सेहतनामा- ओलिंपिक्स में 7 मंथ की प्रेग्नेंट तलवारबाज का जलवा:प्रेग्नेंसी बीमारी नहीं, इस दौरान एक्सरसाइज फायदेमंद
इजिप्ट की 26 साल की महिला तलवारबाज नदा हाफेज ने बिना कोई मेडल जीते पेरिस ओलिंपिक में इतिहास रच दिया है। उनके नाम से सुर्खियां बनीं। नदा ने 7 माह की प्रेग्नेंसी के साथ ओलिंपिक खेलों में हिस्सा लिया। गजब तो तब हुआ, जब उन्होंने पहले मुकाबले में अमेरिका की एलिजाबेथ टार्टाकोवस्की को हराकर उलटफेर कर दिया। हालांकि, दूसरे मुकाबले में वह कोरिया की जियोन हेयंग से हार गईं। इसके बाद भी उन्होंने दुनिया भर की महिलाओं के लिए एक मिसाल पेश की है।
प्रेग्नेंसी के दौरान महिला का शरीर कई तरह के मानसिक और शारीरिक बदलावों से गुजरता है। इस दौरान उनके भीतर एक सृजन हो रहा होता है, जिसका कुछ दिन बाद धरती पर अपना वजूद होगा। इसके लिए शरीर में कई हॉर्मोलन बदलाव होते हैं। वजन बढ़ता है, शरीर का आकार बदलता है। ऐसे में डॉक्टर कई सावधानियां बरतने की सलाह देते हैं, जिससे जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ्य रहें।
सवाल ये है कि प्रेग्नेंसी के दौरान जब ज्यादातर महिलाएं रेस्ट मोड में होती हैं, उनके लिए अन्य लोगों की तरह तेजी से चलना-फिरना तक मुश्किल होने लगता है, तब कोई तलवारबाजी जैसा गेम कैसे खेल सकता है? इसका सेहत पर क्या प्रभाव होता है?
आज ‘सेहतनामा’ में जानेंगे कि प्रेग्नेंसी के दौरान कितनी फिजिकल एक्टिविटी कर सकते हैं। साथ ही जानेंगे कि-
- प्रेग्नेंसी के किन महीनों में एक्सरसाइज करना रिस्की हो सकता है?
- किन कंडीशंस में एक्सरसाइज करने से बचना चाहिए?
- इसके अलावा किस तरह की सावधानियां जरूरी हैं?
प्रेग्नेंसी बीमारी नहीं है
दिल्ली के श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट में ऑब्सटेट्रिक्स एंड गाइनेकोलॉजी विभाग की प्रिंसिपल कंसल्टेंट डॉ. पूनम अग्रवाल के मुताबिक, प्रेग्नेंसी सामान्य हेल्थ कंडीशन है। इसे बीमारी समझने का ख्याल दिमाग से निकाल देना चाहिए। हमें यह समझने की जरूरत है कि महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान जितनी ज्यादा सक्रिय और फिट रहेंगी, उससे उनको अपने बदलते आकार और बढ़ते वजन के साथ तालमेल बिठाना उतना ही आसान होगा। यहां तक कि इससे डिलीवरी के समय होने वाले दर्द का मुकाबला करने में भी मदद मिलती है।
प्रतिदिन एक्सरसाइज करने से होगी नॉर्मल डिलीवरी
अमेरिकन कॉलेज ऑफ ओब्स्टेट्रिशियन एंड गाइनेकोलॉजी (ACOG) के मुताबिक, जो महिलाएं प्रेग्नेंसी के दौरान नियमित रूप से एक्सरसाइज करती हैं, उनकी सिजेरियन डिलीवरी की संभावना कम होती है। इसका मतलब है कि सामान्य डिलीवरी की संभावना बढ़ जाती है।
इसके अलवा किस तरह के स्वास्थ्य लाभ होते हैं, ग्राफिक में देखिए।
एथलीट्स से प्रेरणा लें, एक्सरसाइज अपनी क्षमता के अनुसार करें
डॉ. पूनम कहती हैं कि एथलीट्स से प्रेरणा लेना अच्छी बात है, लेकिन उनके मुकाबले एक्सरसाइज करने का विचार बनाना अच्छा नहीं है। एथलीट्स का शरीर पहले से उस फुर्ती और तेजी के लिए ढला हुआ है। उनके पास सपोर्ट स्टाफ और एक्सपर्ट्स भी होते हैं।
हमें अपनी शारीरिक क्षमता और सेहत के अनुसार ही एक्सरसाइज करनी चाहिए। एक दिन जितनी देर तक सहज महसूस कर रहे हैं, उतनी देर ही कोई फिजिकल एक्टिविटी करें।
प्रेग्नेंसी के दौरान आमतौर पर दौड़ना, योग करना और डांसिंग जैसी फिजिकल एक्टिविटी सबसे मुफीद होती है।
