
बीकानेर 07 अगस्त। विकसित भारत 2047 की संकल्पना को सुदृढ आधार प्रदान के उद्देश्य लिये हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को देश भर में लागू किया गया। इसके पाँच वर्ष पूर्ण होने पर अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ राजस्थान (उच्च शिक्षा) द्वारा राजकीय डूंगर महाविद्यालय, बीकानेर में विशिष्ट व्याख्यान का आयोजन किया गया। “नीति से परिवर्तन तक : राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के पाँच वर्ष और भविष्य” विषय पर आधारित इस व्याख्यान में मुख्य वक्ता प्रो. (डॉ.) सुशीलकुमार बिस्सु, अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ राजस्थान (उच्च शिक्षा) के सेवा आयाम के संयोजक, विशिष्ट अतिथि एबीआरएसएम पश्चिम क्षेत्र संयोजक एवं सेवानिवृत्त प्राचार्य प्रोफेसर दिग्विजय सिंह रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता तकनीकी विश्वविद्यालय बीकानेर के कुलगुरु माननीय श्रीअखिल रंजन गर्ग ने की।
कार्यक्रम के प्रारंभ में आगंतुक अतिथियों ने माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्वलित कर माल्यार्पण किया। व्याख्यान माला के इस कार्यक्रम में सर्वप्रथम प्रोफेसर शशि कांत, प्रदेश सेवा आयाम के सह संयोजक ने विषय प्रवर्तन करते हुए राष्ट्रीय शिक्षा नीति के प्रारूप के संबंध में जानकारी दी।
मुख्य वक्ता प्रो. (डॉ.) सुशीलकुमार , ने अपने वक्तव्य में कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 हमसे अत्यधिक अपेक्षाएँ रखती है। अतः यदि आज इसके क्रियान्वयन में जो समस्याएँ उत्पन्न हो रही है, उसके मूल में भारतीयों को गुलाम बनाने के लिए तैयार की गई मैकाले की शिक्षाव्यवस्था से उत्पन्न हमारी मानसिक कुण्ठा है, जिसने दीर्घकाल तक हमें मानसिक रूप से हीन बनाए रखा। ऐसी ही हीनता और मानसिक कुण्ठा के निवारण के लिए भारतीय ज्ञान परम्परा का सशक्त आधार प्रदान किया गया है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 सच्चे अर्थों में विकसित भारत के लिए पूर्ण रोडमैप प्रदान करती है। यह परिवर्तन हमारी कल्पनाओं से बाहर है, लेकिन भारत के सशक्त, सुदृढ और आत्मविश्वास से परिपूर्ण भविष्य के लिए हमें अपनी पूरी सामर्थ्य से आगे बढ़ना अनिवार्य है।
प्रो. बिस्सु ने कहा कि कौशल संवर्धन के साथ व्यावसायिक शिक्षा पर जोर, बहुवैषयिक अध्ययन, मल्टीपल एंट्री मल्टीपल एग्जिट, सतत मूल्यांकन प्रक्रिया, शैक्षिक व्यावहारिकता के ऐसे प्रावधान हैं जो कौशल संवर्धन और रोजगार के समान अवसर पैदा करेंगे। मातृभाषा में प्रारंभिक शिक्षण, स्थानीय भाषाओं पर बल, शिक्षा के साथ संस्कारों को सुनिश्चित करेंगे। राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (NCrF) ग्रेडिंग सिस्टम में एकरूपता और भारतीय ज्ञान परम्परा विकसित बौद्धिक कौशल के साथ भारतीयता के आत्मविश्वास को स्थापित करेगी। डिजिटलीकरण, तकनीकी सशक्तीकरण एवं उत्पादकता जैसे नवाचारों को शिक्षा की मुख्यधारा में लाने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के प्रभावी क्रियान्वयन को अनिवार्य बताया।
विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर दिग्विजय सिंह ने NEP 2020 के प्रमुख उद्देश्य का उद्घाटन करते हुए कहा कि भारत में सर्वसमावेशी और समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करने और जीवन-पर्यन्त शिक्षा के अवसरों को बढावा दिए जाने के लक्ष्य को पूरा करने के लिए भारत सरकार द्वारा 29 जुलाई 2020 को राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 लागू की गई। विद्यार्थियों के एकेडमिक क्रेडिट बैंक, वन नेशन वन सब्सक्रिप्शन जैसे प्रावधानों के साथ यह शिक्षा नीति युवा पीढ़ी के सुनिश्चित भविष्य की आधारशिला होगी। अतः हमें इस शिक्षा नीति की उपलब्धियों, समसामयिक चुनौतियों एवं भावी योजनाओं पर बहुआयामी विचार-विमर्श करते रहना होगा।
कार्यक्रम के अध्यक्ष ने कुलगुरु माननीय श्रीअखिल रंजन गर्ग ने अध्यक्षीय उद्बोधन करते हुए कहा कि पिछले कुछ दशकों में वैश्विक स्तर पर जो परिवर्तन हो रहे हैं, उनकी गति तेज़ है और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 उस तेज़ गति से सामंजस्य स्थापित कर विकसित भारत की ओर कदम बढ़ाने का अतुल्य दस्तावेज है। निश्चित रूप से इस शिक्षा नीति को लागू करने से लेकर क्रियान्वयन की यात्रा एक दीर्घकालीन प्रक्रिया है। इस प्रक्रिया के कई सोपान होंगे, जिनमें शिक्षक की सक्रिय सहभागिता, उद्देश्यों और लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए दृढ इच्छाशक्ति और शिक्षा नीति को लागू करने हेतु जारी किए गए विभिन्न दस्तावेजों की जानकारी अत्यन्त आवश्यक है। कार्यक्रम का मंच संचालन डॉ मातृ दत्त शर्मा ने किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में विद्यार्थियों एवं संकाय सदस्यों ने सहभागिता की।
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