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“मैं शेफ़ हूँ — स्वाद से ज़िंदगी गढ़ने की कला”— कीगन मेनडोनका

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“मैं शेफ़ हूँ — स्वाद से ज़िंदगी गढ़ने की कला”

मैं शेफ़ हूँ — यह सिर्फ़ एक नौकरी नहीं,
ये मेरा जुनून है।

सफ़ेद कोट और ऊँची टोपी ही नहीं,
यही मेरी शान है, यही मेरा सुकून है।

ये केवल ड्यूटी नहीं, न सिर्फ़ रोज़ी-रोटी,
रसोई मेरा मंदिर है—
जहाँ स्वाद की आरती रोज़ जलती है।

छुरी की चमक और चूल्हे की धधकती आग के बीच
मैं खुद को हर दिन फिर से गढ़ता हूँ।
तंदूर की तपिश से लेकर तवे की छन-छन,
यही है मेरा संसार, यही मेरा रसोई-राग।

स्वाद की तलाश में दिन-रात पिघलता रहता हूँ,
हर रेसिपी में अपना पूरा दिल उतार देता हूँ।
परफ़ेक्शन से लड़ाई रोज़ की है,
क्योंकि मेरा लक्ष्य सिर्फ़ इतना है—
स्वाद, स्वाद नहीं… जादू बन जाए।

मैं शेफ़ हूँ—
मैं सिर्फ़ खाना नहीं बनाता,
ज़िंदगी के हर पल को स्वाद में सजाता हूँ।

मेरी वर्दी मेरी इज़्ज़त,
रसोई मेरी जान।
मैं शेफ़ हूँ— यही है मेरी पहचान।

— कीगन मेनडोनका


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