सप्ताह में 150 मिनट एक्सरसाइज करनी चाहिए
डॉ. पूनम कहती हैं कि अगर प्रेग्नेंट महिला स्वस्थ है तो उसे अन्य स्वस्थ लोगों की तरह प्रति सप्ताह 150 मिनट की एरोबिक एक्सरसाइज करने की सलाह दी जाती है। अगर हफ्ते में 5 दिन एक्सरसाइज करते हैं तो प्रतिदिन 30 मिनट पर्याप्त हैं। अगर इससे पहले कभी एक्सरसाइज नहीं की है तो प्रतिदिन 5 या 10 मिनट से शुरुआत कर सकते हैं और धीरे-धीरे बढ़ाकर 30 मिनट तक ले जा सकते हैं। फिर इसे डिलीवरी तक फॉलो कर सकते हैं।
लक्ष्य को पूरा करने के लिए खुद को मुश्किल में न डालें
यह जरूरी नहीं है कि हर किसी को 30 मिनट एक्सरसाइज करनी ही है। हर किसी की शारीरिक सेहत अलग हो सकती है। इसके लिए हमारा पैमाना यह हो सकता है कि तब तक एक्सरसाइज करेंगे, जब तक थकान महसूस नहीं होने लगेगी। हालांकि, जैसे-जैसे प्रेग्नेंसी आगे बढ़ती है, हमारी फिजिकल एक्टिविटी करने की क्षमता कम होती जाती है। इसलिए अपनी गाइनेकोलॉजिस्ट से सलाह लेते रहें।
एक सामान्य नियम यह है कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिला को एक्सरसाइज करते समय बातचीत करने में सक्षम होना चाहिए। अगर बात करते समय सांस फूल रही है तो संभव है कि आप अपनी क्षमता से अधिक तेज एक्सरसाइज कर रही हैं। इसे यहीं रोक देना चाहिए।
अगर कोई महिला प्रेग्नेंसी से पहले किसी तरह की फिजिकल एक्टिविटी नहीं कर रही है तो अचानक बहुत जोरदार एक्सरसाइज शुरू न करें। इसके लिए एरोबिक एक्सरसाइज से शुरुआत की जा सकती है।
प्रेग्नेंट महिलाओं के लिए एक्सरसाइज शुरू करने से पहले कुछ जरूरी सुझाव
- एक्सरसाइज शुरू करने से पहले हमेशा वार्म-अप करें और उसके बाद कूल-डाउन करें। यानी एक्सरसाइज करने के बाद थोड़ी देर आराम करें।
- रोजाना सक्रिय रहने की कोशिश करें। अगर एक्सरसाइज करना मुश्किल लग रहा है तो हर दिन 30 मिनट तक पैदल चलना काफी हो सकता है।
- गर्मी के मौसम में किसी भी तरह की कठिन एक्सरसाइज करने से बचें।
- एक्सरसाइज से पहले और बाद में खूब सारा पानी और दूसरे फ्लुइड्स पीते रहें।
- अगर एक्सरसाइज के लिए कोई जिम या ट्रेनिंग सेंटर जॉइन कर रखा है तो सुनिश्चित करें कि आपका ट्रेनर सर्टिफाइड है।
- ट्रेनर को इस बात की जानकारी अवश्य दें कि आप गर्भवती हैं और यह भी बताएं कि आपकी प्रेग्नेंसी को कितना समय हुआ है।
- ऐसी किसी भी एक्सरसाइज से बचें, जिसमें गिरने का जोखिम हो। घुड़सवारी, डाउनहिल स्कीइंग, हॉकी, जिम्नास्टिक जैसी एक्टिविटीज बहुत सावधानी से ही करें। इसमें गिरने से शिशु को नुकसान पहुंचने का जोखिम रहता है।
शुरुआती तीन महीने बरतें सावधानी
प्रेग्नेंसी के शुरुआती 3 महीने बेहद महत्वपूर्ण होते हैं। अगर इस दौरान कोई हाई इंटेंसिटी एक्सरसाइज कर रहा है या बहुत तेजी से खेले जाने वाले खेल में हिस्सा ले रहा है तो इसका गर्भाशय पर प्रतिकूल प्रभाव हो सकता है। ब्लीडिंग या मिसकैरेज की समस्या हो सकती है।
पहली तिमाही में शिशु के विकास के लिए प्रग्नेंट महिला का बॉडी टेम्प्रेचर सामान्य रहना जरूरी है। अगर 10 मिनट से अधिक समय तक 102°F से अधिक बॉडी टेम्प्रेचर बना रहे तो इससे मिसकैरेज का जोखिम हो सकता है। इसलिए अपने स्थानीय मौसम और शारीरिक सेहत के हिसाब गायेनकोलॉजिलस्ट से उचित एक्सरसाइज की सलाह ले सकते हैं।
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