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पदमश्री शोवना नारायण द्वारा वरिष्ठ कवयित्री रंजीता सहाय अशेष की पुस्तक ‘फ़र्क सिर्फ़ जज़्बे का था’ का विमोचन

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पदमश्री शोवना नारायण द्वारा वरिष्ठ कवयित्री रंजीता सहाय अशेष की पुस्तक ‘फ़र्क सिर्फ़ जज़्बे का था’ का विमोचन

नई दिल्ली। राजधानी में आयोजित क्षितिज लिटरेचर फेस्टिवल में भारत की प्रतिष्ठित कवयित्री श्रीमती रंजीता सहाय अशेष की नई पुस्तक ‘फ़र्क सिर्फ़ जज़्बे का था’ का लोकार्पण प्रसिद्ध कत्थक नृत्यांगना पदमश्री शोवना नारायण के कर-कमलों से संपन्न हुआ। इस अवसर पर साहित्य, कला और संस्कृति जगत की कई जानी-मानी हस्तियां उपस्थित थीं।

रंजीता सहाय अशेष, जो अपनी गहन संवेदनशीलता और प्रेरणादायक लेखन के लिए जानी जाती हैं, ने इस बार अपनी तीसरी पुस्तक के माध्यम से जीवन के जटिल अनुभवों और मानवीय संघर्षों को सरल शब्दों में प्रस्तुत किया है। यह पुस्तक न केवल कविता के रूप में बल्कि एक जीवन दर्शन के रूप में भी पाठकों के समक्ष आती है, जो उन्हें विपरीत परिस्थितियों में भी हार न मानने की प्रेरणा देती है।

पुस्तक की खास बात यह है कि इसमें जीवन के मूल्यों को सरल शब्दों में प्रस्तुत किया गया है, जो इसे हर उम्र के पाठकों के लिए प्रासंगिक बनाता है। अपने अनुभवों और जीवन के प्रति दृष्टिकोण को साझा करते हुए, रंजीता जी ने कहा, “हमारी जिंदगियों में सबसे बड़ा फर्क हमारे जज़्बे का होता है। यही जज़्बा हमें कठिन से कठिन परिस्थितियों से उबरने में मदद करता है।”

इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि पदमश्री शोवना नारायण ने पुस्तक की प्रशंसा करते हुए कहा, “रंजीता जी की कविताएं जीवन की गहराइयों में उतरकर पाठकों को सोचने पर मजबूर करती हैं। उनकी लेखनी में एक अलग ही ऊर्जा है, जो हमें प्रेरित करती है।”

पुस्तक ‘फ़र्क सिर्फ़ जज़्बे का था’ की समीक्षा विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञों द्वारा की गई है, जिसमें लेफ्टिनेंट जनरल ए.आर. प्रसाद, टेड एक्स स्पीकर राजीव नारंग, ब्रिगेडियर विनोद दत्ता, वरिष्ठ कवि श्री मनोज शुक्ल, ग्रुप कैप्टन विवेक कामठन, और दूरदर्शन की वरिष्ठ संचालिका मंजु मेहता शामिल हैं। इन समीक्षकों ने पुस्तक को प्रेरणादायक और जीवन को समझने का एक अनूठा माध्यम बताया है।

पुस्तक के विमोचन के मौके पर मौजूद लोगों ने रंजीता जी को इस नई उपलब्धि के लिए बधाई दी और उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना की। क्षितिज लिटरेचर फेस्टिवल की संस्थापिका रंजीता सहाय अशेष ने अपनी पुस्तक के विमोचन पर कहा, “मुझे उम्मीद है कि यह पुस्तक भी मेरी बाकी पुस्तकों की तरह ही पाठकों के दिलों में खास जगह बनाएगी।”

यह पुस्तक जीवन के हर पहलू को छूते हुए पाठकों को अपने अंदर झांकने और अपने जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित करने के लिए प्रेरित करती है। ‘फ़र्क सिर्फ़ जज़्बे का था’ न केवल साहित्य प्रेमियों बल्कि उन सभी के लिए एक प्रेरणास्रोत है जो जीवन में आगे बढ़ने की ललक रखते हैं।

इस पुस्तक के माध्यम से रंजीता सहाय अशेष ने यह संदेश दिया है कि जीवन की हर चुनौती का सामना साहस और धैर्य के साथ करना चाहिए। उनकी यह पुस्तक निश्चित ही पाठकों को एक नई दिशा और दृष्टिकोण प्रदान करेगी।

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