैन्य सहयोग को बढ़ावा देता है बल्कि दोनों देशों की सेनाओं को एक-दूसरे के अनुभवों और क्षमताओं से लाभ उठाने का अवसर भी प्रदान करता है।
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