बांग्लादेश के चीफ एडवाइजर ने पीएम मोदी को फोन किया:हिंदुओं की सुरक्षा का भरोसा दिलाया; भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा- वीजा सख्ती लागू रहेगी
बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के गठन के बाद पहली बार मोहम्मद यूनुस और पीएम मोदी के बीच बात हुई है।
बांग्लादेश के चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस ने पीएम नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की है। मोहम्मद यूनुस ने बांग्लादेश में हिंदुओं और दूसरे अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर पीएम मोदी को भरोसा दिलाया। बातचीत के दौरान मोदी ने कहा कि भारत बांग्लादेश में लोकतंत्र, स्थिरता और शांति की बहाली का समर्थन करता है। मोदी ने बातचीत को लेकर X पर पोस्ट किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले से दिए भाषण में बांग्लादेशी हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की थी।
बांग्लादेश में हुए हिंसक प्रदर्शनों में अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हमले लगातार बढ़े हैं। अब तक हिंदुओं पर हमले के 205 से अधिक मामले सामने आए हैं।
विदेश मंत्रालय बोला- हिंदुओं की स्थिति को लेकर चिंतित
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि हम स्थिति का लगातार जायजा ले रहे हैं। बांग्लादेश में भारत के हाईकमिश्नर ने बांग्लादेश के विदेश मामलों के एडवाइजर से मुलाकात की। मुलाकात के दौरान दोनों के बीच द्विपक्षीय मुद्दों पर बातचीत हुई। बातचीत में हिंदुओं की सुरक्षा को लेकर भी बातचीत हुई।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि बांग्लादेश में वीजा फैसिलिटी को पूरी तरह कानून व्यवस्था सामान्य होने के बाद शुरू किया जाएगा। फिलहाल बांग्लादेश में वीजा पर सख्ती लागू रहेगी। हालांकि, बांग्लादेश में भारतीय नागरिकों को कॉन्सुलर सुविधाएं दी जा रही हैं।
बांग्लादेश में हिंदुओं पर हुए हमले के बाद समुदाय के लोगों ने राजधानी ढाका समेत देश के कई इलाकों में प्रदर्शन किए थे।
कल दिल्ली में होगा वॉयस ऑफ ग्लोबल-साउथ समिट का आयोजन
वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट के तीसरे संस्करण का आयोजन कल दिल्ली में होगा। इस समिट को वर्चुअल मोड में आयोजित किया जाएगा। समिट में ग्लोबल साउथ के 100 से अधिक देश हिस्सा लेंगे। कल होने वाली समिट की मेजबानी प्रधानमंत्री मोदी करेंगे। समिट में बांग्लादेश के चीफ एडवाइजर मोहम्मद यूनुस भी हिस्सा लेंगे।
इससे पहले भी भारत ने 12-13 जनवरी 2023 को पहले वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट और 17 नवंबर 2023 को दूसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट का आयोजन किया था। ये दोनों समिट वर्चुअल मोड में आयोजित किए गए थे। इन दोनों समिट में 100 अधिक देशों ने हिस्सा लिया था।
बांग्लादेश ने सात देशों से राजदूत वापस बुलाए
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने अमेरिका, रूस, सऊदी अरब, जापान, जर्मनी, UAE और मालदीव में तैनात अपने राजदूतों को वापस बुलाने का फैसला किया है। इन्हें शेख हसीना के कार्यकाल में नियुक्त किया गया था।
बांग्लादेश में 8 अगस्त को अंतरिम सरकार के गठन के बाद बड़े पैमाने पर प्रशासनिक फेरबदल हो रहे हैं। विदेश मंत्रालय की वेबसाइट पर 7 देशों के राजदूतों को वापस बुलाने से जुड़े अलग-अलग नोटिफिकेशन भी जारी किए गए हैं।
इसमें कहा गया कि राजदूतों और हाईकमिश्नर्स को मौजूदा जिम्मेदारी छोड़कर ढाका वापस लौटने का आदेश दिया गया है।
काउंसलर और सचिव को भी वापस बुलाया
अच्चायुक्त और राजदूतों के अलावा वाशिंगटन में सचिव वहीदुज्जमां नूर और काउंसलर आरिफा रहमान रूमा, कनाडा के ओटावा में काउंसलर अपर्णा रानी पाल और काउंसलर मोबशवीरा फरजाना और न्यूयॉर्क में सचिव असिब उद्दीन अहमद की संविदा नियुक्ति रद्द कर दी गई हैं। इन पांचों को 31 अगस्त से पहले तक देश बुलाया गया है।
हिंसा की जांच करने ढाका पहुंचेगी UN की टीम
