राष्ट्रीय डिजिटल रिपॉजिटरी के निर्माण की दिशा में एक बड़ा कदम
नई दिल्ली।
भारत की प्राचीन पांडुलिपियों के संरक्षण और डिजिटलीकरण को नई दिशा देने हेतु केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने देशभर के 17 संस्थानों के साथ एक महत्वपूर्ण समझौता किया है। इस पहल के अंतर्गत पांडुलिपियों के संरक्षण के साथ-साथ एक राष्ट्रीय डिजिटल रिपॉजिटरी की स्थापना की जाएगी, जिससे देश की सांस्कृतिक धरोहर को सुरक्षित और सुलभ बनाया जा सकेगा।
दिल्ली स्थित राष्ट्रीय आधुनिक कला संग्रहालय में आयोजित इस भव्य कार्यक्रम में पहले चरण के तहत यह समझौता संपन्न हुआ। इसमें 12 राज्यों के प्रतिनिधि संस्थान और 5 प्रतिष्ठित संगठन शामिल हुए।
गौरतलब है कि राजस्थान राज्य से एकमात्र संस्थान के रूप में ‘अभय जैन ग्रंथालय, बीकानेर’ का चयन हुआ है, जिसने राज्य का मान बढ़ाया है। ग्रंथालय के निदेशक श्री ऋषभ नाहटा ने केंद्रीय कला एवं संस्कृति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत से समझौता पत्र प्राप्त किया।
कार्यक्रम के दौरान मंच पर संस्कृति मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी
संस्कृति सचिव श्री विवेक अग्रवाल,
संयुक्त सचिव श्री समर नंदा,
निदेशक श्री इंद्रजीत सिंह तथा
प्रोजेक्ट डायरेक्टर श्री अनिर्वाण दास उपस्थित रहे।
संस्कृति मंत्रालय ने इस अवसर पर स्पष्ट किया कि यद्यपि पांडुलिपियों के डिजिटलीकरण व संरक्षण के लिए समयसीमा तय की गई है, किंतु गुणवत्ता से किसी भी प्रकार का समझौता नहीं किया जाएगा।
यह समझौता न केवल भारत की अमूल्य पांडुलिपियों को सुरक्षित रखने की दिशा में एक ठोस कदम है, बल्कि भावी पीढ़ियों के लिए हमारी सांस्कृतिक विरासत को डिजिटली रूप में सहेजने का राष्ट्रीय संकल्प भी है।










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