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अमेरिकी NSA जेक सुलिवन आज भारत आएंगे:मोदी-जयशंकर से मिलेंगे, नई सरकार बनने के बाद अमेरिकी अधिकारी का पहला दौरा

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अमेरिकी NSA जेक सुलिवन आज भारत आएंगे:मोदी-जयशंकर से मिलेंगे, नई सरकार बनने के बाद अमेरिकी अधिकारी का पहला दौरा

6 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जेक सुलिवन की भारत यात्रा की जानकारी दी थी। - Dainik Bhaskar

6 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जेक सुलिवन की भारत यात्रा की जानकारी दी थी।

अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) जेक सुलिवन आज (17 जून) को भारत आएंगे। सुलिवन क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (iCET) की मीटिंग में शामिल होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की शपथ के बाद किसी अमेरिकी अधिकारी का यह पहला भारत दौरा है।

न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, सुलिवन के साथ उप विदेश मंत्री कर्ट कैंपबेल भी आ रहे हैं। आज दोनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ मुलाकात करेंगे। इसके अलावा अमेरिकी NSA भारत के NSA अजीत डोभाल से भी मुलाकात करेंगे। इसके बाद दोनों की तरफ से एक ज्वाइंट स्टेटमेंट जारी किया जाएगा।

सुलिवन और अजीत डोभाल दोनों देशों के बीच iCET को ज्यादा मजबूत करने पर फोकस करेंगे। इससे पहले वे फरवरी में भारत आने वाले थे, पर उन्हें उस वक्त दौरा टालना पड़ा था। अब वे दो दिन तक अपनी भारत यात्रा पर हैं।

अमेरिकी NSA जेक सुलिवन की भारत के NSA अजीत डोभाल से आज मुलाकात होगी।

अमेरिकी NSA जेक सुलिवन की भारत के NSA अजीत डोभाल से आज मुलाकात होगी।

स्विट्जरलैंड के शांति शिखर सम्मेलन से सीधे भारत आ रहे हैं सुलिवन
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिकी NSA और भारतीय NSA के बीच पश्चिम एशिया की स्थिति के बारे में बातचीत होने की की उम्मीद है। सुलिवन स्विट्जरलैंड में हुए यूक्रेन शांति शिखर सम्मेलन के बाद भारत आ रहे हैं। शांति शिखर सम्मेलन से निकलते समय उन्होंने इस बात की जानकारी दी थी।

उन्होंने बताया कि 6 जून को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जीत पर बधाई दी थी। इसी दौरान उन्होंने iCET को लेकर उन्हें सुलिवन की भारत यात्रा के बारे में बताया था। दोनों नेताओं ने अमेरिका-भारत व्यापार और वैश्विक रणनीतिक साझेदारी को गहरा करने और स्वतंत्र, समृद्ध भारत-प्रशांत क्षेत्र के अपने साझा दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने की अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया था।

iCET क्या है? इससे दोनों देशों को क्या फायदा है
दोनों देशों की सरकार iCET के जरिए AI, क्वांटम कंप्यूटिंग, 5G-6G, बायोटेक, अंतरिक्ष और सेमीकंडक्टर्स जैसे क्षेत्रों में मजबूत संबंध स्थापित कर रही है। इससे शिक्षा और उद्योग में बढ़ोतरी होगी। एडवांस टेक्नोलॉजी के मुद्दे पर सहयोग बढ़ेगा और हार्डवेयर कैपेबिलिटी में निवेश की संभावनाएं बेहतर होंगी।

क्वांटम तकनीक पर चर्चा होंगी, जिससे आने वाले दिनों में शिक्षा के क्षेत्र में बड़ा बदलाव सामने आ सकता है। सेमीकंडक्टर्स उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए संयुक्त रोडमैप बनाने को लेकर सहमति बनने की उम्मीद है। इस पहल के जरिए स्पेस टेक्नोलॉजी में भी दोनों देश एक-दूसरे के अनुभवों को साझा कर सहयोग को बढ़ाएंगे।

iCET का मकसद प्रौद्योगिकी श्रृंखलाओं का निर्माण करके और वस्तुओं के सह-विकास और सह-उत्पादन के जरिए दोनों देशों के बीच विश्वसनीय प्रौद्योगिकी भागीदारी बनाना और स्थायी तंत्र के जरिए विनियामक प्रतिबंधों, निर्यात नियंत्रण और बाधाओं को दूर करना भी है।

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