बांग्ला अखबार ढाका ट्रिब्यून के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों की एक टीम अगले सप्ताह बांग्लादेश का दौरा करेगी। टीम PM हसीना के इस्तीफे से पहले और बाद में हुई प्रदर्शनकारियों की हत्याओं की जांच करेगी।
एक अधिकारी ने बताया कि 1971 में बांग्लादेश की आजादी के बाद पहली बार होगा जब संयुक्त राष्ट्र की टीम मानवाधिकारों के हनन की जांच करने के लिए पहुंचेगी।
अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस ने कहा कि बांग्लादेश में प्रदर्शन के दौरान हुए अत्याचारों की जांच के लिए UN अगले सप्ताह एक जांच टीम भेज रही है।
दावा- भारत ने अमेरिका पर दबाव डाला, हसीना सरकार पर नरम रुख अपनाए
भारत ने एक साल पहले अमेरिका पर पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पर दबाव न डालने के लिए जोर डाला था। ये दावा वाशिंगटन पोस्ट की रिपोर्ट में किया गया है। बांग्लादेश में 7 जनवरी को आम चुनाव हुए थे। इससे पहले हसीना ने अपने विरोधी नेताओं को जेल भेज दिया था। अमेरिका ने इसकी आलोचना की थी।
अमेरिका ने सिंतबर 2023 में शेख हसीना की पार्टी से जुड़े कई नेताओं पर वीजा से जुड़ा बैन लगा दिया था। इसके पहले अमेरिका ने दिसंबर 2021 में बंगलादेश की रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) पर बैन लगा दिया था। RAB पर आरोप था कि वह विपक्षी नेताओं पर अत्याचार कर रही है।
इन घटनाओं के बाद भारतीय अधिकारियों ने अमेरिका से हसीना सरकार के साथ नरम रुख अपनाने को कहा था। उन्होंने तर्क दिया कि अगर विपक्ष सत्ता हासिल करता है, तो इससे बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरपंथी समूह हावी हो सकते हैं, जिससे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पहुंच सकता है।
हसीना को वापस बुलाने, मुकदमा चलाने को लेकर प्रदर्शन
बांग्लादेश में पूर्व PM शेख हसीना को वापस देश बुलाए जाने और उनपर मुकदमा चलाने को लेकर हिंसा शुरू हो गई है। बांग्लादेश की राजधानी ढाका में गुरुवार को शहीद मीनार पर अलग-अलग छात्र गुटों ने हजारों की संख्या में पहुंचकर प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि हसीना सरकार में शीर्ष पदों पर रहे अधिकारियों पर एक्शन लिया जाए। प्रदर्शन में शामिल छात्रों ने कहा कि छात्र आंदोलन के दौरान शेख हसीना ने गोली चलवाई थी। इस घटना के सभी जिम्मेदारों पर एक्शन होना चाहिए।
शेख हसीना ने बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन के बाद 5 अगस्त को प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देकर देश छोड़ दिया था। तब से वे भारत में रह रही हैं।
विदेश मंत्री बोले- हसीना ने भारत में रहकर बयान दिया तो रिश्ते खराब होंगे
बांग्लादेश में अंतरिम सरकार के विदेश मंत्री मोहम्मद तौहीद हुसैन ने गुरुवार को शेख हसीना के वापस देश लौटने को लेकर बयान दिया। उन्होंने कहा कि सरकार जल्द ही पूर्व प्रधानमंत्री के प्रत्यर्पण पर फैसला लेगी, क्योंकि उनके खिलाफ मामले बढ़ते जा रहे हैं।
हुसैन ने कहा कि शेख हसीना के प्रत्यर्पण का अंतिम निर्णय देश के गृह और कानून मंत्री पर निर्भर करता है। अगर वे इससे जुड़ा फैसला करते हैं तो हमें भारत से उनको वापस बुलाने के लिए कहना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि हसीना दिल्ली में रहकर राजनीतिक शरण हासिल करने की कोशिश कर रही हैं। इससे भारत के लिए शर्मनाक स्थिति पैदा हो रही है।
इससे पहले तौहीद हुसैन ने भारतीय उच्चायुक्त से कहा था कि अगर भारत में मौजूद शेख हसीना ने बयान दिया तो रिश्ते खराब हो जाएंगे। BBC के मुताबिक उन्होंने कहा कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री का बयान बांग्लादेश सरकार के लिए असहज करने वाला है।
शेख हसीना और उनकी पार्टी अवामी लीग के अन्य सदस्यों के खिलाफ बांग्लादेश में हत्या और एक अपहरण का मामला दर्ज हुआ है। उनके खिलाफ इंटरनेशनल ट्रिब्यूनल में नरसंहार का मुकदमा दायर हुआ है। देश भर में हुए हिंसक दंगों और विरोध प्रदर्शनों के बीच 5 अगस्त 2024 को वह देश छोड़कर भाग गईं थी।
Add Comment