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ईरान और किम जोंग के उत्तर कोरिया के ‘सैन्य गठबंधन’ ने बढ़ाई इजरायल और अमेरिका की टेंशन, सता रहा बड़ा डर, जानें

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ईरान और किम जोंग के उत्तर कोरिया के ‘सैन्य गठबंधन’ ने बढ़ाई इजरायल और अमेरिका की टेंशन, सता रहा बड़ा डर, जानें

तेहरान में हाल ही में हमास प्रमुख इस्माइल हानिया की हत्या के बाद ईरान इजरायल पर भड़का हुआ है। ईरान के हमले के अंदेशे के बीच इजरायल को अमेरिका का खुला समर्थन मिला है। वहीं दूसरी ओर ईरान को भी रूस और उत्तर कोरिया से मदद मिलती दिख रही है।

हाइलाइट्स

  • ईरान और इजरायल के बीच युद्ध के जैसे हालात
  • ईरान को उत्तर कोरिया से सैन्य मदद का दावा
  • उत्तर कोरिया की वजह से हो सकता पूर्ण युद्ध

तेहरान: उत्तर कोरिया और ईरान अपनी बढ़ती परमाणु आकांक्षाओं और मजबूत होते द्विपक्षीय संबंधों के चलते हालिया समय में चर्चा में हैं। उत्तर कोरिया और ईरान, दोनों को अमेरिका नापसंद करता रहा है। ऐसे में इन दोनों का करीब आना और खासतौर से सैन्य मोर्चे पर इनका सहयोग अमेरिका, इजरायल और उसके सहयोगियों की चिंता बढ़ा रहा है। खासतौर से ईरान और उत्तर कोरिया का अपनी परमाणु क्षमताओं को बढ़ाना अमेरिका को तंग कर रहा है। दोनों के बीच बढ़ते सहयोग से एक बड़े युद्ध का अंदेशा भी कुछ एक्सपर्ट जता रहे हैं।

यूरेशियन टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर कोरिया ने हाल ही में दक्षिण कोरिया के साथ सीमा पर 250 नए बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्चर तैनात किए हैं। उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन का दावा है कि मिसाइलों को परमाणु वारहेड से लैस किया जा सकता है और इनकी जद में साउथ कोरिया का बड़ा हिस्सा आता है। एक्सपर्ट मान रहे हैं कि इससे कोरियाई प्रायद्वीप पर संघर्ष की संभावना के बारे में चिंताएं बढ़ती हैं। दूसरी ओर ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाएं भी दुनिया से छुपी नहीं हैं। 11 मई को ईरानी सांसद अहमद बख्शायेश अर्देस्तानी ने दावा किया था कि ईरान ने परमाणु हथियार बनाने की क्षमता हासिल कर ली है, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई।

ईरान और उत्तर कोरिया की रणनीतिक साझेदारी

अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने 19 जुलाई को ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर चिंता जताई थी। अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी डायरेक्टर राफेल ग्रॉसी ने बताया था कि ईरान के पास कई परमाणु बम बनाने के लिए पर्याप्त यूरेनियम है। अमेरिकी और इजरायली खुफिया एजेंसियों ने परमाणु हथियारों के विकास से संबंधित रिसर्च में ईरानी वैज्ञानिकों की भागीदारी का खुलासा किया है।


ईरान और उत्तर कोरिया दोनों ही पश्चिमी शक्तियों और उनके क्षेत्रीय सहयोगियों के विरोधी हैं। दोनों ने दशकों से एक रणनीतिक साझेदारी विकसित की है। दोनों के बीच साझेदारी का उद्देश्य अमेरिकी नेतृत्व वाले प्रतिबंधों का मुकाबला करना है। यह सहयोग 80 के दशक में हुआ था जब उत्तर कोरिया ने पश्चिमी नीतियों को धता बताते हुए ईरान को इराक के खिलाफ युद्ध में हथियार दिए थे।इसके बाद ये रिश्ता बेहतर होता रहा है।


उत्तर कोरिया और ईरान को मिला है फायदा

ईरान और उत्तर कोरया को इस साझेदारी से महत्वपूर्ण सैन्य प्रौद्योगिकी हस्तांतरण प्राप्त हुए हैं। 2006 में ईरान को उत्तर कोरिया से स्कड-बी और स्कड-सी मिसाइलें मिली थीं। ईरान की शाहब-3 बैलिस्टिक मिसाइल भी उत्तर कोरिया के रोडोंग डिजाइन पर आधारित हैं। मिसाइल तकनीक में यह सहयोग उनकी साझेदारी की स्थायी प्रकृति और क्षेत्रीय सुरक्षा गतिशीलता पर इसके प्रभाव को रेखांकित करता है। चीन, रूस, ईरान और उत्तर कोरिया ने हाल के वर्षों में अपने गठबंधन को मजबूत किया है। इसे अमेरिकी दबाव और यूक्रेन पर रूसी आक्रमण जैसी वैश्विक घटनाओं के जवाब में देखा जा रहा है। यह गठबंधन वैश्विक सुरक्षा, राजनीति और अर्थव्यवस्था में अमेरिका और पश्चिमी प्रभुत्व को चुनौती देना चाहता है।

ईरान और उत्तर कोरिया के बीच यह विस्तारित सहयोग क्षेत्रीय स्थिरता और भूराजनीतिक गतिशीलता को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित कर सकता है। अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने कहा कि उत्तर कोरिया और ईरान के बीच बढ़ते सैन्य सहयोग को लेकर चिंतित है। खासतौर से दोनों देशों के बीच परमाणु और उन्नत मिसाइल प्रौद्योगिकी के संभावित प्रसार से वैश्विक सुरक्षा संबंधी महत्वपूर्ण चिंताएं पैदा होती हैं। दोनों देशों की ये साझेदारी किसी बड़े संघर्ष को भी जन्म दे सकती है।

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