बीकानेर। अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की राज्य महासचिव डॉ सीमा जैन ने कहा कि उन्नाव सामूहिक बलात्कार मामले में दोषी, पूर्व भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा उम्रकैद की सज़ा को स्थगित करते हुए ज़मानत दिए जाने के निर्णय की कड़े शब्दों में आलोचना करती है और इसे बेहद दुर्भाग्यपूर्ण तथा न्याय की भावना के विपरीत मानती है।
यह मामला किसी एक व्यक्ति के अपराध तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उस क्रूर और अमानवीय सत्ता-समर्थित हिंसा का उदाहरण है, जिसमें एक किशोरी के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया, उसके परिवार को लगातार धमकाया गया, उसके पिता की हिरासत में संदिग्ध मौत हुई और न्याय के लिए संघर्ष कर रहे परिवार पर लगातार हमले किए गए। देश ने देखा है कि किस तरह पीड़िता और उसके परिवार को न्याय पाने के लिए वर्षों तक अपार मानसिक, सामाजिक और शारीरिक यातनाएँ झेलनी पड़ीं।
लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद अदालत द्वारा कुलदीप सिंह सेंगर को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सज़ा सुनाया जाना महिलाओं के संघर्ष और न्याय की उम्मीद के लिए एक महत्वपूर्ण पड़ाव था। इससे यह संदेश गया था कि चाहे अपराधी कितना भी ताकतवर क्यों न हो, महिलाओं के खिलाफ जघन्य अपराध करने पर उसे सज़ा मिलेगी। ऐसे में सज़ा को स्थगित कर ज़मानत देना न केवल पीड़िता के साथ गहरा अन्याय है, बल्कि यह देश की करोड़ों महिलाओं के उस विश्वास को भी ठेस पहुँचाता है, जो न्याय व्यवस्था पर भरोसा करती हैं।
जनवादी महिला समिति का स्पष्ट मानना है कि सामूहिक बलात्कार जैसे जघन्य अपराधों में दोष सिद्ध होने के बाद किसी भी तरह की राहत या नरमी समाज में गलत संदेश देती है। इससे न केवल अपराधियों के हौसले बुलंद होते हैं, बल्कि पीड़िताओं और गवाहों की सुरक्षा पर भी गंभीर खतरा उत्पन्न होता है। यह फैसला यह सवाल भी खड़ा करता है कि क्या महिलाओं के खिलाफ अपराध करने वाले प्रभावशाली लोग कानून से बार-बार रियायतें हासिल करते रहेंगे।
अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति यह भी कहना चाहती है कि ऐसे फैसले उस पितृसत्तात्मक सोच को मजबूत करते हैं, जिसमें महिलाओं के साथ होने वाली हिंसा को गंभीरता से नहीं लिया जाता। यह फैसला उस संघर्ष का अपमान है, जो महिलाओं ने सड़कों से लेकर अदालतों तक लड़ा है।
अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की स्पष्ट मांगे हैं—
कुलदीप सिंह सेंगर को दी गई ज़मानत को तत्काल रद्द किया जाए।
पीड़िता और उसके परिवार की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के मामलों में दोष सिद्ध होने के बाद सज़ा में किसी भी प्रकार की ढील न दी जाए।
ऐसे मामलों में न्याय प्रक्रिया को तेज़ और संवेदनशील बनाया जाए, ताकि पीड़िताओं को बार-बार अपमान और भय का सामना न करना पड़े।
अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति देश की तमाम महिलाओं के साथ एकजुट होकर इस अन्याय के खिलाफ आवाज़ बुलंद करती रहेगी और न्याय, बराबरी व महिलाओं की गरिमा की रक्षा के लिए अपना संघर्ष जारी रखेगी।
— अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति,राजस्थान












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