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अर्जुनदेव चारण : सिरजण विसेसांक का लोकार्पण

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खुद नै काट-काट ‘र कागद रै चेपै तद कोई अर्जुनदेव चारण बणै : रामस्वरूप किसान

जोधपुर । अर्जुनदेव चारण का सम्मान भारतीय साहित्य का सम्मान है । निसंदेह वो राजस्थानी भाषा, साहित्य, कला एवं संस्कृति के गौरव है । उनकी सतत साहित्य-साधना अद्भुत है। उनका व्यक्तित्व और कृतित्व समाज लिए प्रेरणादायक है । असल में ” जद कोई खुद नै काट-काट ‘र कागद रै चेपै तद वो अर्जुनदेव चारण बणै ” यह विचार ख्यातनाम कवि-कथाकार रामस्वरूप किसान ने संवळी साहित्य संस्थान द्वारा जेएनवीयू के राजस्थानी सभागार में आयोजित कथेसर के ‘ अर्जुनदेव चारण : सिरजण विसेसांक ‘ के लोकार्पण समारोह में व्यक्त किये।

संवळी साहित्य संस्थान के सचिव डाॅ. कप्तान बोरावड ने बताया कि इस अवसर पर प्रतिष्ठित कवि-आलोचक डाॅ.मंगत बादल ने अर्जुनदेव चारण की साहित्य साधना को उजागर करते हुए उन्हें राजस्थानी साहित्य का वटवृक्ष सिद्ध किया। साहित्य अकादेमी के पूर्व संयोजक एवं नाटय निर्देशक मधु आचार्य ने अर्जुनदेव चारण के नाट्यशास्त्र को विश्व का अनुपम ग्रंथ बताते हुए उन्हें देश का सर्वश्रेष्ठ नाटककार बताया। राजस्थानी विभागाध्यक्ष डाॅ.गजेसिंह राजपुरोहित ने अर्जुनदेव चारण की काव्य-साधना को रेखांकित करते हुए समकालीन राजस्थानी साहित्य में उनके योगदान को उजागर किया। प्रतिष्ठित कवि-कथाकार अर कथेसर-संपादक डाॅ.सत्यनारायण सोनी ने कहा कि अर्जुनदेव चारण की साहित्य-साधना पर इस विशेषांक का प्रकाशन कर कथेसर स्वयं गौरवान्वित हुआ है। विशेषांक लोकार्पण के समय अर्जुनदेव चारण साहित्यकारों की मौजूदगी में विशेषांक देखकर भावविभोर हो गये। उन्होंने कहा कि एक रचनाकार अपने जीवन में अगर सतत सृजन करे तो एकदिन उसके सृजन पर समाज निश्चित रूप से चिंतन-मनन करता है। लोकार्पण के पश्चात संवळी साहित्य संस्थान के सदस्यों द्वारा ख्यातनाम कवि-आलोचक डाॅ.अर्जुनदेव चारण का अभिनंदन किया गया। समारोह के अंत में सचिव डाॅ.कप्तान बोरावड़ ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

लोकार्पण समारोह में कथेसर के संपादक एवं प्रतिष्ठित कवि-कथाकार रामस्वरूप किसान तथा डाॅ.सत्यनारायण सोनी का संवळी साहित्य संस्थान की तरफ से साफा पहना माल्यार्पण कर अभिनन्दन किया गया।

कार्यक्रम के प्रारम्भ में ख्यातनाम कवि-आलोचक प्रोफेसर (डाॅ.) अर्जुनदेव चारण ने मां सरस्वती की मूर्ति पर माल्यार्पण कर दीप प्रज्ज्वलित किया। तत्पश्चात संवळी साहित्य संस्थान के सदस्यों द्वारा अतिथियों सम्मान किया गया। इस अवसर पर प्रोफेसर (डाॅ.) सोहनदान चारण,डाॅ.पद्मजा शर्मा, डाॅ.सुमन बिस्सा, डाॅ.चांदकौर जोशी, बसन्ती पंवार, मीठेश निर्माेही,डाॅ.मदन सैनी, माधव राठौड़,सतपालसिंह खाती, संजय पुरोहित, डाॅ. मीनाक्षी बोराणा, शिवराज भारतीय, हरीश बी शर्मा, प्रकाशदान चारण, भंवरलाल सुथार,भवानीसिंह पातावत, गिरधरगोपाल सिंह भाटी, डाॅ.किरण बादल, संतोष चौधरी, कृष्ण कुमार आशु,भीवसिंह राठौड, संग्रामसिंह सोढ़ा, खेमकरण लालस, पूनम सरावगी, जगदीश सरावगी, अरूण बोहरा, महेशचन्द्र माथुर, दीपक भट्नागर, अरविन्द कुमार, डाॅ.रामरतन लटियाल लटियाल, डाॅ.अमित गहलोत, डाॅ.सवाईसिंह महिया, डाॅ.इन्द्रदान चारण, तरनीजा मोहन राठौड़, डाॅ.जितेन्द्र साठीका, रामकिशोर फिडोदा, विष्णुशंकर, रविन्द्र माथुर सहित राजस्थानी रचनाकार, शोध-छात्र एवं अनेक साहित्य प्रेमी मौजूद रहे।

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