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“भारत की पावन धरती” – कवयित्री अंत्रिका सिंह

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भारत की पावन धरती

भारत की पावन धरती को
कभी न बंजर होने देंगे
निर्मम हत्या और पाप का
हम यहां न मंजर होने देंगे

सोने की चिड़िया था पहले
जिसे अंग्रेज़ों ने लूट लिया
बेदर्द, निरंकुश शासन से
था भारत मां को कष्ट दिया
था किया सराबोर रक्त से
हर मां के उज्ज्वल आंचल को
कितने ही वीर सुपुत्रों को
काल के गाल में भेज दिया
स्वच्छ दूधिए से आंचल पर
अब दाग कभी न लगने देंगे
भारत के वीर सुपुत्रों को यूं
मौत की नींद न सोने देंगे।।

बेदाग तिरंगे को भी न छोड़ा
सरेआम मजाक बनाया था
गगन में लहराता तिरंगा हटा
ब्रिटिश झंडा फहराया था
बेदाग तिरंगे को वीरों के
रक्त में था डुबो दिया
बेदर्दी का खंजर सीने के
भारत मां के पार किया
तिरंगे के पावन रंगों को
अब बदरंग नहीं होने देंगे
मां भारती के अस्तित्व पर
अब कभी न संकट आने देंगे।।

पहले अंग्रेजों का शासन था
अब आतंकियों का बोलबाला है
नक्सली,घुसपैठिए नित उभर रहे
भ्रष्टाचारियों का खूब हवाला है
उठो, जागो वीरों फिर से आज
आवश्यकता है आन पड़ी
पुनः खतरे के घेरे में आन
भारत मां की है शान पड़ी
स्वतंत्र, गणतंत्र भारत को हम
फिर से परतंत्र न होने देंगे
जालिमों के भय से हिंद को
विश्वगुरु की उपाधि न खोने देंगे।।

भारत की पावन धरती को
कभी न बंजर होने देंगे
निर्मम हत्या और पाप का
हम यहां न मंजर होने देंगे।।

                                  कवयित्री अंत्रिका सिंह
                                  प्रयागराज, उत्तर प्रदेश 
                                  स्वरचित एवं मौलिक 
                                  सर्वाधिकार सुरक्षित
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