रिलेशनशिप- जब टूटने लगे हौसला तो क्या करें:अपने भीतर रेजिलियेंस विकसित करें, रेजिलियेंस के 6 फायदे और एक्सपर्ट की 6 सलाह
‘’जब टूटने लगे हौसला तो बस ये याद रखना
बिना मेहनत के हासिल तख्तो-ताज नहीं होता
ढूंढ़ लेना अंधेरों में मंजिल अपनी
जुगनू कभी रौशनी का मोहताज नहीं होता।’’
यह प्रेरणादायी पंक्तियां हमें यह सिखाती हैं कि जिंदगी में कितनी भी मुश्किलें आ जाएं और हौसला टूटने लगे, तब भी हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए।
अक्सर हम मुश्किलें आने पर निराश हो जाते हैं, अपना हौसला खो देते हैं और हार मान लेते हैं। हम यह भूल जाते हैं कि जिंदगी एक ऐसा सफर है, जिसमें कभी धूप है तो कभी छांव। जब छांव रहती है तो हम खुश रहते हैं, उस पल को सेलिब्रेट कर रहे होते हैं। वहीं जैसे ही हमारी लाइफ में दुख आता है तो हम निराश हो जाते हैं। कई बार इतने निराश कि हौसला ही टूट जाता है।
इसी मुश्किल वक्त में काम आता है ‘रेजिलियेंस’।
यूं तो इस शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है लचीलापन। लेकिन जिंदगी में इसका अर्थ है मुश्किलों के सामने न झुकना, न टूटना। सरल शब्दों में कहें तो जिंदगी में कुछ बुरा होने के बाद भी इस सफर में डटे रहना। मुश्किल घड़ी में भी खुश और सफल होने की क्षमता रखना।
जाने-माने न्यूरोसाइकोलॉजिस्ट और लेखक रिक हैनसन और फॉरेस्ट हैनसन ने इस पर एक किताब लिखी है- ‘रेजिलियेंट।’
इस किताब में बताया गया है कि कैसे रेजिलियेंस हमें मुश्किल परिस्थितियों में मजबूत बनाए रखता है। ये हमें परिवार की समस्याओं, नौकरी में आ रही मुश्किलों, तनाव और स्वास्थ्य समस्याओं से निपटने, दूसरों के साथ मैटर्स को सुलझाने, पुराने दर्द से उबरने और बस चलते रहने के लिए हर दिन मोटिवेट करता है।
डॉ. रिक हैनसन बताते हैं कि मुश्किल परिस्थितियों में अपनी आंतरिक शक्तियों को कैसे विकसित किया जाए। फिर इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि जीवन आपके सामने क्या लाता है। रेजिलियेंट होने पर आप कम तनाव महसूस कर पाएंगे, आत्मविश्वास के साथ अवसरों का पीछा कर पाएंगे और विपरीत परिस्थितियों में भी शांत और केंद्रित रह पाएंगे।
मुश्किल वक्त में रेजिलियेंस की क्या भूमिका है
कई बार हमें लगता है कि कुछ लोग मुश्किल समय का सामना दूसरों की तुलना में बेहतर तरीके से कर पाते हैं। जबकि हर किसी की स्थिति अलग-अलग होती है। यह सच है कि रेजिलियेंस रखने वाले लोग मुश्किल समय को बेहतर तरीके से डील कर पाते हैं। यह एक ऐसी खूबी है, जो आपको मुश्किल वक्त में आने वाले तनाव, चिंता और उदासी की भावनाओं को बेहतर तरीके से सहन कर पाने में मदद करती है। इससे आप असफलताओं से भी उबरने का तरीका खोज पाते हैं।
रेजिलियेंस से सकारात्मक दृष्टिकोण बनाने में मिलती है मदद
जिंदगी में हम सभी कभी-न-कभी बुरे वक्त से गुजरते हैं। कभी निराशा, दर्द और बदलाव का अनुभव करते हैं। कई बार हमारे पास दर्द बांटने के लिए भी कोई नहीं होता। ऐसे में अकेले ही घुटते रहते हैं और कभी-कभी हिम्मत भी हार जाते हैं। लेकिन रेजिलियेंस विकसित करने से आपको सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखने और बुरे दिनों से बाहर निकलने में मदद मिल सकती है।
जीवन की चुनौतियों को रेजिलियेंस विकसित करने का अवसर बनाएं
यदि आप भावनात्मक संकट के प्रति अत्यधिक संवेदनशील हैं और आपको कठिनाइयों का सामना करने में परेशानी हो रही है तो संभव है कि आपने अपने जीवन में पहले कभी प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना न किया हो। ऐसे में आपको रेजिलियेंस विकसित करने की आवश्यकता है।
पिछले अनुभव आपको आज की चुनौतियों से निपटने में मदद कर सकते हैं। भले ही आपने अतीत में प्रतिकूलता का सामना करने में संघर्ष किया हो, लेकिन आप उन तरीकों को पहचानने में सक्षम हो सकते हैं, जो मदद नहीं करते हैं।
इसलिए अपने पिछले अनुभवों से सीखें और उनसे सबक लें। अपने जीवन में नए अनुभव प्राप्त करें और अपने सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहें।
रेजिलियेंस विकसित करने से निजी और प्रोफेशनल जिंदगी में ये फायदे हो सकते हैं-
- जिंदगी में पॉजिटिव बदलाव लाने में मदद मिलती है।
- कठिनाइयों का सामना करने की क्षमता बढ़ती है।
- प्रेशर और टेंशन को बेहतर ढंग से मैनेज करने में मदद मिलती है।
- आत्मविश्वास और आत्मसम्मान बढ़ता है।
- चुनौतियों से लड़ने की क्षमता बढ़ती है। नई चुनौतियों को स्वीकार कर पाते हैं।
- नकारात्मक विचारों और भावनाओं को रोकने में मदद मिलती है।
- संबंधों में सुधार होता है। निजी और प्रोफेशनल रिश्तों में स्थायित्व आता है।
- शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
- काम और व्यक्तिगत जीवन में सफलता प्राप्त करने में मदद मिलती है।
इन तमाम फायदों को हालिस करने के लिए रेजिलियेंस विकसित करना जरूरी है। इसके लिए आप अपने जीवन में नए अनुभव प्राप्त करें, अपने सामने आने वाली चुनौतियों का सामना करें और अपने आपको मजबूत बनाने के लिए काम करें। इस बात का खास ख्याल रखें कि चुनौतियां ही रेजिलियेंस विकसित करने का अवसर होती हैं। तभी कुंवर नारायण ने लिखा कि-
जब तुम अपने मस्तक पर
बर्फ का पहला तूफान झेलोगे
और कांपोगे नहीं
तब तुम पाओगे कि कोई फर्क नहीं
सबकुछ जीत लेने में
और अंत तक हिम्मत न हारने में।
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