रिलेशनशिप- जब एक-दूसरे पर निर्भरता कमजोरी नहीं, ताकत हो:डिपेंडेंस से बढ़ता आत्मविश्वास, मिलती सफलता, लेकिन पॉवर बैलेंस भी है जरूरी
हर इंसान की अपनी शख्सियत होती है, अपना व्यवहार होता है। हमारी जिंदगी में क्या कुछ हो रहा है, यह अमूमन हम पर ही निर्भर करता है।
लेकिन रोमांटिक रिश्ते वालों की बात थोड़ी अलग है। ये कई चीजों के लिए एक-दूसरे पर निर्भर होते हैं। नई जानकारी यह है कि रिश्ते में आपसी निर्भरता काफी फायदेमंद साबित हो सकती है। इससे रिश्ते के साथ-साथ दोनों पार्टनर्स को भी इंडिविजुअल स्तर पर फायदा होता है।
यानी जब किसी रिश्ते में दो लोग एक-दूसरे पर कुछ बातों के लिए निर्भर होते हैं तो इससे उनका रिश्ता तो मजबूत होता ही है। साथ-ही-साथ इसकी वजह से उन दोनों का निजी फायदा भी होता है।
इंटरडिपेंडेंस का मतलब अपनी पर्सनैलिटी से समझौता नहीं
यहां इस बात का ध्यान रखना जरूरी है कि किसी भी तरह की निर्भरता की एक सीमा होती है। किसी भी स्थिति में यह निर्भरता इस हद तक न पहुंचे कि पर्सनल स्पेस और पर्सनैलिटी से समझौता करना पड़े। ऐसी स्थिति में इंटरडिपेंडेंस ‘पॉजिटिव’ नहीं रह जाता है और वह को-डिपेंडेंस में बदल जाता है। यह स्थिति रिश्ते को नुकसान पहुंचा सकती है।
जबकि पॉजिटिव इंटरडिपेंडेंस की स्थिति में पार्टनर्स एक-दूसरे के लिए पूरक की तरह होते हैं। आपसी मदद के बावजूद एक-दूसरे की पर्सनैलिटी को निखरने का स्पेस देते हैं। यह म्यूचुअल पर्सनैलिटी डेवलपमेंट की तरह होता है। इससे रिश्ते में प्रगाढ़ता आती है और एक-दूसरे पर हद से ज्यादा निर्भरता भी नहीं होती है।
कोई ऐसा हो, जिस पर निर्भर हो सकें तो बढ़ेगा आत्मविश्वास
विश्वास किसी भी रिश्ते की नींव है। चाहे वह रिश्ता प्यार का हो या दोस्ती का। एक ऐसा रिश्ता, जो आपको साइकोलॉजिकल और इमोशनल रूप से मदद कर सके।
यह भावना कि ‘कोई है जो मुश्किलों में मेरे साथ खड़ा रहेगा, मैं उस पर निर्भर रह सकता हूं,’ पर्सनल ग्रोथ में काफी अहम होती है।
क्योंकि इस तरह के रिश्ते में किसी के साथ होने की उम्मीद पर्सनल ग्रोथ को बढ़ावा देती है। रिश्ते में साथ और थोड़ी निर्भरता मिले तो जिंदगी में रिस्क लेने और कुछ नया करने का जज्बा मिलता है।
इंटरडिपेंडेंस के साथ जरूरी है पॉवर बैलेंस
पिछले दिनों जर्मनी के बैम्बर्ग विश्वविद्यालय के कुछ शोधकर्ताओं ने एक रिलेशनशिप स्टडी की। इस स्टडी में उन्होंने यह पता लगाने की कोशिश की है कि रिश्ते को संभाले रखने के लिए कौन से फैक्टर्स सबसे अहम हैं।
शोधकर्ताओं ने अपने नतीजे में पाया कि इसके लिए ‘पॉवर बैलेंस’ सबसे जरूरी फैक्टर है। इसके अभाव में रिश्ते में प्यार और स्नेह की गुंजाइश काफी कम हो सकती है।
ऐसे में किसी भी रूप में पार्टनर पर निर्भर होने से पहले इस बात का खास ख्याल रखा जाना चाहिए कि कहीं इस निर्भरता की वजह से पॉवर बैलेंस बिगड़ तो नहीं रहा। यानी कोई एक पार्टनर कंट्रोलिंग पोजिशन में तो नहीं जा रहा।
इंटरपर्सनल रिश्ते की बुनियाद है इंटरडिपेंडेंस
सोशल साइकोलॉजिस्ट स्टेनली ओ. गेन्स अपनी किताब ‘पर्सनैलिटी एंड क्लोज रिलेशनशिप प्रॉसेस’ में निर्भरता को रिश्ते की बुनियाद बताते हैं। उनके मुताबिक बिना निर्भरता कोई रिश्ता बन ही नहीं सकता।
एक-दूसरे पर निर्भर हों तो आपसी टूट की आशंका कम
रोमांटिक या वैवाहिक रिश्तों में कई बार ऐसा देखने को मिलता है, जब छोटी सी बात का बतंगड़ बन जाता है। छोटी-मोटी नाराजगी रिश्ते में टूट की वजह बनती है और लंबे समय तक रिश्ते में रहे लोग एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं।
लेकिन अगर किसी रिश्ते में पार्टनर्स के बीच आपसी इंटरडिपेंडेंस यानी निर्भरता हो तो ऐसी स्थिति में रिश्ते को बाकी चीजें ज्यादा प्रभावित नहीं कर पातीं और वह रिश्ता छोटे-मोटे उतार-चढ़ाव को आसानी से झेल जाता है।
उनके लिए रिश्ता तोड़ना आसान नहीं रह जाता। उन्हें पता होता है कि ऐसी स्थिति में तुनकमिजाजी काम नहीं आएगी। साथ ही उन्हें समय-समय पर अपने पार्टनर की अहमियत का भी एहसास होता रहता है।
ध्यान रहे, निर्भरता दूसरे के लिए बोझ न बने
इंटरडिपेंडेंस रिश्ते के लिए पॉजिटिव ही रहे और यह पार्टनर पर बोझ न बने, इसके लिए भी सीमा का ख्याल रखना जरूरी हो जाता है। अगर निर्भरता को कोई एक पार्टनर बोझ मानने लगे तो रिश्ता और दूसरा पार्टनर भी बोझ सरीखा लगने लगता है।
सोशल न्यूरोसाइंस के मुताबिक, सामाजिक जुड़ाव हमारे मस्तिष्क और ओवरऑल वेल बीइंग को बड़े स्तर पर प्रभावित करता है। अगर हमारे कामकाज को समाज में और करीबी लोगों के बीच स्वीकृति या सराहना मिले तो इससे खुशी और संतुष्टि की भावनाएं बढ़ती हैं। हमारी लाइफस्टाइल में जो कमियां हैं, अगर उन्हें पाटने में समाज या करीबी रिश्ते का सहयोग मिले तो हम मानसिक और शारीरिक रूप से अधिक स्वस्थ रहते हैं। इसके अलावा हमारी प्रोडक्टिविटी भी कई गुना बढ़ जाती है। इससे आपसी सहयोग की भावना भी पैदा होती है। कुल मिलाकर इंटरडिपेंडेंस और आपसी सहयोग से हम बतौर इंसान और बतौर समाज हर दिन बेहतर होते जाते हैं।
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